वीडियो: फसलों पर एमएसपी पर ख़रीद की गारंटी समेत अन्य मांगों के साथ पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर जुटे किसानों के ख़िलाफ़ हरियाणा पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में हैं. पुलिस पर लगातार आंसू गैस के गोले छोड़ने और पैलेट गन का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगा है. बीते 21 फरवरी को पुलिस से झड़प में एक युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत भी हो गई थी.
वीडियो: किसान वर्तमान में जारी अपना प्रदर्शन फसलों के अधिकतम मूल्य को लेकर नहीं कर रहे हैं, बल्कि सरकार से ऐसी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं कि उन्हें अपनी वाजिब मेहनत के लिए वाजिब कीमत मिल जाए. किसानों के प्रदर्शन और उनकी मांगों पर द वायर के अजय कुमार प्रकाश डाल रहे हैं.
बीते 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा की खनौरी सीमा पर शुभकरण की मौत हरियाणा पुलिस की कार्रवाई के दौरान हो गई थी. उनकी मौत के कारण किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च को अस्थायी रूप से रोक दिया है. इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनके परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता और बहन को नौकरी देने की घोषणा की.
किसानों के आंदोलन को रोकने के दौरान हरियाणा पुलिस की द्वारा की गईं कार्रवाइयों की आलोचना हो रही है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती इलाकों में 170 से अधिक किसान घायल हो गए और 22 वर्षीय शुभकरन सिंह की मौत हो गई. पुलिस विरोध कर रहे किसानों के ख़िलाफ़ आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल कर रही है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने कॉरपोरेट मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए भारत के जंगलों को उन्हें सौंपने और पर्यावरण को प्रदूषित करना आसान बनाना चाहते थे. इसलिए सबसे पहले उन्होंने 2017 में नियमों को बदल दिया, ताकि उन परियोजनाओं को वैध बनाया जा सके, जिन्होंने वन मंज़ूरी का उल्लंघन किया था.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों को चौथे दौर की वार्ता में केंद्र द्वारा पांच साल के लिए एमएसपी पर पांच फसलें खरीदने का प्रस्ताव दिया गया था, जिस पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि यह अनुबंध खेती का प्रस्ताव था, जो पहले ही विफल हो चुकी है. यह किसानों को स्थायी आय की गारंटी नहीं दे सकती है.
तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को वापस लेने के समय 2 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ केंद्र द्वारा किए गए समझौतों को तुरंत लागू करने की मांग के साथ 21 फरवरी को प्रदर्शन किया जाएगा. संगठन ने चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किसानों की समस्याओं से जोड़ते हुए इसके माध्यम से भ्रष्टाचार को वैध बनाने के लिए मोदी सरकार की निंदा की.
शंभू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान मज़दूर मोर्चा ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार किसानों के विरोध का समाधान करना चाहती है तो उसे तुरंत एक अध्यादेश जारी करना चाहिए, चर्चा इसके बाद भी की जा सकती है. इस बीच, केंद्र ने पंजाब के 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट पर प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ा दिया है.
कर्नाटक के हुबली के किसान नेता किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के रास्ते दिल्ली जा रहे थे, लेकिन जब वे भोपाल रेलवे स्टेशन पर उतरे तो उन्हें पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि यह स्पष्ट है कि इस कृत्य के पीछे आपराधिक दिमाग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार का है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक, आम आदमी पार्टी के कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता और दिल्ली जल बोर्ड के एक पूर्व सदस्य के परिसरों की तलाशी के अगले दिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि एक अयोग्य कंपनी को ठेका देने के लिए दी गई रिश्वत का एक हिस्सा चुनावी फंड के रूप में पार्टी को गया था.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसी कार्यक्रम की चकाचौंध के पीछे वास्तविकता को छिपाने की कला में महारत हासिल कर लिया है. यही देश और इसकी अर्थव्यवस्था के लिए संकट बन गया है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने 45 साल की उच्चतम बेरोज़गारी दर के साथ भारत को बेरोज़गारी में ‘विश्वगुरु’ बना दिया है.
कर्पूरी ठाकुर का पूरा जीवन संघर्ष बताता है कि उनकी और भाजपा की राजनीति में ज़मीन-आसमान का अंतर है. मोदी सरकार का कोई भी नेता कर्पूरी ठाकुर की नैतिकता और ईमानदारी को अपनी जीवन में जगह नहीं देता है. मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न ज़रूर दिया है मगर इसका मक़सद केवल चुनावी हिसाब-किताब है.
वीडियो: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के फैसले और मंडल-कमंडल राजनीति को लेकर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
'जननायक' के नाम से लोकप्रिय समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को पुरस्कार देने की मांग पिछले कुछ दशकों में बिहार के प्रमुख नेताओं द्वारा की गई थी. 1978 में बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अत्यंत पिछड़े वर्गों, शिक्षित और ग़रीब महिलाओं के लिए आरक्षण की घोषणा की थी.
मराठवाड़ा संभागीय आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में मराठवाड़ा में 1,088 किसानों ने आत्महत्या की. मराठवाड़ा के बीड ज़िले में सबसे अधिक 269 मौतें दर्ज की गईं. इसके बाद औरंगाबाद ज़िले में 182, नांदेड़ में 175, धाराशिव में 171 और परभणी ज़िले में 103 मौतें हुईं.