अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के प्रतीची (भारत) ट्रस्ट से जुड़े शोधार्थी साबिर अहमद ने आरटीआई आवेदन में बंगाल के सभी मेडिकल कॉलेजों से उनके छात्रों, शिक्षकों और प्रशासनिक कर्मियों के सामाजिक वर्ग से जुड़ा डेटा मांगा था. जवाब में राज्य लोक सूचना अधिकारी ने उन्हें नागरिकता साबित करने को कहा.
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय स्तर पर नीट को ख़त्म करने का आग्रह करते हुए कहा कि राज्य को नीट आयोजित करने से छूट दी जाए. उन्होंने आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों से नीट समाप्त करने के लिए अपनी-अपनी विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित के बारे में सोचने को भी कहा है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि देश में पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की 80 प्रतिशत उपलब्धता मानते हुए और 5.65 लाख आयुष डॉक्टरों के साथ देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:834 है, जो कि डब्ल्यूएचओ के मानक 1:1000 से बेहतर है.
कोचिंग संस्थान विज्ञापनों में सफलता दर या चयनित छात्रों की रैंक के बारे में झूठे दावे न करें: केंद्र
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए कोचिंग संस्थानों के लिए मसौदा दिशानिर्देश तैयार किए हैं. सीसीपीए ने स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करते हुए 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस भेजा है और भ्रामक विज्ञापनों के लिए उनमें से नौ पर जुर्माना लगाया है.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने उन एमबीबीएस छात्रों को एक अतिरिक्त मौका देने की अनुमति दे दी है, जो शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के दौरान मेडिकल कॉलेजों में भर्ती हुए और कोविड-19 महामारी के कारण अपनी पहली व्यावसायिक परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सके थे. यह ढील सिर्फ़ एक बार का उपाय होगा.
नीति आयोग के सदस्य विनोद के. पॉल ने एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे पास डॉक्टरों की कमी है. भारत में प्रति 1000 जनसंख्या पर एक डॉक्टर है, अगर हम आयुष चिकित्सकों को जोड़ दें तो 1.3 डॉक्टर हैं. उन्होंने कहा कि लोगों की पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल के लिए देश में एमबीबीएस और विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाना सबसे ज़रूरी है.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने निर्णय लिया है कि मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के चार मेडिकल कॉलेजों के सभी विस्थापित छात्रों को चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज में ऑनलाइन कक्षाएं या हाइब्रिड मोड में कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी. एनएमसी ने कहा कि उपरोक्त अनुमति मणिपुर में असाधारण स्थिति को ध्यान में रखते हुए दी गई है.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग मेडिकल कॉलेजों में ‘घोस्ट फैकल्टी’ को ख़त्म करने के प्रयासों के तहत फैकल्टी सदस्यों के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली के महत्व को दोहराया है. पिछले महीने आयोग के 246 कॉलेजों के एक मूल्यांकन में पता चला था कि सभी कॉलेजों में फैकल्टी 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहे हैं.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस छात्रों के वार्षिक प्रवेश को सीमित करने वाले नए दिशानिर्देश राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के तहत अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) द्वारा 2022-23 में 246 कॉलेजों के मूल्यांकन में यह जानकारी सामने आई है. इसके अनुसार, देश के किसी भी मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त फैकल्टी सदस्य या सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर नहीं थे और ये सभी 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहे हैं.
राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि परीक्षा ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले और राज्य बोर्ड के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है क्योंकि नीट परीक्षा सीबीएसई/एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित है, जो तमिलनाडु बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम से काफ़ी अलग है.
उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में दाख़िले के लिए इस वर्ष से अभ्यर्थियों के सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही उनकी ‘मनोवैज्ञानिक जांच’ भी अनिवार्य कर दी गई थी. विरोध के बाद इस निर्णय को वापस ले लिया गया है.
वीडियो: छात्र नीट-पीजी (NEET-PG) प्रवेश परीक्षा स्थगित करने की मांग क्यों कर रहे हैं? यह परीक्षा 21 मई 2022 को होने जा रही है, लेकिन छात्र चाहते हैं कि इसे 8 से 10 सप्ताह तक के लिए टाल दिया जाए. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने बीते 13 मई को छात्रों की याचिका खारिज कर दी. द वायर ने इस संबंध में ऐसे कुछ छात्रों से बातचीत की.
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी उन पांच छात्रों की अपील को ख़ारिज करते हुए की, जिन्हें 2016 में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित केंद्रीकृत काउंसलिंग में शामिल हुए बगैर ही भोपाल के एक मेडिकल कॉलेज द्वारा प्रवेश दिया गया था. अदालत ने कहा कि लाखों छात्र योग्यता के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. अब समय आ गया है कि संस्थानों में बैकडोर एडमिशन बंद हों.