सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम-2023 में एक फैक्ट-चैकिंग इकाई का प्रावधान है जो केंद्र सरकार से संबंधित ऐसी सूचनाओं को चिह्नित करेगी, जिन्हें वह ग़लत, फ़र्ज़ी या भ्रामक मानती है. केंद्र ने प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की फैक्ट-चेक शाखा को फैक्ट-चेकिंग इकाई (एफसीयू) के रूप में नामित किया था.
प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो की वेबसाइट पर 12 मार्च को शाम सात बजे के क़रीब जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 'उत्पीड़न के नाम पर इस्लाम की छवि ख़राब होने से बचाता है'. बाद में इसे हटा दिया गया, जिसका कारण स्पष्ट नहीं है.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि ये सभी लेख सरकारी अधिकारियों या केंद्रीय मंत्रियों द्वारा लिखे गए थे. इन लेखों में उन्होंने जी-20 के लक्ष्यों के अनुरूप सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला था, मोदी की प्रशंसा की थी और जी-20 की अध्यक्षता करने के लिए भारत के महत्व को समझाया था.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करते हुए ये टिप्पणियां कीं. आईटी नियम सरकार को फैक्ट चेक इकाई के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर इसके बारे में ‘फ़र्ज़ी समाचार’ की पहचान करने और उन्हें हटाने का आदेश देने का अधिकार देती हैं.
नए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम-2023 में मोदी सरकार ने स्वयं को एक ‘फैक्ट-चेकिंग इकाई’ गठित करने की शक्ति दी है, जिसके पास यह निर्धारित करने के लिए व्यापक शक्तियां होंगी कि केंद्र से जुड़े किसी भी मामले के संबंध में क्या ‘फ़र्ज़ी या ग़लत या भ्रामक’ जानकारी है.
एशिया इंटरनेट कोअलिशन के अलावा इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित विभिन्न प्रेस निकायों ने कानून और स्वतंत्र प्रेस पर इसके प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की है. इनकी ओर से कहा गया था कि आईटी नियम सरकार या उसकी नामित एजेंसी को कोई ख़बर फ़र्जी है या नहीं, यह निर्धारित करने के लिए ‘पूर्ण’ और ‘मनमानी’ शक्ति प्रदान करेंगे.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत नवंबर 2019 में प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो में एक फैक्ट-चेक इकाई बनाई थी, जिसे केंद्र से संबंधित फ़र्ज़ी ख़बरों के स्वत: संज्ञान के साथ नागरिकों द्वारा भेजे प्रश्नों के माध्यम से संज्ञान लेने का काम मिला था. इसे सही जानकारी के साथ इन सवालों का जवाब देने और सोशल मीडिया पर किसी भी ग़लत सूचना को चिह्नित करने का भी काम सौंपा गया है.
सरकार की अधिकृत सूचना इकाई पीआईबी को सोशल मीडिया मंचों पर फ़र्ज़ी ख़बरों की निगरानी का अधिकार दिए जाने के प्रस्ताव पर विभिन्न मीडिया संगठनों ने गहरी चिंता व्यक्त की है. इससे पहले एडिटर्स गिल्ड ने कहा था कि फ़र्ज़ी ख़बरों का निर्धारण सिर्फ़ सरकार के हाथ में नहीं सौंपा जा सकता है, इसका नतीजा प्रेस को सेंसर करने के रूप में निकलेगा.
आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन कहता है कि पीआईबी की फैक्ट-चेक इकाई द्वारा ‘फ़र्ज़ी’ बताई गई सामग्री सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटानी होगी. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव की पत्रकार तपस्या ने बताया कि इस फैक्ट-चेक इकाई ने उनकी एक रिपोर्ट को बिना किसी दस्तावेज़ी प्रमाण के सिर्फ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक ट्वीट के आधार पर 'फ़र्ज़ी' क़रार दे दिया था.
प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि प्रेस काउंसिल पहले से ही फ़र्ज़ी समाचार की कई शिकायतों पर फैसला कर रही है. पीआईबी जैसी विशुद्ध रूप से सरकारी संस्था को फेक न्यूज़ को निर्धारित करने और कार्रवाई करने की शक्ति मिलने से प्रेस काउंसिल का अधिकार, स्वतंत्रता कम हो जाएगी, जो 1966 से सुचारू रूप से काम कर रही है.
आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन कहता है कि पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग इकाई या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा 'फ़र्ज़ी' क़रार दी गई सामग्री सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटानी होगी. डिजिटल मीडिया संगठनों के संघ डिजीपब ने कहा कि यह प्रेस की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाने का संस्थागत तंत्र बन सकता है.
आईटी नियम के मसौदा संशोधन में कहा गया है कि पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग इकाई या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा झूठी चिह्नित की गई सामग्री को सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटाना होगा. एडिटर्स गिल्ड ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह प्रेस की सेंसरशिप के समान है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के एक संशोधन मसौदे में कहा है कि प्रेस सूचना ब्यूरो की फैक्ट-चेकिंग इकाई या सरकार द्वारा अनुमोदित किसी अन्य एजेंसी द्वारा झूठी चिह्नित की गई सामग्री को सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटाना होगा.
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में बताया कि यह कार्रवाई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69ए के तहत की गई है. फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने के लिए 2021-22 के दौरान 94 यूट्यूब चैनल, 19 सोशल मीडिया खातों और 747 यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) को ब्लॉक कर दिया है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सौंपे गए एक संयुक्त पत्र में पत्रकार संगठनों ने मंत्री अनुराग ठाकुर से नए मान्यता दिशानिर्देश रद्द करने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि नए दिशानिर्देशों पर सभी हितधारकों के साथ चर्चा होने के बाद ही आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं.