हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा और उसके बाद मालदीव के साथ हुए राजनयिक विवाद के बाद लक्षद्वीप काफी चर्चा में है. हालांकि, स्थानीय सांसद मोहम्मद फैज़ल ने कहा कि यह द्वीप बहुत संवेदनशील और पारिस्थितिक रूप से नाज़ुक है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए पर्यटकों की आमद को नियंत्रित करना होगा.
मानसून के दौरान पहाड़ों पर साल दर साल आने वाली त्रासदी पहाड़ से बाहर रह रहे लोगों के लिए भले ही हताहतों की संख्या या एक ख़बर भर हो, लेकिन पहाड़ में रहने वालों और वहां की पारिस्थितिकी के लिए ये सुरक्षित भविष्य बनाने की एक पुकार है. क्या सरकारें इसे सुन पा रही हैं?
‘विकास’ का यह कौन-सा मॉडल है, जो जोशीमठ ही नहीं, पूरे हिमालय क्षेत्र में दरार पैदा कर रहा है और इंसान के लिए ख़तरा बन रहा है? सरकारी ‘विकास’ की इस चौड़ी होती दरार को अगर अब भी नज़रअंदाज़ किया गया, तो पूरी मानवता ही इसकी भेंट चढ़ सकती है.
उत्तराखंड के जोशीमठ में भूमि धंसने पर चिंता व्यक्त करते हुए बद्रीनाथ मंदिर के प्रमुख पुजारी ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने कहा कि न केवल एनटीपीसी परियोजना, बल्कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली सभी परियोजनाओं को रोका जाना चाहिए. हिमालय क्षेत्र एक संवेदनशील क्षेत्र है. इस पवित्र भूमि की रक्षा की जानी चाहिए.
उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दर्जन भर सरकारी संस्थानों और वैज्ञानिक संगठनों को पत्र लिखकर कहा है कि वे जोशीमठ में भू-धंसाव के संबंध में मीडिया से बातचीत या सोशल मीडिया पर डेटा साझा न करें. इसके बाद ज़मीन धंसने के संबंध में भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जारी एक रिपोर्ट को वेबसाइट से हटा दिया गया है.
केंद्र सरकार ने लगातार जारी विरोध के बाद झारखंड में जैन समुदाय के धार्मिक स्थल सम्मेद शिखरजी से संबंधित पारसनाथ पहाड़ी पर सभी प्रकार की पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी है. हालांकि अब आदिवासी संगठनों ने पारसनाथ पहाड़ी को पहाड़ी देवता या शक्ति का सर्वोच्च स्रोत क़रार देते हुए जैन समुदाय से इसे मुक्त करने की मांग की है. मांगों पर ध्यान न देने पर विद्रोह की चेतावनी दी गई है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अयोध्या विकास प्राधिकरण ने मास्टरप्लान- 2031 के तहत शहर के कई मार्गों को ‘चौड़ाकर भव्यतम स्वरूप’ देने की परियोजना पर काम शुरू किया है. इसके लिए हज़ारों निर्माण, ख़ासतौर पर दुकानें हटाई जानी हैं. ऐसे में व्यापारियों का कहना है कि उन्हें समुचित मुआवज़ा देकर पुनर्वास किया जाए.
वाराणसी में सात नवंबर को पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देव दीपावली पर गंगा घाटों पर दस लाख दीए जलाए जाने की योजना है. ज़िले के बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार इस मौक़े पर बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों को साढ़े तीन लाख दीप जलाने होंगे.
विशेषज्ञों ने ज़रूरी और ज़िम्मेदार यात्रा पर ज़ोर देते हुए चेतावनी दी है कि पर्यटकों की संख्या में वृद्धि और सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक कारणों से होने वाली सामूहिक सभाओं के कारण जनसंख्या घनत्व में अचानक वृद्धि से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं, जिससे कुछ राज्यों में संभावित तीसरी लहर की स्थिति भयावह हो सकती है.
पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में बताया कि पिछले साल लॉकडाउन लागू होने के बाद पर्यटन क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरियां गईं, जिसमें से पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान 1.45 करोड़ नौकरियां, दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 52 लाख नौकरियां और तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 18 लाख नौकरियां जाने की संभावना है.
राजस्थान पर्यटन विभाग की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस साल प्रदेश में विदेशी पर्यटकों की संख्या में 2019 की तुलना में 59.54 फीसदी की गिरावट आई है. लॉकडाउन के कारण राजस्थान के होटल कारोबारियों, लोक कलाकारों, वाहन चालकों और टूरिस्ट गाइड आदि के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि पर्यटन वैश्विक अर्थव्यवस्था का ईंधन है. महामारी की वजह से इस क्षेत्र की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है. पर्यटन उद्योग में 12 करोड़ नौकरियां ख़तरे में हैं.
कोरोना वायरस की वजह से देश में बीते 25 मार्च से लागू लॉकडाउन की वजह से उत्तराखंड का पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. आजीविका के लिए पर्यटन से जुड़े लोगों का कारोबार चौपट हो गया है.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने संसद में दावा किया था कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने और विभिन्न पाबंदियों के बाद राज्य में पर्यटन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है. हालांकि आरटीआई के तहत प्राप्त की गई जानकारी उनके दावे के उलट तस्वीर बयां करती है.
बीते नवंबर में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने राज्यसभा में बताया था कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म होने और विभिन्न पाबंदियों के बाद राज्य में पर्यटन पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ा है. आरटीआई के तहत पर्यटन विभाग द्वारा दी गई जानकारी उनके दावे के उलट तस्वीर बयां करती है.