14 विपक्षी दलों की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि जांच एजेंसियों का उपयोग करने का एक स्पष्ट पैटर्न उभरा है. पूरे विपक्ष और अन्य मुखर नागरिकों को निशाना बनाने, उन्हें कमज़ोर करने और उन्हें संदिग्ध आधार पर जेल में डालने के लिए, इनका इस्तेमाल किया जा रहा है.
एक आरोपी को ज़मानत पर रिहा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेलों में अत्यधिक भीड़ है और क़ैदियों के रहने की स्थिति भयावह है. ऐसे में अगर मुक़दमे समय पर समाप्त नहीं होते हैं, तो व्यक्ति के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा.
ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का नतीजा यह रहा कि अडानी समूह द्वारा कुछ निवेशों को रोक दिया गया, इसके अलावा पूंजीगत व्यय में कटौती की गई और परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक अलग दृष्टिकोण पर विचार किया जाने लगा.
वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की आरोपमुक्ति की अपील बॉम्बे हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख़ किया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में दख़ल देने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में केरल के एक पत्रकार ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र पुलिस के ख़िलाफ़ अवमानना कार्यवाही की मांग की है. उनका आरोप है कि अदालत के निर्देश के बावजूद कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा आयोजित रैलियों में भड़काऊ और नफ़रत भरे भाषणों को रोकने के लिए उसने कोई कार्रवाई नहीं की.
ईसाई समुदाय और संस्थानों को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय से कहा है कि वह संबंधित राज्यों से ईसाइयों पर हमलों से जुड़े मामलों में की गई कार्रवाई का डेटा एकत्र करे. यह डेटा कम से कम आठ राज्यों से एकत्र किया जाना है.
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने नफ़रती भाषण के ख़िलाफ़ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल से यह सवाल किया. अक्टूबर 2022 में शीर्ष अदालत ने औपचारिक शिकायतों का इंतज़ार किए बिना आपराधिक मामले दर्ज करके नफ़रत भरे भाषणों के ख़िलाफ़ ‘तत्काल’ स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
इस साल फरवरी में इलाहाबाद में उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस संबंध में अतीक़ अहमद और उसके परिवार के कुछ सदस्यों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया गया है. उमेश बसपा विधायक रहे राजू पाल की 2005 में की गई हत्या मामले में गवाह थे. राजू पाल हत्या में भी अतीक़ नामज़द है.
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संविधान में ‘विश्वास की कमी’ दिखाकर, इसकी संस्था यानी सुप्रीम कोर्ट पर हमला कर संवैधानिक पदों पर रहने से ‘ख़ुद को अयोग्य’ कर लिया है.
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग गोले को 2016 में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था. 2018 में वे जेल से बाहर आए. इसके बाद उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए था, पर केंद्र ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के एक महत्वपूर्ण खंड को निरस्त कर दिया, जिससे भाजपा के सहयोगी तमांग मुख्यमंत्री बन सके.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर 2020 में शीर्ष अदालत द्वारा कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए अफ्रीकी चीतों की देखरेख के लिए गठित विशेषज्ञ समिति को भंग करने की अपील की है. प्राधिकरण के अनुसार, शेरों को चीतों के क्षेत्र में छोड़ना उचित नहीं है, क्योंकि प्रतिद्वंद्विता के कारण दोनों प्रजातियों के अस्तित्व के लिए यह क़दम हानिकारक होगा.
बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों को अगस्त 2022 में गुजरात सरकार की क्षमा नीति के तहत रिहा कर दिया गया था. उनमें से एक शैलेश भट्ट भी थे, जो बीते शनिवार को एक सरकारी कार्यक्रम में भाजपा सांसद जसवंतसिंह भाभोर, उनके भाई और भाजपा विधायक शैलेश भाभोर के साथ मंच पर मौजूद थे.
वीडियो: भोपाल गैस त्रासदी के बाद के वर्षों में पीड़ितों की संख्या में बढ़ोतरी और गैस के गंभीर दुष्प्रभाव देखे जाने के बाद साल 2010 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने अतिरिक्त मुआवज़े के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था. बीते दिनों शीर्ष अदालत ने इस मांग को ठुकरा दिया. इस केस में भोपाल के गैस पीड़ित संगठन भी पक्षकार थे, उनके प्रतिनिधियों से इस निर्णय को लेकर बातचीत.
भाजपा शासित राज्य में विधानसभा चुनाव होने से महज महीने भर पहले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह घोषणा की है. सरकार द्वारा 4 फीसदी मुस्लिम कोटा ख़त्म करके उसे वोक्कालिगा और लिंगायत के बीच बांटा गया है.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसदीय स्थायी समिति के समक्ष केंद्र सरकार ने बताया है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग अधिनियम के तहत अब तक 616 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें से अब तक केवल एक मामले में दोषसिद्धि हुई है.