महाराष्ट्र में क़ानूनी सहायता की स्थिति और उपलब्धता पर एक विस्तृत अध्ययन से पता चलता है कि 2016 और 2019 के बीच राज्य की जेलों में बंद कुल विचाराधीन क़ैदियों में से 8 फीसदी से भी कम क़ानूनी सहायता सेवाओं तक पहुंच बना सके. क़ैदियों में से अधिकांश अशिक्षित हैं और हाशिये की जातियों एवं धर्मों से संबंधित हैं.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टिस) के प्रोफेसर आर. रामकुमार ने कोविड-19 टीके का 100 करोड़ डोज़ के लक्ष्य प्राप्ति को ‘भारतीय विज्ञान की जीत’ बताते हुए प्रधानमंत्री के ट्वीट की भी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि देश में 88 फ़ीसदी टीका कोविशील्ड का लगाया गया है, जो कि एक ब्रिटिश वैक्सीन है. टीकाकरण की धीमी रफ़्तार और टीके की कमी के चलते इस साल के आख़िर तक सभी वयस्कों को दोनों डोज़ लगाने का सरकार का लक्ष्य भी क़रीब पांच-छह महीने पिछड़ गए हैं.
शिक्षा से संबंधित प्लेटफॉर्म अनएकेडेमी के एक शिक्षक एक वायरल वीडियो में आदिवासी समुदाय के लोगों को लेकर नस्लीय टिप्पणी करते नज़र आए. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक छात्रा द्वारा इस वीडियो को ट्वीट करने पर इसकी चौतरफा आलोचना हुई, जिसके बाद इसे अनएकेडेमी के पेज से हटा दिया गया.
पिछले साल फरवरी महीने में मुंबई के आज़ाद मैदान में हुए एक एलजीबीटीक्यू कार्यक्रम में जेएनयू छात्र शरजील इमाम के समर्थन में कथित नारेबाज़ी करने के लिए टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के दो छात्रों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं. हालांकि छात्रसंघ भवन के सामने इकट्ठा होकर छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित नदवा कॉलेज में प्रदर्शन के दौरान पथराव. दिल्ली विश्वविद्यालय और हैदराबाद के मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी सोमवार को परीक्षाओं का बहिष्कार किया. बनारस में बीएचयू, कोलकाता में जाधवपुर विश्वविद्यालय और मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस में भी प्रदर्शन. देश के तीन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ने भी किया विरोध.
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी.
टीआईएसएस की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर बिहार में आश्रय गृहों पर मामले दर्ज किए गए हैं. रिपोर्ट में इन आश्रय गृहों के कुप्रबंधन और वहां रहने वाली महिलाओं के उत्पीड़न की बात सामने आई थी.
सीबीआई ने 73 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है जिसमें बताया गया है कि कैसे बालिका गृह के मालिक ब्रजेश ठाकुर ने लड़कियों को खुले कपड़े पहनने, भोजपुरी गानों पर नाचने, नशा करने और मेहमानों द्वारा बलात्कार करने के लिए मजबूर किया.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की बालिका गृह कांड का ख़ुलासा करने वाली रिपोर्ट में सामने आया है कि राज्य के स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी में रहने वाले 6 साल तक के बच्चों को विभिन्न प्रताड़नाएं, कठोर सजाएं दी जाती हैं और उनका सही से इलाज भी नहीं होता.
बिहार के समाज कल्याण विभाग ने मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की उस सोशल ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है जिसने मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में 34 लड़कियों के यौन शोषण का खुलासा किया था.
केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से शीर्ष अदालत ने पूछा कि देश के विभिन्न आश्रय गृहों में रह रहे 1575 लड़के-लड़कियां यौन और शारीरिक उत्पीड़न के शिकार हैं. आपने इस बारे में क्या किया?
मीडिया बोल की 60वीं कड़ी में उर्मिलेश बिहार में मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में रह रहीं लड़कियों से बलात्कार के मामले पर हुई मीडिया कवरेज पर पत्रकार अलका रंजन और सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शीतल प्रसाद सिंह से चर्चा कर रहे हैं.
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर शहर स्थित सरकारी बालिका गृह को सेवा संकल्प एवं विकास समिति की ओर से संचालित किया जाता था. सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथों में ली.
मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले के एक बालिका गृह से पिछले माह यौन उत्पीड़न की शिकार 50 बच्चियों को आज़ाद कराया गया था. पूछताछ में पता चला कि स्टाफ के साथ असहमति जताने पर एक बच्ची को मारकर ज़मीन में गाड़ दिया गया था. पुलिस ने आश्रय गृह की खुदाई शुरू की है.