पेगासस हमला: एल्गार परिषद मामले में पहले से बिछाया गया था स्पायवेयर निगरानी का जाल

द वायर और सहयोगी मीडिया संगठनों द्वारा हज़ारों ऐसे फोन नंबरों, जिनकी पेगासस स्पायवेयर द्वारा निगरानी की योजना बनाई गई थी, की समीक्षा के बाद सामने आया है कि इनमें कम से कम नौ नंबर उन आठ कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों के हैं, जिन्हें जून 2018 और अक्टूबर 2020 के बीच एल्गार परिषद मामले में  कथित भूमिका के लिए गिरफ़्तार किया गया था.

पेगासस प्रोजेक्ट: पत्रकारों, मंत्रियों आदि की जासूसी के लिए हुआ उन्हीं के फोन का इस्तेमाल

एक अंतरराष्ट्रीय साझा रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट ने यह दिखाया है कि भारत समेत दुनियाभर की कई सरकारें भयावहता की हद तक सर्विलांस के तरीकों का इस्तेमाल इस तरह से कर रही हैं, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है.

भीमा-कोरेगांव मामले से जुड़े नौ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को स्पाइवेयर से निशाना बनाया गया: रिपोर्ट

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भीमा गोरेगांव मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए काम करने वाले नौ लोगों को स्पाइवेयर का निशाना बनाया गया था. उन्होंने मांग की है कि इसकी स्वतंत्र जांच हो और पता लगाया जाए कि क्या इन स्पाइवेयर अभियानों और किसी ख़ास सरकारी एजेंसी के बीच कोई संबंध है.

स्विस कंपनी के ज़रिये दशकों तक भारत-पाकिस्तान की जासूसी कर रहा था सीआईए: रिपोर्ट

अमेरिकी अख़बार वाशिंगटन पोस्ट और जर्मनी की सरकारी संवाद एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी खुफिया संस्था सीआईए ने एक स्विस कंपनी के ज़रिये लगभग पचास सालों से अधिक समय तक दुनिया के तमाम देशों के गोपनीय सूचनाओं और जानकारी में सेंध लगाई और अमेरिकी नीति तय करने में सहायता दी.

एक्सक्लूसिव: वॉट्सऐप ही नहीं, ईमेल के ज़रिये भी हुई पत्रकार और वकीलों की जासूसी

एमनेस्टी इंटरनेशनल की डिजिटल टीम द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों, जिनमें से अधिकतर भीमा कोरेगांव मामले से जुड़े हैं, को संदिग्ध ईमेल के ज़रिये एक ऐसा मैलवेयर भेजा गया था, जिससे उनके कम्प्यूटर को नियंत्रण में लिया जा सके.

जुलाई से सितंबर के बीच गूगल ने भारतीयों को दी थी सरकार समर्थित साइबर हमले की चेतावनी

यह मामला वॉट्सऐप के उस खुलासे के बाद सामने आया है, जिसमें एक इज़राइली स्पाइवेयर पेगासस से कम से कम 121 भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की बात सामने आई थी. खास बात यह थी कि इज़राइली कंपनी अपना स्पाइवेयर सिर्फ सरकारी एजेंसियों को बेचती है.

वॉट्सऐप जासूसी मामला: केंद्र सरकार ने कहा, फोन टैप करने के लिए केवल 10 एजेंसियां अधिकृत

केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा को सूचित किया कि सीबीआई, ईडी और आईबी समेत 10 केंद्रीय एजेंसियों को टेलीफोन बातचीत टैप करने का अधिकार है और उन्हें फोन कॉल पर किसी की निगरानी करने से पहले केंद्रीय गृह सचिव की मंजूरी लेनी होती है.

छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री ने वॉट्सऐप जासूसी मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की

इजरायली स्पाइवेयर से भारतीयों की जासूसी किए जाने के वॉट्सऐप के खुलासे के बाद छत्तीसगढ़ के पांच पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने दावा किया था कि उनकी फोन कॉल अवैध रूप से टैप करने की कोशिश की गई है. इसके साथ ही जानकारी मिली थी कि राज्य के कुछ व्यक्तियों के स्मार्टफोन अवैध रूप से टैप किए गए हैं.

कोलकाता प्रोफेसर को याहू ने किया अलर्ट, कहा- हो सकता है सरकार समर्थित लोगों ने जासूसी की हो

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद साल 2018 में गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि वह राज्य के 10 संगठनों पर नज़र रखे. इन संगठनों से जुड़े लोगों में कोलकाता के एसोसिएट प्रोफेसर पार्थसारथी रे भी शामिल थे.

सूचना प्रौद्योगिकी और गृह मामलों की संसदीय समितियां करेंगी वॉट्सऐप जासूसी मामले की सुनवाई

फेसबुक के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने अमेरिका की अदालत में एक इज़राइली निगरानी कंपनी के ख़िलाफ़ आरोप लगाया है कि उसने भारतीयों सहित दुनियाभर के क़रीब 1,400 वॉट्सऐप उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाया था. भारत में आम चुनाव के दौरान पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की बात सामने आई थी.

मीडिया बोल: वॉट्सऐप जासूसी, किसकी साज़िश, किसका हाथ

वीडियो: वॉट्सऐप ने हाल ही में बताया कि आम चुनाव के दौरान करीब दो दर्जन भारतीयों के फोन की जासूसी की गई थी. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अपार गुप्ता और वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से चर्चा कर रहे हैं.

कांग्रेस का दावा, वॉट्सऐप ने फोन हैकिंग की संभावना के बारे में प्रियंका को सतर्क किया था

वॉट्सऐप ने मई के अलावा सितंबर में भी 121 भारतीयों पर स्पाइवेयर हमले के बारे में भारत सरकार को जानकारी दी थी. हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि उसे वॉट्सऐप से जो सूचना मिली थी वह अपर्याप्त और अधूरी थी.

वॉट्सऐप जासूसी: क्या है मामला, किसके फोन पर रखी गई थी नज़र

वीडियो: वॉट्सऐप ने हाल ही में बताया कि आम चुनाव के दौरान भारत के कम से कम दो दर्जन शिक्षाविदों, वकीलों, दलित कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के फोन एक अत्याधुनिक इजरायली सॉफ्टवेयर की निगरानी में थे. इस बारे में बता रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन.

वॉट्सऐप ने सरकार को 121 भारतीयों की जासूसी होने की दी थी जानकारी

वॉट्सऐप ने कहा है कि उसने मई 2019 में भी सरकार को भारतीयों की सुरक्षा में सेंध लगाने की जानकारी दी थी. वहीं, सरकार का कहना है कि वॉट्सऐप ने जो सूचनाएं दी थीं वे बहुत ही तकनीकी थीं. उनमें डेटा चोरी करने या पेगासस का उल्लेख नहीं था.

वॉट्सऐप जासूसी मामला: कौन हैं वे सामाजिक कार्यकर्ता और वकील, जिनके फोन पर रखी गई थी नज़र

भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं के वकील निहालसिंह राठौड़ ने बताया कि पेगासस सॉफ्टवेयर पर काम करने वाली सिटिजन लैब के शोधकर्ता ने उनसे संपर्क कर डिजिटल ख़तरे को लेकर चेताया था. मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया और डीपी चौहान ने भी दावा किया है कि उनकी भी जासूसी की गई थी.

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