मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले के दो मंदिरों का मामला. सनावद थाने के तहत आने वाले छापरा गांव स्थित मंदिर में प्रवेश को लेकर दो पक्षों ने एक-दूसरे पर पथराव कर दिया था, जिसमें लगभग 19 लोग घायल हैं. वहीं, छोटी कसरावद स्थित एक अन्य मंदिर में प्रवेश को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी. यहां हिंसा की सूचना नहीं है.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के मोरी क्षेत्र में घटना. शिकायत के अनुसार, रात भर उच्च वर्ग के कुछ लोगों ने मंदिर में प्रवेश करने की वजह से 22 वर्षीय युवक के साथ मारपीट की, उन्हें बांध दिया और जलती लकड़ियों से उनकी पिटाई की. पुलिस ने इस संबंध में पांच ग्रामीणों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
घटना सलेम के विरुदासमपट्टी में शक्ति मरियम्मन मंदिर में हुई, जहां कथित उच्च जाति की महिलाओं ने मंदिर में आयोजित एक पूजा में दलित श्रद्धालुओं को प्रवेश से रोक दिया. अधिकारियों के समझाने के बाद भी जब वे लोग दलितों को मंदिर में आने देने के लिए सहमत नहीं हुए तो राजस्व अधिकारियों ने मंदिर सील कर दिया.
सूरत नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर और दरगाह दोनों अवैध ढांचे थे और इसलिए इन्हें ढहाए जाने से पहले कोई नोटिस नहीं जारी किया गया था.
खेड़ा जिले के उंधेला गांव में बीते तीन अक्टूबर को एक मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध करते हुए मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने कार्यक्रम स्थल पर कथित तौर पर पथराव किया था. इसके बाद सामने आए कुछ वीडियो दिखाते हैं कि पुलिस ने कुछ युवकों की सार्वजिनक रूप से पिटाई की थी.
मामला गुजरात के खेड़ा ज़िले का है. आरोप है कि मुस्लिम समुदाय मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध कर रहा था, जिसके चलते उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर पथराव कर दिया. बाद में पुलिस ने तीन संदिग्ध हमलावरों को गांव के चौराहे पर खड़ा करके सबके सामने लाठियों से पीटा. वहीं, सूरत में गरबा पंडाल के आयोजकों को इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने ग़ैर-हिंदुओं को काम पर रखा था.
बांग्लादेश पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि एक युवक ने फेसबुक पर कुछ आपत्तिजनक पोस्ट किया था, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोग आक्रोशित हो गए. इसके बाद नारेल ज़िले के सहपारा गांव में कई घरों में तोड़फोड़ की गई, एक मकान में आग लगा दिया गया और गांव के एक मंदिर पर ईंटें भी फेंकीं गईं.
जानकारी के अनुसार, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के बाहरी इलाके नंदन नगर के एक क़ब्रिस्तान में कथित तौर पर हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों ने पहले तो बुलडोज़र चलाकर ज़मीन साफ़ की और फिर बांस का अस्थायी ढांचा खड़ा करके उसमें शिवलिंग स्थापित कर दिया और आसपास संगठन के बैनर-झंडे व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें लगा दीं. प्रशासन ने बाद में इस ढांचे को हटा दिया.
कर्नाटक के मंगलुरु शहर के बाहर कुडुपू स्थित अनंत पद्मनाभ मंदिर का मामला. मंदिर प्रशासन ने सबसे कम बोली लगाने वाले मुस्लिम ठेकेदार को मंदिर में विभिन्न सेवाओं और कार्यक्रमों के लिए नियमित आधार पर केले की आपूर्ति करने का ठेका दिया था. दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.
बिहार के अररिया ज़िले के रामपुर कोकापट्टी पंचायत क्षेत्र का मामला. अज्ञात व्यक्तियों ने लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित शेषनाग प्रतिमा को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर मंदिर परिसर में एक झंडा लगा दिया, जिस पर दूसरे धर्म का अभिलेख लिखा था. पुलिस ने कहा कि घटना को लेकर अज्ञात तत्वों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर उनकी पहचान की कोशिश की जा रही है.
राजस्थान के जालौर ज़िले के एक गांव का मामला. पीड़ित परिवार के सदस्यों ने पुजारी के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया है.
बेंगलुरु के केएसआर रेलवे स्टेशन पर कुलियों के विश्राम के लिए बने पर इस्तेमाल में न आने वाले कमरे में लंबे समय से मुस्लिम श्रमिकों द्वारा नमाज़ पढ़ी जा रही थी. अब हिंदू जनजागृति समिति ने इस पर आपत्ति जताए हुए इसे ‘साज़िश का हिस्सा’ बताया है.
बक्सर सिविल कोर्ट द्वारा 6 जनवरी को जारी एक आदेश में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश का हवाला देते हुए अदालत के कर्मचारियों को सर्किट हाउस के पास मंदिरों की सफाई के लिए कहा गया था. आदेश पर सवाल उठने के बाद इसे लिपकीय त्रुटि बताते हुए 10 जनवरी को वापस लिया गया, पर तब तक कर्मचारी मंदिर साफ कर चुके थे.
पोंडा के मंगेशी मंदिर में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा की मुक्ति के साठवें बरस में पुर्तगाली शासनकाल में तोड़े गए मंदिरों को दोबारा बनाए जाने की ज़रूरत है. मैं फिर हिंदू संस्कृति और मंदिर संस्कृति को बचाने का आग्रह करता हूं. हमें इन मंदिरों का पुनर्निर्माण करने की ताक़त दीजिए.
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम 21वीं सदी में रहते हैं, हमारे पास चमचमाती सड़कें हैं, लेकिन बहुत से लोग जो उन पर चलते हैं, आज भी जाति व्यवस्था से प्रभावित हैं. हमारा मस्तिष्क कब चमकेगा? हम कब अपनी जाति आधारित मानसिकता का त्याग करेंगे.