यह दूसरी बार है जब लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल अयोग्य घोषित हुए हैं. इससे पहले जनवरी में हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था. केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा फैसले पर रोक के बाद उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई थी.
चौदहवीं लोकसभा में सर्वाधिक 19 संसद सदस्यों को अयोग्यता का सामना करना पड़ा था. 10 सांसदों को पैसा लेकर संसद में सवाल करने के अशोभनीय आचरण के चलते अयोग्य क़रार दिया गया था, जबकि 9 सांसदों को विश्वास मत के दौरान क्रॉस-वोटिंग करने के लिए बाहर का रास्ता दिखाया गया था.
वीडियो: लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिए गए थे. बाद में केरल हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी थी. उनकी सदस्यता हाल ही में बहाल की गई है. उनसे आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद सांसद के रूप में वह अयोग्य घोषित कर दिए गए थे. बाद में केरल हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी थी. अपनी सदस्यता बहाल करने में लोकसभा सचिवालय की देरी को चुनौती देते हुए उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख़ किया था.
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग गोले को 2016 में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था. 2018 में वे जेल से बाहर आए. इसके बाद उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए था, पर केंद्र ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के एक महत्वपूर्ण खंड को निरस्त कर दिया, जिससे भाजपा के सहयोगी तमांग मुख्यमंत्री बन सके.
लक्षद्वीप में एक अदालत ने बीते 11 जनवरी को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद राकांपा सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल समेत चार लोगों को 10 साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी. आरोप था कि साल 2009 में अभियुक्तों ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण ग़ैरक़ानूनी रूप से इकट्ठा होकर कांग्रेस नेता मोहम्मद सलीह पर हमला किया था.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया है कि लगभग 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से, 55 से 56 करोड़ मतदाता स्वेच्छा से मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के लिए अपना आधार विवरण प्रदान कर चुके हैं.
जिस राष्ट्रवाद की आड़ लेकर भाजपा और उसके नेता अनेक नागरिकों को देशद्रोही क़रार देते हैं, उसी पार्टी के एक मुख्यमंत्री का मतदान से ऐन पहले उत्तर प्रदेश को केरल, बंगाल या कश्मीर बनने से रोकने के लिए प्रेरित करना न सिर्फ इन राज्यों के लोगों का अपमान है बल्कि पार्टी की संकुचित राष्ट्रवाद की परिभाषा पर भी सवाल उठाता है.
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार मतदान समाप्त होने से पहले के 48 घंटे में किसी भी रूप में चुनावी सामग्री के प्रदर्शन पर पाबंदी है, इसमें वोटर को प्रभावित करने वाले टीवी या अन्य किसी माध्यम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने ठीक ऐसा ही किया है.
पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के 12 भाजपा विधायकों को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था. राज्य सरकार ने उन पर विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में पीठासीन अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. विधायकों ने अपने निलंबन पर विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.
रिथिंक आधार, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, बहुजन इकोनॉमिस्ट्स, पीयूसीएल, द इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन, एमकेएसएस और नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स सहित 14 संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इससे सामूहिक तौर पर मताधिकार से वंचित किया जा सकता है.
तीन छात्रों ने एक याचिका दायर कर देश की सभी जेलों में बंद कैदियों को मतदान का अधिकार देने का अनुरोध किया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह सुविधा कानून के तहत उपलब्ध है और इसे कानून के माध्यम से छीना जा सकता है.