यह कितना बड़ा झूठ है कि कोई राज्य दंगे के कारण अंतरराष्ट्रीय ख्याति पाए, लेकिन झांकी सजाए लघु उद्योगों की.
इस बहुरंगी देश को इकरंगी बनाने की क़वायदें अब गणतांत्रिक प्रतीकों व विरासतों को नष्ट करने के ऐसे अपराध में बदल गई हैं कि उन्हें इतिहास से बुरे सलूक की हमारी पुरानी आदत से जोड़कर भी दरकिनार नहीं किया जा सकता.
परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति के मद्देनज़र वह बंद या गणतंत्र दिवस समारोह के बहिष्कार का आह्वान नहीं करेगा. हालांकि बरुआ ने ऐसे समय में पांच-दिवसीय कार्यक्रम के साथ गणतंत्र दिवस समारोह मनाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की.
बीटिंग द रिट्रीट समारोह में बजाई जाने वाली प्रार्थना 'एबाइड विद मी' महात्मा गांधी की पसंदीदा थी. 1950 से लगातार समारोह का हिस्सा रही इस धुन को 2020 में भी हटाया गया था पर भारी विरोध के बाद 2021 में फिर शामिल कर लिया गया. इस साल समारोह में बजने वाली 26 धुनों की आधिकारिक सूची में इसका ज़िक्र नहीं है.
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था. कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार का यह क़दम सैनिकों के बलिदान के इतिहास को मिटाने की तरह है.
गणतंत्र दिवस परेड के लिए कुछ राज्यों की झांकियों को मंज़ूरी नहीं दी गई है. केरल सहित ग़ैर भाजपा शासित राज्यों के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यह केंद्र द्वारा अपमान है. इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा है कि इस साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकियों का चयन निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है.
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर 23 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह शुरू करने के अपने फैसले की घोषणा की है. पिछले साल भी पश्चिम बंगाल की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने की मंज़ूरी केंद्र ने नहीं दी थी.
जहां दिल्ली पुलिस का दावा है कि गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली में शामिल किसानों ने लाल क़िले पर कब्ज़ा करने की साज़िश रची थी, वहीं इस मामले को लेकर गठित पंजाब विधानसभा की समिति का कहना है कि उस रोज़ हुई हिंसा पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को बदनाम करने के षड्यंत्र का नतीजा थी.
विवादित कृषि क़ानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर बड़ी संख्या में किसान कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं के साथ अन्य जगहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इस साल 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे.
एक्सक्लूसिव: जिस समय किसान आंदोलन शुरू हुआ, तब वित्त मंत्रालय ने कृषि से जुड़ी खाद्य सुरक्षा मिशन, सिंचाई, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट घटाने को कहा था. व्यय विभाग ने राज्यों को दालें वितरित करने वाली योजना को कृषि मंत्रालय के बजट में शामिल करने पर सवाल उठाए थे.
विवादित कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर हज़ारों किसान क़रीब तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं के साथ अन्य जगहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे.
75 वर्षीय किसान जोरावर सिंह पंजाब में पिछले साल एक अक्टूबर से शुरू हुए रेल रोको अभियान के बाद से ही किसान आंदोलन से जुड़े हुए थे. नवंबर से वह दिल्ली आ गए थे. जोरावर भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के सदस्य थे और प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए लोगों को इकट्ठा करते थे.
पुलिस ने बताया कि जम्मू एंड कश्मीर यूनाइटेड किसान फ्रंट के अध्यक्ष मोहिंदर सिंह और जम्मू के गोल गुजराल निवासी मंदीप सिंह को गिरफ़्तार किया गया है. पुलिस के अनुसार इन दोनों ने लाल किले पर हुई हिंसा में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और उसके मुख्य साजिशकर्ता थे. लाल क़िले के गुंबद पर चढ़ने के आरोप में एक अन्य शख़्स को भी पकड़ा गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में एक नए शब्द 'आंदोलनजीवी' का ज़िक्र करते हुए कहा था कि पिछले कुछ समय से देश में एक नई बिरादरी 'आंदोलनजीवी' सामने आई है. ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है, ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते ढूंढते रहते हैं.
वीडियो: दिल्ली पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार किया था जहां केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर जाकर डिजिटल मीडिया के पत्रकारों से बात की.