पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने अपने पिता और पीडीपी संस्थापक मुफ़्ती मोहम्मद सईद की पुण्यतिथि पर कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों में आतंकवादियों से बात में शामिल है, जबकि जम्मू-कश्मीर में आपने आम लोगों को आतंकवादी क़रार दिया है. उन्हें गिरफ्तार कर जेलें भर दी हैं. उन्होंने पूछा कि कोई अपने नागरिकों के साथ ऐसा करता है क्या?
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में पिछले चार वर्षों में हथियारों, गोला-बारूद, आईईडी और डेटोनेटर की सबसे ज़्यादा बरामदगी हुई है. साल 2018 में 275, 2019 में 185, 2020 में 453, 2021 में 364, 2022 में 485 और इस साल 67 हथियार बरामद किए गए हैं.
जम्मू कश्मीर के प्रशासन ने तहसीलदारों को जारी एक आदेश में कहा है कि लापता लोगों की संपत्तियों का इस्तेमाल आतंकवाद को वित्तपोषित करने के लिए किया जा रहा है.
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक समारोह में कहा कि मीडिया को स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन यदि मीडिया स्वतंत्र है तो इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है. अगर एनजीओ स्वतंत्र हैं तो उन्हें इस तरह इस्तेमाल करने का प्रयास किया जाता है कि देश की पूरी व्यवस्था ठप हो जाए. यदि न्यायपालिका स्वतंत्र है तो क़ानूनी प्रणाली का इस्तेमाल कर विकास कार्यों को रोकने या धीमा करने का प्रयास किया जाता है.
प्रवासी कश्मीरी पंडितों को संबोधित करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि उन्हें लगा कि कश्मीर उनका होगा. इस मंच से यह दोहराना चाहता हूं कि अगर आसमान और धरती भी हाथ मिला लें तो भी जम्मू कश्मीर उनके हाथों में नहीं आएगा.
असम की फिल्मकार रजनी बसुमतारी ने नाख़ुशी ज़ाहिर करते हुए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समिति के अध्यक्ष एन. चंद्रा को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार द्वारा छोटे सांस्कृतिक समुदायों, उनकी भाषा संस्कृति को सहेजने के वादों के बीच किसी बोडो फिल्म का ऐसी फिल्म की ही श्रेणी में न चुना जाना निर्णायक मंडल के सदस्यों की विफलता है.
साक्षात्कार: असमी भाषा की फिल्म ‘राग’ और बोडो भाषा की फिल्म ‘जोलै: द सीड’ की निर्देशक और अभिनेत्री रजनी बसुमतारी से प्रशांत वर्मा की बातचीत.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी कश्मीर के कुछ गांवों में ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों पर मारपीट और गंभीर रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं. भारतीय सेना का कहना है कि उन्हें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने उर्दू दैनिक आफ़ाक़ के संपादक ग़ुलाम जिलानी क़ादरी को सोमवार देर रात गिरफ़्तार किया था. मंगलवार को उन्हें ज़मानत देते हुए स्थानीय अदालत ने पुलिस को फटकारते हुए कहा कि अगर क़ादरी 'घोषित अपराधी' थे तो दो बार उनका पासपोर्ट वेरीफिकेशन कैसे हुआ.
श्रीनगर से निकलने वाले उर्दू दैनिक आफ़ाक़ के संपादक और मालिक ग़ुलाम जिलानी क़ादरी को सोमवार देर रात उनके घर से गिरफ़्तार किया गया. पुलिस का कहना है कि 1992 में हुए एक मामले के संबंध में टाडा कोर्ट के समन पर ऐसा किया गया, वहीं क़ादरी के परिजनों का कहना है कि इसका उद्देश्य उन्हें प्रताड़ित करना है.
भाजपा मतदाताओं को यह दिखाने के लिए कि वह आतंक पर सख़्त है, उस मौजूदा कश्मीर नीति से छेड़छाड़ कर रही है, जो अलगाववादियों के साथ सामंजस्य लाने के उद्देश्य से बनाई गई थी. एक ऐसी नीति, जो राज्य को बर्बादी की कगार से वापस लाई थी.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने एक संदिग्ध आतंकवादी के परिजनों के साथ पुलिस हिरासत में कथित तौर पर हुई मारपीट पर नाराज़गी जताते हुए राज्यपाल से घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अपील की है.