अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने 22 जनवरी तक सरकारी बसों में स्थापित सार्वजनिक संबोधन प्रणालियों के माध्यम से राम भजन बजाने के निर्देश जारी किए हैं. वहीं जेल मंत्री ने कहा है कि राज्य भर की सभी जेलों में क़ैदियों के बीच हनुमान चालीसा और सुंदर कांड की 50,000 से अधिक प्रतियां बांटी जाएंगी.
एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर ने कहा कि वह रामचरितमानस में शामिल ‘जातिवादी संदर्भों’ का विरोध करना जारी रखेंगे. बीते साल भी उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति, रामचरितमानस और एमएस गोलवलकर द्वारा लिखित ‘अ बंच ऑफ थॉट्स’ ‘विभाजनकारी ग्रंथ’ हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने ‘अहिंसक और गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए अपने उत्कृष्ट योगदान’ के लिए गीता प्रेस का चयन किया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने फैसले की आलोचना करने के लिए कहा कि यह फैसला ‘सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने’ जैसा है.
बीते दिनों सोनभद्र के ज़िला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे अपने-अपने ब्लॉक में तीन शिक्षकों का चयन करें और 28 एवं 29 मार्च को प्रमुख मंदिरों में उनके द्वारा ‘रामचरितमानस’ का अखंड पाठ करना सुनिश्चित करें.
बीएचयू के धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग ने ‘भारतीय समाज में मनुस्मृति की प्रयोज्यता’ पर शोध का प्रस्ताव दिया है. 21वीं सदी की तीसरी दहाई में जब दुनियाभर में शोषित उत्पीड़ितों में एक नई रैडिकल चेतना का संचार हुआ है, 'ब्लैक लाइव्ज़ मैटर' जैसे आंदोलनों ने विकसित मुल्कों के सामाजिक ताने-बाने में नई सरगर्मी पैदा की है, तब अतीत के स्याह दौर की याद दिलाती इस किताब की प्रयोज्यता की बात करना दुनिया में भारत की क्या छवि बनाएगा?
बाबासाहब डाॅ. भीमराव आंबेडकर ने दलितों में तो डाॅ. राममनोहर लोहिया ने पिछड़ी जातियों में सत्ता तथा शासन में हिस्सेदारी की भूख पैदा की और उन्हें संघर्ष करना सिखाया. आज की तारीख़ में इन दोनों के अनुयायियों को एकजुट करके ही हिंदुत्ववादी व मनुवादी ताकतों को निर्णायक शिकस्त दी जा सकती है.
समाजवादी पार्टी ने बीते बृहस्पतिवार को ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए निष्कासित कर दिया. इन नेताओं ने कहा कि ‘बिना कोई स्पष्टीकरण दिए महिला नेताओं को निष्कासित करके सपा का लोकतांत्रिक और समाजवादी चेहरा एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गया है.
बीते 29 जनवरी को लखनऊ में सांकेतिक विरोध प्रदर्शन के दौरान रामचरितमानस की फोटोकॉपी जलाने के मामले में सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है. इस संबंध में दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि रामचरितमानस के पन्नों की छायाप्रतियां जलाने से शांति एवं सद्भाव को ख़तरा है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने रविवार को लखनऊ में कथित तौर पर ‘महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों’ के उल्लेख वाले रामचरितमानस के पन्ने की फोटोकॉपी जलाई थीं. मौर्य पर इससे पहले भी एक मुक़दमा दर्ज किया जा चुका है.
कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा रामायण पर आधारित हिंदू धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस पर दिए गए विवादास्पद बयानों की पृष्ठभूमि में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह चेतावनी आई है. उन्होंने कहा कि रामायण ग्रंथ देने वाले तुलसीदास जी को मैं प्रणाम करता हूं. ऐसे लोग जो हमारे इन महापुरुषों का अपमान करते हैं, वह सहन नहीं किए जाएंगे.
सपा के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मज़बूती से है. अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का ‘जाति’, ‘वर्ण’ और ‘वर्ग’ के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से ‘धर्म’ नहीं, बल्कि ‘अधर्म’ है.
बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा रामचरितमानस की आलोचना को लेकर अगर कुछ नया है तो वह है इस पर हुआ हंगामा. श्रमण संस्कृति के पैरोकार विद्वान व सामाजिक कार्यकर्ता, तुलसीदास व रामचरितमानस की आलोचना में न सिर्फ इससे कहीं ज़्यादा कडे़ शब्द इस्तेमाल कर चुके हैं. एक दौर में तुलसीदास को ‘हिंदू समाज का पथभ्रष्टक’ तक क़रार दिया जा चुका है.
‘रामचरितमानस’ की जो आलोचना बिहार के शिक्षा मंत्री ने की है वह कोई नई नहीं और न ही उसमें किसी प्रकार की कोई ग़लती है. उन पर हमलावर होकर तथाकथित हिंदू समाज अपनी ही परंपरा और उदारता को अपमानित कर रहा है.
बृहस्पतिवार को अपने बयान को दोहराते हुए बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने दावा किया है कि ‘रामायण’ पर आधारित रामचरितमानस समाज में नफ़रत फैलाती है. भाजपा द्वारा माफ़ी की मांग पर उन्होंने कहा कि यह भगवा पार्टी है, जिसे तथ्यों की जानकारी नहीं होने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए.
मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा रामायण के अयोध्या कांड पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में हर ज़िले से आठ लोगों का चयन किया जाएगा. पिछले महीने सरकार ने स्नातक पाठ्यक्रमों के कला संकाय के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दर्शनशास्त्र के तहत एक वैकल्पिक विषय के रूप में रामचरितमानस को पढ़ाए जाने की घोषणा की थी.