इंग्लैंड के नेता चुनाव हारने के सेवानिवृत्त हो जाते हैं, आख़िर भारतीय राजनीति कब बदलेगी कि जो हार जाए, वह विदा हो जाए और अपनी पार्टी के भीतर से नई प्रतिभाओं को मौका दे.
ब्रिटिश संसद की 650 सीटों में से नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की लेबर पार्टी को 412 सीटें मिली हैं, जबकि ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी के खाते में महज 121 सीटें आई हैं.
कोविड-19 महामारी के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे बोरिस जॉनसन ने स्वीकार किया है कि उनकी सरकार इसके प्रभाव को समझने में धीमी थी. उन्होंने कहा कि वह पीड़ितों और उनके परिवारों की भावनाओं को समझते हैं और उनके दर्द, हानि तथा पीड़ा के लिए उन्हें गहरा खेद है.
2010 और 2016 के बीच प्रधानमंत्री के रूप में डेविड कैमरन का कार्यकाल गहरे विभाजनकारी ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के लिए जाना जाता था, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन को यूरोपीय संघ छोड़ना पड़ा था. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन को बर्ख़ास्त करने के बाद जेम्स क्लेवरली को उनकी जगह नियुक्त किया है.
ब्रिटेन के टेबलॉयड ‘डेली मेल’ ने एक रिपोर्ट में बताया है कि अगस्त 2022 में लेस्टर शहर में भड़के दंगों में ब्रिटिश हिंदुओं को मुस्लिम युवाओं से उलझने के लिए उकसाने का संदेह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के क़रीबी तत्वों पर है. उस समय मुसलमानों और उनके घरों पर हमलों के साथ-साथ हिंदू मंदिरों और घरों पर हमले और तोड़फोड़ की ख़बरें आई थीं.
गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका से संबंधित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के ख़िलाफ़ प्रवासी भारतीय समुदाय के व्यापक विरोध के मद्देनज़र ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के प्रवक्ता ने कहा कि इस बात पर ज़ोर देंगे कि हम भारत को एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय साझेदार के रूप में मानते हैं.
ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर भारतीयों को ख़ुश होने की जगह वास्तव में गंभीरता के साथ आत्ममंथन करना चाहिए कि हज़ारों सालों से हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हमारी धार्मिक विविधता और सांस्कृतिक बहुलता का क्या हुआ.
ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री होना ब्रिटेन के लिए अवश्य गौरव का क्षण है क्योंकि इससे यह मालूम होता है कि ‘बाहरी’ के साथ मित्रता में उसने काफ़ी तरक्की की है. इसमें हिंदू धर्म या उसके अनुयायियों का कोई ख़ास कमाल नहीं है. यह कहना कि ब्रिटेन को भी हिंदू धर्म का लोहा मानना पड़ा, हीनता ग्रंथि की अभिव्यक्ति ही है.
ब्रिटेन में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच लिज़ ट्रस के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक को कंज़रवेटिव पार्टी का नया नेता चुना गया है. दो महीने से भी कम समय में वह ऐसे तीसरे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने ब्रिटिश राजनीतिक इतिहास के सबसे अशांत समय में से एक के दौरान पदभार ग्रहण किया है.
बीते दिनों ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस की सरकार एक आर्थिक कार्यक्रम लेकर आई थी, जिसने बाज़ार में उथल-पुथल मचा दी थी और उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के महज़ छह हफ़्ते बाद ही उनकी कंज़रवेटिव पार्टी विभाजित हो गई थी. इस बीच गृह मंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया था, जबकि वित्त मंत्री को पद से हटा दिया गया था.
ब्रिटेन की विदेश मंत्री रहीं लिज़ ट्रस ने सोमवार को भारतीय मूल के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक को कंज़रवेटिव पार्टी नेतृत्व के लिए हुए मुक़ाबले में हराया था और अब वह प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिस जॉनसन का स्थान लेंगी.
किसी देश की आबादी का विविधतापूर्ण होना काफ़ी नहीं है. उसकी सभ्यता की पहचान यह है कि उसके प्रतिनिधियों में भी समानुपातिक रूप से वह विविधता है या नहीं. कोई देश सिर्फ़ दूसरी आबादियों को मताधिकार देता है या उन आबादियों को देश के नेतृत्व का अधिकार देने की क्षमता और साहस भी रखता है? इससे इस देश के आत्मविश्वास का पता चलता है.
बीते कई दिनों के नाटकीय घटनाक्रम के बाद बोरिस जॉनसन ने गुरुवार को कहा कि वह कंज़र्वेटिव पार्टी का नेता पद छोड़ रहे हैं. पार्टी का नया नेता चुनने की प्रक्रिया पूरी न होने तक वे 10 डाउनिंग स्ट्रीट के प्रभारी बने रहेंगे. पार्टी का सम्मेलन अक्टूबर में होना है और उस समय तक नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होगी.