निरस्त किए जा चुके कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध का अगुवा रहा संयुक्त किसान मोर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी की मांग करता रहा है. मोर्चे के नेता दर्शन पाल ने हरियाणा में आयोजित किसान महापंचायत मे कहा कि देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा है और वे दिल्ली में 15-22 मार्च के बीच बड़ा प्रदर्शन करेंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय किसान संघ की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘किसान गर्जना रैली’ का आयोजन किया गया. न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा किसानों ने कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने, पीएम-किसान योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि और जीएम फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति को ख़त्म करने की मांग की है.
राजस्थान विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा कि सत्ता आती-जाती रहती है. इंदिरा गांधी की सत्ता भी चली गई जबकि लोग कहते थे कि उन्हें कोई हटा नहीं सकता. एक दिन आप भी चले जाएंगे इसलिए हालात इतने भी न बिगाड़े कि सुधारा न जा सके.
विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन के अगुवा रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की दूसरी सालगिरह यानी 26 नवंबर को पूरे देश में ‘राजभवन मार्च’ निकालने का आह्वान किया है. इस दौरान बिजली विधेयक के मसौदे को वापस लेना, किसानों और कृषि श्रमिकों को पूर्ण ऋण माफ़ी जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे.
वीडियो: लखीमपुर खीरी की घटना के एक साल पूरे होने के बाद राकेश टिकैत वहां पहुंचे थे. टिकैत ने सरकार को किसान और ग़रीब विरोधी बताया, साथ ही पीड़ित परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों, महंगाई, एमएसपी, चारे की कमी जैसे कई विषयों पर द वायर के लिए इंद्र शेखर सिंह से बात की.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन अब वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बहस कर रही है कि किसानों को लागत के 50 प्रतिशत से अधिक एमएसपी की पेशकश बाजारों को विकृत कर देगी.
घटना पुणे की है, जहां जुन्नर तालुका के 45 वर्षीय किसान दशरथ लक्ष्मण केदारी ने सुसाइड नोट में किसानों की दुर्दशा की अनदेखी के लिए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र को ज़िम्मेदार ठहराया है. नोट में केदारी ने फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने और लोन रिकवरी एजेंटों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात भी लिखी है.
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आयकर विभाग व ईडी द्वारा मारे जा रहे छापों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना पर कहा कि कुछ छापे भाजपा वालों पर भी डलवा दिए जाएं तो यह बात नहीं कही जाएगी. भाजपा में छापे डलवाने लायक बहुत लोग हैं.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर अपने उन उद्योगपति दोस्तों की मदद करने के लिए एमएसपी पर क़ानून नहीं बनाने का आरोप लगाया, जो कम दरों पर किसानों से फसल ख़रीदते हैं और उच्च कीमतों पर प्रसंस्कृत उत्पाद बेचते हैं.
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की मांग का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि देश के किसानों को आप हरा नहीं सकते. उसके यहां ईडी, इनकम टैक्स वालों को नहीं भेज सकते. किसान लड़ेगा और एमएसपी लेकर रहेगा.
किसान यूनियनों ने अपनी मांगों के संबंध में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए यह महापंचायत बुलाई है, जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए क़ानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा की संलिप्तता को देखते हुए उनके पिता केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्ख़ास्त करने का मुद्दा शामिल है.
केंद्र सरकार ने सोमवार को फसलों के ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ को लेकर एक 26 सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि केंद्र द्वारा गठित यह समिति किसानों के क़ानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती है और निरस्त किए जा चुके कृषि क़ानूनों का समर्थन करने वाले तथाकथित किसान नेता इसके सदस्य हैं.
निरस्त हो चुके तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर समिति का गठन किया गया और न ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज फ़र्ज़ी मामले वापस लिए गए हैं.
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जयपुर में जाट समाज के एक कार्यक्रम को में एमएसपी क़ानून लाने का समर्थन करते हुए कहा कि धरना ख़त्म हुआ है, आंदोलन नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल के बतौर उनके कार्यकाल के चार महीने बाकी हैं, जिसके बाद वे किसानों के लिए काम करेंगे.
मोदी सरकार सोचती है कि यह कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार को मनमर्ज़ी ढंग से नियंत्रित कर सकती है और किसानों और व्यापारियों को नुकसान पहुंचाए बगैर अपने फ़ैसलों को रातोंरात बदल सकती है.