मणिपुर में दो कुकी महिलाओं के यौन उत्पीड़न का वीभत्स वीडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इसे लेकर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान करते हुए कहा कि राज्य के लोग महिलाओं को मां का दर्जा देते हैं, लेकिन कुछ बदमाशों के ऐसा करने से राज्य की छवि ख़राब हुई है.
मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के अगले दिन 4 मई को थौबल ज़िले में आदिवासी कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न कर घुमाने के अलावा उनके साथ मारपीट और एक महिला के साथ सार्वजनिक तौर पर बलात्कार किया गया था. इसका विरोध करने पर महिला के पिता और भाई की भीड़ ने हत्या कर दी थी.
कुकी छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मणिपुर विश्वविद्यालय और धनमंजुरी विश्वविद्यालय में नामांकित उनके समुदाय के छात्रों और शोधार्थियों को अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. कहा गया है कि उनके विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक जनजातीय समूहों के ख़िलाफ़ बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय द्वारा की जाने वाली नफ़रत और हिंसा का केंद्र बन गए हैं.
मणिपुर में हिंसा से संबंधित एक वीडियो सामने आया है, जिसमें भीड़ द्वारा कुकी समुदाय की दो आदिवासी महिलाओं को नग्न घुमाया जा रहा है. घटना 3 मई को हिंसा भड़कने के अगले दिन हुई. भीड़ ने पुलिस हिरासत से इन महिलाओं और कुछ पुरुषों को क़ब्ज़े में लेकर इस ख़ौफ़नाक घटना को अंजाम दिया था. दो पुरुषों की हत्या कर दी गई थी, जबकि एक महिला से बलात्कार किया गया था.
मणिपुर हिंसा से संबंधित ख़ौफ़नाक वीडियो में निर्वस्त्र घुमाई गईं महिलाओं में से एक ने कहा कि उन्होंने चार पुलिसकर्मियों को कार में बैठे देखा था, जो हिंसा होते हुए देख रहे थे. उन्होंने हमारी मदद के लिए कुछ नहीं किया. कुकी समुदाय की इस महिला के पिता और भाई को भीड़ ने मार डाला था. ये घटना 3 मई को भड़की जातीय हिंसा के अगले दिन 4 मई की है.
मणिपुर सरकार का यह फैसला क्वैरमबैंड इमा कीथल जॉइंट कोऑर्डिनेटिंग कमेटी फॉर पीस द्वारा सभी से ‘मदर्स प्रोटेस्ट’ रैली को सफल बनाने की अपील के बाद आया है. इसे देखते हुए राजधानी इंफाल शहर में भी सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं. राज्य में बीते 3 मई से जातीय हिंसा जारी है.
ओलंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू ने कहा कि मणिपुर में हिंसा शुरू हुए जल्द ही तीन महीने हो जाएंगे. अधिकारी अभी तक शांति बहाल नहीं कर पाए हैं. हिंसा के कारण बहुत से एथलीट ट्रेनिंग नहीं कर पा रहे हैं और छात्र पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं. बहुत से लोगों की जान चली गई और कई घर जलकर ख़ाक हो गए.
मणिपुर में पिछले दो महीने से जातीय हिंसा का दौर जारी है. राज्य में अब तक 140 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 50 हज़ार लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘चुप्पी’ पर लगातार सवाल उठा रहे हैं.
वीडियो: मणिपुर में पिछले दो महीने से बहुसंख्यक मेईतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा जारी है. अब सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मिली है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में मणिपुर सरकार ने पिछले 7 साल में सबसे अधिक संख्या में बंदूक के लाइसेंस जारी किए हैं.
मणिपुर सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई एक स्टेटस रिपोर्ट से पता चला है कि अधिकांश मौतें इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और चुराचांदपुर ज़िलों में दर्ज की गई हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 3 जुलाई तक आगज़नी की 5,053 घटनाएं हुईं और 5,995 एफ़आईआर दर्ज की गई हैं.
मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ख़ाम ख़ान सुआन हाउजिंग, कुकी महिला मंच की संयोजक मैरी ग्रेस ज़ोउ और कुकी पीपुल्स एलायंस के महासचिव विल्सन लालम हैंगशिंग ने द वायर के लिए करण थापर को इंटरव्यू दिया था. आरोप है कि साक्षात्कार के दौरान उनके बयानों ने सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काया था.
मणिपुर के पूर्व राज्यपाल गुरबचन जगत ने एक लेख में कहा है कि राज्य भर में पुलिस थानों एवं पुलिस शस्त्रागारों पर हमला किया गया है और हज़ारों बंदूकें व भारी मात्रा में गोला-बारूद लूट लिया गया है. जम्मू कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, गुजरात के सबसे बुरे समय में भी ऐसा नहीं हुआ था.
अधिकारियों ने बताया कि बिष्णुपुर ज़िले में शुक्रवार को हुईं अलग अलग घटनाओं में संदिग्ध उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में मणिपुर पुलिस कमांडो की मौत हो गई, चुराचांदपुर ज़िले की सीमा से लगे तीन गांवों में किशोर समेत तीन लोगों की जान चली गई है.
वीडियो: मणिपुर में दो महीने से जातीय हिंसा जारी है, जिससे प्रभावित लोग अपना घर, ज़मीन छोड़ देने को मजबूर हो चुके हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 70,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जिनके लिए लगभग 350 राहत शिविर बनाए गए हैं. कैसी है इन शिविरों की स्थिति?
नॉर्थ ईस्ट इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि हिंसक संघर्षों का इतने लंबे समय तक जारी रहना राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार के लिए भी शर्म की बात है. मणिपुर में बीते 3 मई से भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 140 लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.