पाकिस्तान ने हाल में हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने के इरादे से दिए गए कथित नफ़रत भरे भाषणों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत के लिए यह बहुत ही निंदनीय बात है कि न तो आयोजकों ने कोई खेद व्यक्त किया है और न ही भारत सरकार ने उनकी निंदा की है.
पिछले सात साल में बार-बार मुसलमानों और ईसाइयों के ख़िलाफ़ हिंसा के इशारे किए गए और उनके लिए सर्वोच्च स्तर से तर्क दिया गया. जब आप जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर, अपनी बेटियों की दूसरे धर्म में शादी रोकने के नाम पर, मुसलमान औरतों को उनके मर्दों से बचाने के नाम पर क़ानून बनाते हैं तो उनके ख़िलाफ़ हिंसा के लिए ज़मीन तैयार करते हैं.
हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर ने यह भी कहा कि जिला प्रशासन के खुले स्थानों पर नमाज़ के लिए कुछ स्थानों को आरक्षित करने का पूर्व निर्णय वापस ले लिया गया है और राज्य सरकार अब इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेगी. गुड़गांव में पिछले कुछ महीनों में कुछ हिंदू संगठनों के सदस्य उन जगहों पर इकट्ठा हो जाते हैं, जहां मुस्लिम खुले स्थान पर नमाज़ अदा करते हैं और ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के नारे
वीडियो: मध्य प्रदेश के इंदौर में 13 वर्षीय स्कूली छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न और पहचान से जुड़े दस्तावेज़ों की जालसाज़ी के मामले में साढ़े तीन महीने तक जेल में रहने के बाद उत्तर प्रदेश के रहने वाले चूड़ी विक्रेता तसलीम अली को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश के इंदौर में 13 वर्षीय स्कूली छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न और पहचान से जुड़े दस्तावेज़ों की जालसाज़ी के मामले में साढ़े तीन महीने तक जेल में रहने के बाद ज़मानत पर रिहा हुए चूड़ी विक्रेता तसलीम अली ने दावा किया कि वह बेगुनाह हैं और उन्हें छेड़छाड़ के झूठे मामले में फंसाया गया है.
गुड़गांव मुस्लिम काउंसिल ने कहा कि दो दशकों से अधिक समय से खुले स्थानों पर जुमे की नमाज़ अदा की जा रही है, क्योंकि समुदाय के पास पर्याप्त संख्या में मस्जिद नहीं हैं. मई 2018 के बाद शहर में पहली बार नमाज़ बाधित होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद से मुसलमानों को प्रताड़ित करने के कई प्रयास हुए हैं.
उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने कहा कि कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे का समाधान कर दिया लेकिन काशी और मथुरा में 'सफेद ढांचे' हिंदुओं को आहत करते हैं. वह समय भी आएगा जब मथुरा में हर हिंदू को चुभने वाला सफेद ढांचा अदालत की मदद से हटा दिया जाएगा.
मध्य प्रदेश के इंदौर में इस साल रक्षाबंधन के मौके पर कुछ लोगों ने चूड़ी बेच रहे तस्लीम अली का नाम पूछकर उनकी बर्बर पिटाई कर दी थी. इसे लेकर जब उन्होंने शिकायत दर्ज कराई, तो दूसरे पक्ष की ओर से अली पर एक नाबालिग से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज कराया गया था.
उत्तर प्रदेश के सलेमपुर से भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के विरोध को देखते हुए तीनों नए कृषि क़ानून को वापस ले सकती है तो फिर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 को भी वापस लिया जा सकता है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र द वायर की टीम राज्य के बुलंदशहर ज़िले के डिबाई विधानसभा पहुंची और महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनता की राय मांगी.
संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति प्रशासन को एक अल्टीमेटम जारी कर कहा कि अगले सप्ताह से वे शहर में किसी भी सार्वजनिक स्थान पर नमाज़ की अनुमति नहीं देंगे. बीते शुक्रवार को गुड़गांव के सेक्टर 37 में नमाज़ स्थल पर प्रदर्शनकारियों द्वारा नारेबाज़ी जारी रहने और शांति भंग होने की आशंका को देखते हुए पुलिस ने 10 लोगों को हिरासत में ले लिया था और बाद में एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में चुनावी हलचल होनी शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस के अलावा सत्तारूढ़ भाजपा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कवायद में जुट गई हैं. द वायर की टीम ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले के नरौरा जाकर लोगों से आने वाले चुनाव के संबंध में प्रतिक्रिया ली और उनका मूड जानने की कोशिश की.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही हैं. हर पार्टी अपने वोटर को हाथ से जाने नहीं देना चाहती. उनकी नज़र राज्य के मुस्लिम वोटर पर है. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने लखनऊ के मुस्लिम समुदाय से बात की और वहां बन रहे चुनावी समीकरण को जाना.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद की हालिया किताब की बिक्री और प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र व दिल्ली सरकार को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से मना करते हुए कहा कि यह 'एक मौक़ापरस्त याचिकाकर्ता' हैं जिन्होंने प्रचार के लिए याचिका दायर की.
कोई नहीं कह सकता कि नेता के तौर पर मनीष तिवारी या सलमान ख़ुर्शीद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है या उसे पूरा करने के लिए वे किताब लिखने समेत जो करते हैं, उसे लेकर आलोचना नहीं की जानी चाहिए. लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के नेताओं के रूप में उन्हें अपने विचारों को रखने की इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वे लेखक के बतौर पार्टी लाइन के ज़रा-सा भी पार जा सकें?