दिसंबर 2021 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का हवाला देते हुए सुरक्षा मंज़ूरी देने से मना कर दिया था और जनवरी में इसके प्रसारण पर रोक लगाने को कहा था. शीर्ष अदालत ने सरकार से बिना विशेष कारण बताए प्रतिबंध लगाने को लेकर सवाल-जवाब किए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 16 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए गुजरात के मेहसाणा और आनंद ज़िलों के कलेक्टरों को पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ़ग़ानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी, ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान करने की अनुमति दी है.
अगस्त में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के दिल्ली के रोहिंग्याओं को ईडब्ल्यूएस फ्लैट देने के बयान का खंडन करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि ऐसे कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं और दिल्ली सरकार को उनके ठहरने के वर्तमान स्थल को डिटेंशन केंद्र घोषित करने का निर्देश दिया गया है.
1975 बैच के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी के. विजय कुमार को सीआरपीएफ के महानिदेशक के रूप में 2012 में सेवानिवृत्त होने के बाद गृह मंत्रालय के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्हें चंदन तस्कर वीरप्पन को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है.
केंद्र सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया है. यूएपीए के तहत एक बार किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा 30 दिनों के भीतर यह देखने के लिए एक न्यायाधिकरण गठन किया जाता है कि संगठन को ग़ैर क़ानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त आधार है या नहीं.
राजद सांसद मनोज झा को 23 अक्टूबर को लाहौर में पाकिस्तान की जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर की याद में होने वाले कार्यक्रम में बुलाया गया था. झा ने उनका आवेदन को ख़ारिज होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि गृह मंत्रालय से मंज़ूरी मिल चुकी थी, लेकिन विदेश मंत्रालय ने राजनीतिक स्वीकृति नहीं दी.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ का एक अध्ययन बताता है कि वर्ष 2009 से 2022 के बीच एनआईए ने यूएपीए के कुल 357 मामले दर्ज किए. इनमें से 238 मामलों की जांच में पाया गया कि 36 फीसदी में आतंकवाद की कुछ घटनाएं हुई थीं, पर 64 फीसदी मामलों में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं हुई जिनमें हथियार शामिल थे.
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल ही में प्रतिबंधित किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ पिछले कुछ वर्षों में 1,400 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
बीते दिनों देशभर में पीएफआई दफ्तरों पर पड़े छापों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहत इस पर प्रतिबंध लगाते हुए दावा किया है कि वे 'देश में असुरक्षा होने की भावना फैलाकर एक समुदाय में कट्टरता को बढ़ाने के मक़सद' से गुप्त रूप से काम कर रहे हैं.
मिज़ोरम के सत्तारूढ़ दल मिज़ो नेशनल फ्रंट से राज्यसभा सांसद के. वनलालवेना ने बताया कि फरवरी 2021 में म्यांमार में तख़्तापलट होने के बाद से राज्य सरकार ने लगभग तीस हज़ार शरणार्थियों को पंजीकृत किया है. हालांकि कई शरणार्थी अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ रह रहे हैं, इसलिए उनका पंजीकरण नहीं हुआ है.
गुजरात में इशरत जहां की कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामले की जांच में सीबीआई की मदद करने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को बीते 30 अगस्त को उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बर्ख़ास्त कर दिया गया है. उन्होंने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
देश में बढ़ती असहिष्णुता का हवाला देकर वर्ष 2019 में सरकारी सेवा से इस्तीफ़ा के बाद अपना राजनीतिक दल बनाने वाले कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फ़ैसल ने पिछले दिनों नौकरशाही में वापस आने के संकेत दिए थे. इस दौरान वे कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गईं योजनाओं की लगातार सराहना करते देखे जा रहे थे.
इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी. स्वतंत्र भारत के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके तहत सरकार 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही है, जिसके मद्देनज़र लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए यह क़दम उठाया गया है.
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 से 2021 के दौरान नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या 3,92,643 थी. इसमें वर्ष 2019 में 1,44,017 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी, जबकि 2020 में 85,256 और वर्ष 2021 में 1,63,370 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी.
गृह मंत्रालय ने अपनी विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम वेबसाइट से वो डेटा हटा दिया है, जिसमें एनजीओ के वार्षिक रिटर्न और उन एनजीओ की सूची शामिल है जिनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. मंत्रालय ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ये डेटा जनता के देखने के लिए 'गैर-ज़रूरी' माना गया था.