पश्चिम बंगाल की कोलकाता पुलिस ने पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी करने के मामले में भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को अपने समक्ष पेश होने के लिए बार-बार समन जारी किए, लेकिन उनके पेश न होने पर अब उनके ख़िलाफ़ शनिवार को लुकआउट नोटिस जारी किया गया है.
तीस्ता का मानना है कि उनकी चुनौती दंड से मुक्ति की संस्कृति से लड़ना है. यही वो वजह है जो उन्हें प्रेरित करती है.
सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को भी फटकार लगाई है. अदालत ने कहा है कि पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की. इस बीच, सीजेआई एनवी रमना के समक्ष दायर एक पत्र याचिका में नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणी को वापस लेने का आग्रह किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के लिए निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को दिल्ली ट्रासंफर करने के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने उस टीवी बहस की मेज़बानी के लिए समाचार चैनल टाइम्स नाउ पर भी कड़ा रुख अपनाया. अदालत ने पूछा कि टीवी पर वह बहस किस लिए थी? केवल एक एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए?
भाजपा के इस दौर में हर काम मोदी के नाम पर होता है. राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने रूटीन फ़ैसले के पीछे माननीय प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व को श्रेय देते हैं. महाराष्ट्र के केस में भाजपा कहना क्या चाहती है. वो पहले तय कर ले कि उपमुख्यमंत्री के पद को सम्मान बताकर देवेंद्र फडणवीस का अपमान करना है या जेपी नड्डा का? क्या यह नड्डा को मज़ाक़ का पात्र बनाना नहीं है कि वे कम से कम उपमुख्यमंत्री बनाने का
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय वरवरा राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्थायी चिकित्सा ज़मानत के उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया था. उन्हें चिकित्सा ज़मानत मिली थी और जुलाई में आत्मसमर्पण करना है. याचिका में कहा गया है कि आगे की कोई भी क़ैद उनके ख़राब होते स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते उनके लिए मौत की घंटी होगी.
महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे सरकार को गुरुवार सुबह 11 बजे अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए फ्लोर टेस्ट के आदेश दिए थे, जिसके ख़िलाफ़ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. बुधवार को कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप से इनकार करते हुए उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने को कहा था.
सरकार के कारिंदे आधी शती पहले की इमरजेंसी की ज़्यादतियों को कोसते हैं, पर देशवासी बिना किसी एलानिया इमरजेंसी के तबसे बदतर हालात में जी रहे हैं.
कांग्रेस ने ज़किया जाफ़री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को निराशाजनक क़रार देते हुए सवाल किया कि क्या व्यापक सांप्रदायिक दंगों के मामलों में सिर्फ कलेक्टर और पुलिस उपाधीक्षक की ज़िम्मेदारी होती है, राजनीतिक पदों पर आसीन लोगों की नहीं? अगर राज्य हिंसा और दंगों की चपेट में आता है तो क्या मुख्यमंत्री, कैबिनेट और राज्य सरकार कभी जवाबदेह नहीं होंगी?
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को मुकेश अंबानी, उनकी पत्नी एवं बच्चों को ख़तरे की आशंका और आकलन के संबंध में गृह मंत्रालय के पास रखी वह मूल फाइल पेश करने का निर्देश दिया था, जिसके आधार पर उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई थी. सरकार की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महाराष्ट्र सरकार की सिफ़ारिश पर केंद्र द्वारा अंबानी परिवार को सुरक्षा मुहैया कराए जाने से त्रिपुरा
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज की गई थी.
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ बीते 25 जून को एक एफ़आईआर दर्ज की थी. इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी को गुमराह करने की साज़िश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.
महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा शिवसेना के बाग़ी विधायकों को जारी किए गए अयोग्यता नोटिसों के जवाब में एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. वहीं, शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें विधानसभा में बहुमत परीक्षण नहीं कराए जाने का अनुरोध किया गया था.
मध्य प्रदेश के उज्जैन निवासी भाजपा के पूर्व सासंद चिंतामणि मालवीय ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए दावा किया गया है कि ये धाराएं धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं. उन्होंने कहा है इन धाराओं के माध्यम से बर्बर आक्रांताओं द्वारा अवैध रूप से बनाए गए ‘पूजा स्थलों’ को मान्य करने का प्रयास किया गया है.
वीडियो: साल 2002 में गुजरात की मुस्लिम विरोधी हिंसा में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने के निचली अदालत के फैसले का बरक़रार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़किया जाफ़री की याचिका ख़ारिज किए जाने के एक दिन से भी कम समय में राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने याचिकाकर्ताओं में से एक तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ़्तार कर लिया है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी से द वायर की सीनियर एडिटर