जयपुर के शास्त्रीनगर इलाके के नहरी का नाका इलाके में हुआ प्रदर्शन. प्रवासी मज़दूरों ने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान उन्हें पीटा, लेकिन पुलिस ने इस बात से इनकार किया है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ हादसा. पुलिस ने बताया कि बीते पांच मई को दिल्ली से आठ मज़दूर साइकिल से बिहार जाने के लिए निकले थे और नौ मई को वे लखनऊ पहुंचे थे.
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 24 कोच होंगे. सामाजिक दूरी के प्रोटोकॉल का पालन के तहत वर्तमान में हर कोच में सिर्फ 54 यात्रियों को लेकर ले जाया जा रहा है, लेकिन अब 72 सीटों पर 72 यात्री होंगे.
इस बीच रेलवे ने दूसरे राज्यों में फंसे मज़दूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए ट्रेनों को पूरी क्षमता के साथ चलाने को कहा है. हर ट्रेन में 24 कोच होंगे और हर कोच में 72 सीट पर 72 यात्री होंगे. वर्तमान में एक कोच में सामाजिक दूरी के नियमों के तहत हर कोच में 54 लोगों को बैठाया जा रहा था.
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्य कोरोना महामारी के नाम पर गोपनीय तरीके से कुछ सालों के लिये कई श्रम क़ानूनों को हल्का कर रहे हैं या रोक लगा रहे हैं. राज्यों की दलील है कि इससे निवेश बढ़ेगा, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि निवेश श्रम क़ानूनों को ख़त्म करने से नहीं बल्कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और स्किल्ड लेबर से होता है.
कार्ल मार्क्स ने 175 साल पहले लिखा कि श्रमिक जिसका निर्माण करता है, वह वस्तु जितनी विशाल या ताकतवर होती जाती है, श्रमिक का बल उसी अनुपात में घटता चला जाता है. अगर रेल की पटरियों पर मरने वाले ये श्रमिक राष्ट्र निर्माता हैं और यह राष्ट्र लगातार शक्तिवान होता गया है तो ये उतने ही निर्बल होते गए हैं.
श्रमिक स्पेशल ट्रेन के किराये को लेकर सरकार के विभिन्न दावों के बीच गुजरात से बिहार लौटे कामगारों का कहना है कि उन्होंने टिकट ख़ुद खरीदा था. उन्होंने यह भी बताया कि डेढ़ हज़ार किलोमीटर और 31 घंटे से ज़्यादा के इस सफ़र में उन्हें चौबीस घंटों के बाद खाना दिया गया.
महाराष्ट्र के भिवंडी में काम कर रहे पावरलूम मज़दूरों का एक समूह 25 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के महराजगंज आने के लिए साइकिल से निकला था. इस समूह के एक सदस्य तबारक अंसारी ने करीब 400 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद मध्य प्रदेश के सीमाई क्षेत्र के सेंदुआ में दम तोड़ दिया.
प्रवासी मज़दूरों के घर लौटने के प्रयासों के बीच बिहार और उत्तर प्रदेश के 1.09 लाख प्रवासियों ने अपने गृह राज्यों से वापस लौटने के लिए हरियाणा सरकार के वेब पोर्टल पर आवेदन किया है.
अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संगठन के महानिदेशक एंतोनियो विटोरिनो ने कहा प्रवासियों को कोविड-19 संक्रमण के ख़तरे के अलावा कलंक व पूर्वाग्रहों का सामना भी करना पड़ता है जिससे उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है.
तृणमूल कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि विडंबना यह है कि गृह मंत्री अमित शाह उन लोगों के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्हें उनकी ख़ुद की सरकार ने भगवान भरोसे छोड़ दिया है. वह या तो इन आरोपों को साबित करें या फिर माफ़ी मांगें.
पत्र के अनुसार, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन के बिना काम की अवधि को आठ घंटे प्रतिदिन से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है. इससे मजदूरों के मौलिक अधिकार को लेकर गंभीर ख़तरा पैदा हो रहा है.
जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले के चेनाब टेक्सटाइल मिल्स के श्रमिकों ने आरोप लगाया कि उन्हें मासिक वेतन के रूप में कम का भुगतान किया गया. वहीं, कर्नाटक के मेंगलुरु में सैकड़ों प्रवासी मज़दूरों ने भी घर भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया है.
बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले ये मज़दूर उदयपुर की जयसमंद झील में मछली पकड़ने का काम करते थे. लॉकडाउन का दूसरा चरण शुरू होने तक किसी तरह की मदद न मिलने पर इन्होंने घर का रुख़ किया. रास्ते में कहीं ट्रकवालों, तो कहीं ग्रामीणों की मदद से ये सभी 13 दिन बाद रविवार को अपने गांव पहुंचे हैं.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के रहने वाले राजू अंकलेश्वर के एक पावर प्लांट में काम करते थे. सोमवार को वे किसी को बिना बताए साइकिल से अपने गांव जाने के लिए निकले थे, इसी शाम उनका शव नेशनल हाईवे पर मिला.