राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि जैसे-जैसे हम 2024 के क़रीब आ रहे हैं भाजपा सांप्रदायिक हिंसा, अभद्र भाषा, अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करना, ईडी, सीबीआई, चुनाव आयोग के इस्तेमाल से विपक्ष को निशाना बनाना, जैसी योजनाओं पर काम कर रही है.
भारतीय जनता पार्टी के नेता अब खुलकर रामनवमी में हिंसा का उकसावा कर रहे हैं. और वे सरकारों में हैं. उन्होंने इसे हिंदुत्व के लिए गोलबंदी का ज़रिया बना लिया है. अब रामनवमी उन राज्यों में भी मनाई जाने लगी है जहां इसका रिवाज न था.
गुरुवार को रामनवमी के अवसर पर महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, बिहार, गुजरात राज्यों से दो समुदायों के बीच झड़प की खबरें आई हैं. महाराष्ट्र के संभाजीनगर, पश्चिम बंगाल के डलखोला और कर्नाटक के हासन में सांप्रदायिक टकराव में लोगों की जान गंवाने की भी सूचनाएं आई हैं.
बीते वर्ष अप्रैल में रामनवमी और हनुमान जयंती पर देश के विभिन्न राज्यों में सांप्रदायिक झड़प के मामले देखे गए थे. इस संबंध में ‘सिटीजंस एंड लॉयर्स इनिशिएटिव’ द्वारा द्वारा तैयार एक रिपोर्ट बताती है कि इन घटनाओं में समानताएं पाई गई हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा को अंजाम देने के लिए कैसे धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल किया गया.
मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हो गई थी. अधिकारी ने बताया कि हिंसा को उकसाने के मुख्य आरोपियों में से एक इक़बाल बानी, अफ़ज़ल और अर्श उर्फ कैफ़ को गिरफ्तार किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा भी समाप्त कर दी गई है. खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी पर निकाले गए धार्मिक जुलूस के दौरान हुई हिंसा में दुकानों, घरों एवं वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया था. इसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी, जिसके बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया. ढील न दिए जाने के संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि खरगोन में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और शहर के सभी धार्मिक स्थल मंगलवार को बंद रहेंगे.
भारतीय-अमेरिकी सुपरमॉडल और लेखक पद्मा लक्ष्मी ने कई ट्वीट्स कर कहा है कि भारत में ‘व्यापक पैमाने पर मुस्लिम विरोधी’ बयानबाज़ी चल रही है और उन्होंने उम्मीद जतायी कि हिंदू ‘इस डर पैदा करने’ और ‘दुष्प्रचार’ के जाल में नहीं फंसेंगे.
वीडियो: मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में सांप्रदायिक हिंसा के बाद यहां से आठ किमी दूर कुकडोल गांव में अब्दुल हमीद और उनका परिवार 12 अप्रैल की रात को तब दहशत में आ गया था, जब 20 वर्षीय बलराम चौहान उर्फ बलराम राजपूत के नेतृत्व में भीड़ ने उनके घर पर धावा बोल दिया. अब्दुल का आरोप है कि भीड़ ने उनकी मूक बधिर बेटी के साथ बलात्कार करने की धमकी दी, उनकी पत्नी के कपड़े फाड़े और पत्थरों से
वीडियो: मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से 28 वर्षीय इबरिस खान लापता हो गए थे. उनका परिवार तब से उन्हें लगातार तलाश रहा था. बीते 17 अप्रैल को पता चला कि एक अज्ञात शव मिला था. खरगोन में फ्रीज़र सुविधा न होने के चलते शव को पोस्टमॉर्टम के बाद इंदौर के एक अस्पताल भेज दिया गया था. शव की पहचान इबरिस के रूप में हुई थी.
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान पथराव के चलते दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई थी, तब से खरगोन कर्फ्यू के साये में है. दो दिनों से कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील दी गई है. पुलिस के मुताबिक, मामले में अब तक 64 एफआईआर दर्ज की गई हैं.
वीडियो: हिजाब, मांस और रामनवमी के नाम पर मुसलमानों पर लगातार हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ बीते दिनों दिल्ली के जंतर मंतर पर छात्र, कलाकार, शिक्षक और विभिन्न वर्गों के आम नागरिक एकत्रित हुए. उन्होंने मुस्लिमों का समर्थन करने की अपील की.
वीडियो: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर खरगोन ज़िला प्रशासन और पुलिस ने रामनवमी जुलूस पर कथित तौर पर हमले में शामिल लोगों के घर तोड़ दिए हैं. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: जिस देश में हिंदू बहुसंख्यक हैं और मुसलमान अल्पसंख्यक, वहां हिंदुओं का एक धड़ा अल्पसंख्यक समुदाय से ख़तरा महसूस करता है. देश के विभिन्न स्थानों पर हाल में हुईं सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
वीडियो: हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर निकाले गए जुलूसों के दौरान देश के विभिन्न शहरों में सांप्रदायिक हिंसा की ख़बरें सामने आई थीं. इनमें मध्य प्रदेश का खरगोन शहर भी शामिल है. हिंसा के बाद ज़िला प्रशासन द्वारा कई घरों और दुकानों को गिराने की कार्रवाई की गई थी.