महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले के टोडगट्टा में 70 से अधिक आदिवासी गांवों के लोग सुरजागढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित छह लौह अयस्क खदानों के ख़िलाफ़ पिछले आठ महीनों से शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस द्वारा आंदोलन ख़त्म कराए जाने पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है. उन्होंने गिरफ़्तार किए गए लोगों को तत्काल रिहा करने की मांग की.
मणिपुर में चल रहे संकट के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सात ‘मेईतेई चरमपंथी संगठनों’ और उनके सहयोगियों पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध बढ़ाने की अधिसूचना में कहा गया है कि इनका कथित उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से मणिपुर को भारत से अलग करना और इस तरह के अलगाव के लिए मणिपुर के स्थानीय लोगों को उकसाना है.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले का प्रवासी मज़दूर मुकेश कुमार पुलवामा के एक ईंट भट्ठे पर काम करते थे. बीते सोमवार को पैसा घर भेजने के लिए बैंक जा रहे थे जब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. मुकेश पहले ग़ैर-स्थानीय व्यक्ति हैं, जिनकी इस साल कश्मीर में लक्षित हत्या की गई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में पिछले चार वर्षों में हथियारों, गोला-बारूद, आईईडी और डेटोनेटर की सबसे ज़्यादा बरामदगी हुई है. साल 2018 में 275, 2019 में 185, 2020 में 453, 2021 में 364, 2022 में 485 और इस साल 67 हथियार बरामद किए गए हैं.
सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (आफस्पा) ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात सेना और केंद्रीय बलों को क़ानून के ख़िलाफ़ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ़्तारी और बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने का अधिकार देता है. साथ ही केंद्र की मंज़ूरी के बिना अभियोजन और क़ानूनी मुक़दमों से सुरक्षा बलों को सुरक्षा भी प्रदान करता है.
ताज़ा हिंसा बीते 9 जून को तड़के कांगकपोकपी और इंफाल पश्चिम ज़िले की सीमा पर स्थित एक कुकी बहुल गांव में हुई. आरोप है कि सेना और पुलिस की वर्दी में आए मेईतेई उग्रवादियों ने घटना को अंजाम दिया. इस बीच सीबीआई ने हिंसा की जांच के लिए डीआईजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया है.
कुकी छात्र संगठन पर कुकी आतंकवादियों का समर्थन करने और सुरक्षा बलों को बदनाम करने के लिए फ़र्ज़ी समाचार प्रकाशित करने का आरोप है. कुकी समुदाय पर हमला करने के आरोपों से घिरे एक समूह और मणिपुर के मुख्यमंत्री के बीच संबंधों के बारे में फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने के आरोप में एक यूट्यूब चैनल पर भी केस किया गया है.
दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. मामले को लेकर नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है.
जम्मू कश्मीर के शोपियां ज़िले में हुए ग्रेनेड हमले में उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले दो मज़दूरों की मौत हो गई. मृतकों की पहचान मनीष कुमार और राम सागर के रूप में हुई है. बीते 15 अक्टूबर को शोपियां में ही कश्मीरी पंडित पूरण कृष्ण भट्ट की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
केंद्र सरकार ने नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के 12 ज़िलों और दोनों राज्यों के पांच अन्य ज़िलों के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ की अवधि छह महीने के लिए और बढ़ा दी है.
ईरान की मोरलिटी पुलिस ने पिछले हफ्ते 22 वर्षीय युवती महसा अमीनी को सख़्ती से लागू किए गए ड्रेस कोड का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए गिरफ़्तार किया गया था. हिरासत के दौरान तीन दिन बाद अमीनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, जिसके बाद से ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने ग्रामीणों की हत्या पर एफआईआर तब दर्ज की थी, जब उनके परिजनों ने याचिका दायर की, फिर उसने विसंगतियों से भरी जानकारियां दीं, याचिकाकर्ताओं को गवाही दर्ज होने से पहले हिरासत में लिया गया, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर विश्वास करते हुए न्याय के लिए उस तक पहुंचे लोगों को दंडित करने का फैसला दिया.
दिसंबर 2021 में मोन ज़िले में हुई फायरिंग के मामले में नगालैंड सरकार की एसआईटी ने सेना के टीम कमांडर पर 'जानबूझकर चूक' का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा लिए गए हिंसक क़दम और चूक को छिपाने के प्रयासों के चलते तेरह आम आदिवासियों की जान गई.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बीते 27 मई को अधिकारियों से मोहम्मद लतीफ़ माग्रे की मौजूदगी में हैदरपोरा एनकाउंटर में मृत उनके बेटे आमिर के अवशेषों को निकालने का आदेश दिया था. हालांकि छह जून को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी थी. आमिर उन चार लोगों में से एक थे, जो नवंबर 2021 को श्रीनगर के हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. इनमें से दो लोगों के शव विरोध के बाद उनके परिजनों
दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर करते हुए कहा कि उन्होंने मानक संचालन प्रक्रिया और नियमों का पालन नहीं किया था, न ही फायरिंग से पहले नागरिकों की पहचान सुनिश्चित की गई थी.