नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान को बीते वर्ष क्रूज़ शिप पर मादक पदार्थ मिलने के मामले में क्लीन चिट दे दी. एनसीबी ने कहा कि आर्यन से जुड़े मामले में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, जहां अनिवार्य मेडिकल जांच, छापेमारी की वीडियो रिकॉर्डिंग और वॉट्सऐप चैट के लिए सबूतों की पुष्टि जैसे नियमों का पालन नहीं किया गया.
जुलाई 2020 में कानपुर स्थित बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस दल पर हमला कर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी. पुलिस की विभागीय जांच में सामने आया है कि दुबे को पुलिस की छापेमारी की सूचना तत्कालीन चौबेपुर थाना प्रभारी और उप-निरीक्षक ने दी थी.
ये पांचों उन छह लोगों में से हैं, जिन पर पहले ही कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हुई सफीकुल इस्लाम की मौत के विरोध में नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाने में आग लगाने का आरोप लगाया गया है. रविवार को पुलिस ने थाने में आगजनी के आरोपियों को 'अतिक्रमणकारी' बताते हुए उनके घरों को ध्वस्त कर दिया था. इनमें मृतक सफीकुल का घर भी शामिल है.
एक मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम की कथित तौर पर हिरासत में मौत के बाद भीड़ ने बीते 21 मई को असम के नगांव ज़िले के बटाद्रवा थाने आग लगा दी थी. रविवार को प्रशासन ने सलोनाबारी गांव में अतिक्रमण अभियान चलाकर उन आरोपियों के घर गिरा दिए, जो कथित तौर पर आगज़नी में शामिल थे. पुलिस ने हिरासत में मौत से भी इनकार किया है. हालांकि मृतक के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि पुलिस ने उसकी रिहाई के
सेना के पूर्वी कमान के प्रमुख पी. कलीता ने कहा कि यह ग़लत पहचान और निर्णय की त्रुटि का मामला था. सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी हो गई है और अभी इसकी पड़ताल की जा रही है. हमें एसआईटी की रिपोर्ट भी मिली है और दोनों का विश्लेषण किया जा रहा है. नगालैंड के मोन जिले में पिछले साल दिसंबर में सैनिकों की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत हो गई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा के चार आरोपियों की ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक व्यक्तियों को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करने की आवश्यकता होती है. हिंसा से पहले कृषि क़ानूनों को ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ ने दो मिनट में ठीक कर देने की चेतावनी दी थी.
पिछले साल तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई ज़मानत 18 अप्रैल को को रद्द कर दी थी और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था.
पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी ज़िले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को नौ अक्टूबर 2021 को गिरफ़्तार किया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते 10 फरवरी को उन्हें ज़मानत दे दी थी.
महाराष्ट्र के अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता और तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. पुणे नगर निगम के एक सफाईकर्मी ने कथित शूटर शरद कलास्कर और सचिन अंडुरे की पहचान कर ली है.
सुप्रीम कोर्ट हिंसा के कुछ पीड़ितों के रिश्तेदार की याचिका पर सुनवाई कर कर रहा था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि आशीष मिश्रा को ज़मानत दिए जाने के बाद मामले में एक गवाह पर हमला हुआ था. अदालत ने प्रमुख गवाहों में से एक पर हुए हमले पर गौर करते हुए यूपी सरकार से गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस बीच बृहस्पतिवार रात मामले के प्रमुख गवाहों में से एक पर हमला भी किया गया.
पिछले साल चार और पांच दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों के मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि सेना के पैरा-कमांडो द्वारा 14 नागरिकों की कथित हत्या की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के नतीजे केंद्र से दोषियों पर मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी मिलने के बाद सार्वजनिक किए जा सकते हैं.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली ज़मानत के ख़िलाफ़ दायर याचिका में कहा गया है कि इस मामले में स्थापित क़ानूनी मानदंडों के विपरीत अनुचित और मनमाना निर्णय दिया गया, जहां अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार किए बिना ज़मानत दी गई.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी. इसे रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका में कहा गया है कि यह निर्णय क़ानून के लिहाज से टिकाऊ नहीं है क्योंकि इस पर ठीक तरह से विचार नहीं किया गया है और प्रत्यक्ष साक्ष्य के समर्थन के बिना ‘हो सकता है’ का सहारा लिया.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी. ज़मानत आदेश में धारा 302 (हत्या) और 120बी (साज़िश रचने) की धाराओं का उल्लेख छूट गया था, जिन्हें कोर्ट द्वारा जोड़ने का आदेश दिए जाने के बाद आशीष को रिहा कर दिया गया.