कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद उस जी-23 समूह का हिस्सा हैं, जिसने पिछले साल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर दल के ढांचे में व्यापक बदलाव की मांग की थी.
राजस्थान के मंत्रिमंडल पुनर्गठन में कांग्रेस आलाकमान ने अनुसूचित जाति व जनजाति और महिलाओं को अच्छी संख्या में प्रतिनिधित्व देकर एक प्रयोग करने की कोशिश की है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह कांग्रेस की अपने पुराने और पारंपरिक वोट बैंक की ओर लौटने की छटपटाहट है.
बताया जा रहा है कि अगस्त में विंसेंट एच. पाला को राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद से कांग्रेस की मेघालय इकाई में उथल-पुथल मची हुई है. संगमा ने दावा किया था कि नियुक्ति उनकी सहमति के बिना की गई थी. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पार्टी के कुछ नेताओं के तृणमूल में शामिल होने को ‘नाटक’ क़रार देते हुए कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी इस तरह के प्रयासों से कमज़ोर नहीं होगी.
इन मंत्रियों में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं. डोटासरा इस समय पार्टी प्रदेश अध्यक्ष हैं, शर्मा को पार्टी ने हाल में गुजरात व हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद जी-23 का हिस्सा हैं- इस समूह ने पिछले साल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर दल के ढांचे में व्यापक बदलाव की मांग की थी. अब पांच सदस्यीय नई अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति का पुनर्गठन कर दोबारा इसकी ज़िम्मेदारी पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी को ही सौंपी गई है.
कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के सात प्रमुख नेताओं समेत क़रीब 20 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना त्यागपत्र भेजा. नेतृत्व बदलाव की मांग के साथ उन्होंने कहा कि सूबे में उन्हें पार्टी संबंधित मामलों पर अपनी बात रखने का मौक़ा नहीं दिया गया. इन नेताओं में चार पूर्व मंत्री और तीन पूर्व विधायक भी शामिल हैं.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सत्तारूढ़ भाजपा पर तंज़ कसते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के लिए भाजपा को कोई सम्मान नहीं है, क्योंकि इसके नेताओं ने देश की आज़ादी के लिए ख़ून-पसीना नहीं बहाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने न केवल विकास किया है, बल्कि भाईचारे और सद्भाव को भी बढ़ावा दिया है.
पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री पद संभालने के साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. अब इसे वापस लेते हुए उन्होंने यह शर्त भी रखी है कि जब तक राज्य के नए महाधिवक्ता को हटा नहीं दिया जाता वह पद की ज़िम्मेदारी फिर से नहीं संभालेंगे.
वीडियो: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने विधानसभा चुनाव से पहले लगातार सभाओं में भाग ले रही हैं. बीते दिनों गोरखपुर में ऐसी ही एक रैली को संबोधित करते हुए हुए उन्होंने कहा कि मर जाऊंगी, जान दे दूंगी, लेकिन भाजपा के साथ कभी मिलावट नहीं होने दूंगी. प्रियंका गांधी की चुनावी रणनीति पर वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी और निवेदिता झा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने बातचीत की.
गोरखपुर की रैली से कांग्रेस ने दिखाया है कि अब वह भी भाजपा, सपा, बसपा की तरह बड़ी रैली करने में सक्षम है. पार्टी पूर्वांचल में एक और रैली करने के बाद लखनऊ में बड़ी जनसभा करने की तैयारी में है. बड़ी रैलियां या जनसभाएं चुनावी सफलता की गारंटी नहीं हैं, लेकिन इनके ज़रिये कांग्रेस यह साबित करने की कोशिश करेगी कि लोग उससे जुड़ रहे हैं.
कांग्रेस नेता और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने अमरिंदर सिंह के एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने और भाजपा से साथ सीट बंटवारे को लेकर तैयार होने की बात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर कैप्टन भाजपा के साथ जाना चाहते हैं तो ऐसा कर सकते हैं. उन्हें ‘सर्वधर्म सम्भाव’ का प्रतीक माना जाता था. ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने अंदर के ‘धर्मनिरपेक्ष अमरिंदर’ को मार दिया है.
वीडियो: कांग्रेस की पंजाब इकाई में गुटबाज़ी और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से तनातनी की वजह से बीते सितंबर माह में पंजाब के मुख्यमंत्री पद से अमरिंदर सिंह के इस्तीफ़ा देने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के 27वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. चन्नी पंजाब में मुख्यमंत्री बनने वाले दलित समुदाय के पहले व्यक्ति हैं. इस बीच सिद्धू ने भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. इन घटनाक्रमों पर पंजाब के
पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव घोषणा-पत्र में शामिल किए जा सकने वाले 13 मुद्दों को प्रस्तुत करने के लिए पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है. पत्र में उन्होंने बेअदबी के मामलों में न्याय, ड्रग्स, कृषि, रोज़गार, रेत खनन और पिछड़े वर्गों के कल्याण से संबंधित मुद्दों को शामिल किया है.
कांग्रेस कार्यसमिति की ओर से कहा गया है कि मीडिया को झूठे मामलों में फंसाकर और छापे मारकर अपने वश में करने के लिए धमकाया गया. ग़ैर-सरकारी संगठनों को धमकाया गया और उनकी कल्याणकारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई. लोगों की आवाज़ दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया है.
कांग्रेस के ‘जी-23’ समूह के नेताओं की ओर से पार्टी के भीतर संवाद की मांग और हाल के महीनों में कई नेताओं के पार्टी छोड़ने की पृष्ठभूमि में हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि उन्होंने हमेशा स्पष्टवादिता की सराहना की है इसलिए उनसे मीडिया के सहारे बात करने की ज़रूरत नहीं है.