तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को वापस लेने के समय 2 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ केंद्र द्वारा किए गए समझौतों को तुरंत लागू करने की मांग के साथ 21 फरवरी को प्रदर्शन किया जाएगा. संगठन ने चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किसानों की समस्याओं से जोड़ते हुए इसके माध्यम से भ्रष्टाचार को वैध बनाने के लिए मोदी सरकार की निंदा की.
पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले भारती किसान यूनियन (दोआबा) के नेतृत्व में सैकड़ों किसान 20 नवंबर से अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन पर हैं. वे गन्ने की फसल के लिए ख़रीद मूल्य 380 रुपये से बढ़ाकर 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं.
विभिन्न पत्रकार संगठनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा है कि आज हमारे समुदाय को एक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकारों के ख़िलाफ़ कठोर क़ानूनों का उपयोग तेज़ी से बढ़ गया है. ये क़ानून ज़मानत का प्रावधान नहीं करते, इसके तहत कारावास आदर्श है, न कि अपवाद.
तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को रद्द करने के लिए एक साल से अधिक समय तक दिल्ली में आंदोलन करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से रामलीला मैदान में एक महापंचायत का आयोजन किया गया. मोर्चा ने क़ानूनों को रद्द करने और आंदोलन समाप्त करने के दौरान एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी के अलावा केंद्र की ओर से किए गए अन्य वादों को पूरा करने को कहा है.
नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी. दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने बताया कि 26 जनवरी 2021 को हुई हिंसा से जुड़े मामलों को वापस लेने का औपचारिक अनुरोध उपराज्यपाल को भेजा गया है.
लखीमपुर हिंसा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व कर रहे डीजीपी उपेंद्र अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पुलिस के सवालों का उचित जवाब नहीं दे रहे थे, इसलिए उन्हें गिरफ़्तार किया गया है. आशीष मिश्रा पर आरोप लगा कि वह उन वाहनों में से एक में सवार थे, जिसने बीते तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहे चार किसानों को कुचल दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों के संगठन ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच और जांच आयोग को ख़ारिज करता है. मोर्चा ने मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने और इसकी निगरानी सीधे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा किए जाने की मांग उठाई.
घटना लखीमपुर खीरी ज़िले के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई, जहां प्रदर्शनकारी किसान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बनबीरपुर दौरे का विरोध कर रहे थे. किसानों का आरोप है कि इसी बीच केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचला. मिश्रा ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है. घटना के बाद विपक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधा है, वहीं भाजपा सांसद वरुण गांधी ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की
जहां दिल्ली पुलिस का दावा है कि गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली में शामिल किसानों ने लाल क़िले पर कब्ज़ा करने की साज़िश रची थी, वहीं इस मामले को लेकर गठित पंजाब विधानसभा की समिति का कहना है कि उस रोज़ हुई हिंसा पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को बदनाम करने के षड्यंत्र का नतीजा थी.
पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमारी मांगें माने जाने तक किसान आंदोलन मजबूती के साथ शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा. राजनीतिक दलों की आंतरिक कलह या दूसरे दलों के साथ झगड़े से आंदोलन प्रभावित नहीं होगा.
चालीस से अधिक किसान संघों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान अपनी मर्ज़ी से विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अलग-अलग राज्यों की पुलिस और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वहां रहने के लिए मजबूर किया है.
विवादित कृषि क़ानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर बड़ी संख्या में किसान कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं के साथ अन्य जगहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इस साल 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों और पुलिस प्रमुखों को इस आरोप पर नोटिस भेजे हैं कि किसानों के जारी विरोध प्रदर्शनों से औद्योगिक इकाइयों और परिवहन पर ‘प्रतिकूल प्रभाव’ पड़ा है और आंदोलन स्थलों पर कोविड-19 सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन किया गया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि पंजाब में 113 स्थानों पर चल रहे किसानों के आंदोलन से राज्य का आर्थिक विकास बाधित हो रहा है. उनके बयान की विभिन्न दलों के नेताओं समेत किसानों ने आलोचना की है. किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि यह किसान संघों को तय करना है कि वे कहां विरोध प्रदर्शन करेंगे. वहीं हरियाणा के गृह मंत्री ने अनिल विज ने सिंह पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया.
हरियाणा के करनाल में बीते 28 अगस्त को भाजपा की बैठक का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था. किसानों के प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात तत्कालीन करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा कैमरे के सामने पुलिस को कथित तौर पर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देते हुए नज़र आए थे. सिन्हा पर कार्रवाई की मांग को लेकर किसान करनाल ज़िला मुख्यालय के बाहर धरना दे रहे थे.