थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.
खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है और लगातार चौथे महीने रिज़र्व बैंक के लक्ष्य की उच्चतम सीमा से ऊपर रही है. खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने में 7.68 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने में 1.96 प्रतिशत थी.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में शहरी बेरोज़गारी दर बढ़कर 9.22 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 8.28 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण बेरोज़गारी दर 7.29 प्रतिशत से घटकर 7.18 प्रतिशत हो गई.
सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया हुआ है, लेकिन यह लगातार तीसरा महीना है जब यह छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.
इस साल फरवरी के बाद थोक मुद्रास्फीति का यह सबसे ऊंचा आंकड़ा है. फरवरी में यह 2.26 प्रतिशत पर थी. सितंबर में थोक मुद्रास्फीति 1.32 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में शून्य पर थी.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में बढ़कर 10.68 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 9.05 प्रतिशत थी. सब्ज़ियों की महंगाई दर सितंबर महीने में बढ़कर 20.73 प्रतिशत रही, जो अगस्त में 11.41 प्रतिशत थी.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक महंगाई दर जुलाई में माइनस 0.58 फीसदी रही, जबकि जून महीने में यह माइनस 1.81 फीसदी थी.
केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के बाद लागू लॉकडाउन के दौरान लगातार दूसरे महीने खुदरा मुद्रास्फीति के आंशिक आंकड़े जारी किए. मई 2019 में खाद्य महंगाई दर 1.83 फीसदी थी.
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार भी दिसंबर 2019 में खुदरा महंगाई की दर सामान्य स्तर को लांघ चुकी है. वहीं, दिसंबर महीने में सब्जियों की कीमतें पिछले साल से औसतन 60.5 फीसदी ऊपर थीं. साल 2014 में खुदरा महंगाई दर 7.39 फीसदी पर चल रही थी.
प्याज सहित अन्य सब्जियों, दाल और मांस, मछली जैसी प्रोटीन वाली वस्तुओं के दाम चढ़ने से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गई थी.
बिजली, खनन और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में 3.8 प्रतिशत घट गया. एक साल पहले इसी माह में इसमें 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
सब्ज़ियों, फलों और प्रोटीन वाले सामान मसलन अंडों के दाम में कमी आई है. हालांकि, मांस, मछली और दालों के दामों में मामूली बढ़ोतरी हुई है. उद्योग संघों ने आरबीआई से ब्याज घटाने को कहा है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक मुद्रास्फीति मई में 14 महीने के उच्चतम स्तर 4.43 प्रतिशत पर पहुंच गई है. पिछले साल मई महीने में यह 2.26 प्रतिशत थी.
ईंधन, सब्जियों तथा अंडों के दाम बढ़ने से नवंबर महीने में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.88 प्रतिशत पर पहुंच गई.