गौहाटी हाईकोर्ट ने बोंगाईगांव के निवासी फोरहाद अली की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया, जिन्हें अक्टूबर 2019 में एक न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित कर दिया गया था. अदालत ने चिंता व्यक्त की कि कई मामलों में बिना कारण बताए या दस्तावेज़ों का उचित विश्लेषण किए बिना लोगों को विदेशी घोषित कर दिया गया होगा.
हिंदुस्तान में जगह-जगह दरारें पड़ रही हैं या पड़ चुकी हैं. यह कहना बेहतर होगा कि ये दरारें डाली जा रही हैं. पिछले विभाजन को याद करने से बेहतर क्या यह न होगा कि हम अपने वक़्त में किए जा रहे धारावाहिक विभाजन पर विचार करें और उसे रोकने को कुछ करें?
राजद्रोह का मामला रद्द करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि बच्चों को सरकार की नीतियों की आलोचना करना न सिखाएं. मामला कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन स्कूल से जुड़ा है. साल 2020 में यहां के छात्रों द्वारा सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ एक नाटक का मंचन करने पर विवाद हो गया था.
जनवरी 2020 में कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन स्कूल के कुछ छात्रों ने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए एक नाटक में भाग लिया था, तब पुलिस ने राजद्रोह और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.
समान नागरिक संहिता 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में शुमार था. 2022 के अंत में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा के प्रमुख मुद्दों में समान नागरिक संहिता को लागू करना शामिल था.
असम में कई विपक्षी दलों द्वारा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) प्रक्रिया के समापन तक परिसीमन अभ्यास को रोकने के आग्रह से संबंधित ज्ञापन चुनाव आयोग को सौंपे जाने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने यह बात कही है. ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा मुस्लिम बहुल सीटों के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कर रही है.
डॉ. आंबेडकर ने संविधान के पहले मसौदे को संविधान सभा में पेश करते हुए कहा था कि 'नवजात प्रजातंत्र के लिए संभव है कि वह आवरण प्रजातंत्र का बनाए रखे, परंतु वास्तव में तानाशाही हो जाए.' जब मोदी की चुनावी जीत को लोकतंत्र, उनसे सवाल या मतभेद रखने वालों को लोकतंत्र का दुश्मन बताया जाता है, तब डॉ. आंबेडकर की चेतावनी सही साबित होती लगती है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि एनआरसी असफल रहा और असम समझौता उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन एक ऐसा अभ्यास हो सकता है, जिसके माध्यम से हम असम के भविष्य को दो दशकों तक सुरक्षित रख सकते हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दोहराया कि शरणार्थियों के मतों के बल पर सरकार में चुने जाने के बाद उन्हें इस देश का नागरिक नहीं माना जा रहा. भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश के प्रधानमंत्री को चुनने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, उन्हें नागरिकता का प्रमाण देने की आवश्यकता क्यों है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी वर्ष 2021-22 की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि कोविड-19 महामारी के कारण राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने और अन्य संबंधित ज़मीनी गतिविधियों को स्थगित कर दिया गया था. केंद्र सरकार इस उद्देश्य के लिए पहले ही 3,941 करोड़ रुपये मंज़ूर कर चुकी है.
दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को राजद्रोह के उस मामले में ज़मानत दी है, जिसमें उन पर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया में दिए भाषण के ज़रिये दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों के चलते उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा.
मोदी सरकार एक ऐसा राज्य स्थापित करने की कोशिश में है जहां जनता सरकार से जवाबदेही न मांगे. नागरिकों के कर्तव्य की सोच को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़ा था. मोदी सरकार बिना आपातकाल की औपचारिक घोषणा के ही अधिकारहीन कर्तव्यपालक जनता गढ़ रही है.
बीते कुछ समय से मणिपुर में अवैध घुसपैठ का दावा करते हुए एनआरसी की मांग तेज़ी से सिर उठा रही है. विधानसभा में जदयू विधायक के. जॉयकिशन ने दावा किया कि पर्वतीय क्षेत्रों में 1971 से 2001 के बीच जनसंख्या में 153.3% की वृद्धि हुई और 2002-11 में यह दर 250.9 फीसदी हो गई. उन्होंने कहा कि इसकी वजह बाहर से लोगों की कथित घुसपैठ हो सकती है.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम को दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में वर्ष 2020 में भड़के दंगे के कथित षड्यंत्र के मामले में जनवरी 2020 में गिरफ़्तार किया गया था. तब से वे जेल में हैं.
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 से 2021 के दौरान नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या 3,92,643 थी. इसमें वर्ष 2019 में 1,44,017 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी, जबकि 2020 में 85,256 और वर्ष 2021 में 1,63,370 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी.