वीडियो: बांग्लादेश में वैष्णव संत चिन्मय कृष्ण दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तारी के बाद भारत के कई हिस्सों, खासकर पूर्वोत्तर और बंगाल में प्रदर्शन हुए हैं, और हिंदुओं के सुरक्षित न रहने के दावे किए जा रहे हैं. इस बारे में द वायर की संगीता बरुआ पिशारोती और द हिंदू के वरिष्ठ पत्रकार कल्लोल भट्टाचार्य के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग परिसर में तोड़फोड़ की. बांग्लादेश सरकार ने चिंता जताते हुए कहा कि यह राजनयिक मिशनों की अखंडता का उल्लंघन है. इस बीच, त्रिपुरा के होटलों ने बांग्लादेशी पर्यटकों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
असम के दिमा हसाओ ज़िले के मुख्यालय हाफलोंग से 55 किमी दूर स्थित डिबालोंग स्टेशन पर गुरुवार दोपहर को मुंबई जाने वाली अगरतला-लोकमान्य तिलक टर्मिनस एक्सप्रेस के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए. घटना में किसी के घायल होने या हताहत होने की ख़बर नहीं है.
रविवार देर रात पूर्वी अगरतला थाने जा रहे पत्रकारों के एक समूह को कुछ लोगों द्वारा रोका गया और उनके साथ मारपीट और लूटपाट की गई. इसके ख़िलाफ़ पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन करने वाले पत्रकारों ने मीडियाकर्मियों की समुचित सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग की है.
घटना धलाई ज़िले की है. महिला ने अस्पताल में बच्ची को जन्म देने के अगले ही दिन उसे 5,000 रुपये में एक दंपति को बेच दिया. महिला के पति ने गरीबी के कारण पांच महीने पहले आत्महत्या कर ली थी.
त्रिपुरा सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति और ज़िला स्तरीय समिति के गठन के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है. लोकसभा चुनावों की घोषणा के कुछ दिन पहले ही गृह मंत्रालय ने सीएए के नियमों को अधिसूचित किया था.
असम के पहाड़ी दिमा हसाओ ज़िले में भारी भूस्खलन और रेलवे पटरियों के क्षतिग्रस्त होने के कारण बीते 25 अप्रैल से यात्री और माल गाड़ियां प्रभावित हुई हैं, जिससे त्रिपुरा में ईंधन संकट खड़ा हो गया है. राजधानी अगरतला में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
वीडियो: सिक्किम में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हैं, जहां सत्तारूढ़ एसकेएम दोबारा जीत की उम्मीद में है लेकिन विपक्षी एसडीएफ से उसे कड़ी टक्कर मिल रही है. वहीं,मेघालय और त्रिपुरा की दो-दो लोकसभा सीटों पर भी रोचक मुक़ाबला देखने को मिल रहा है. तीनों राज्यों की राजनीति पर द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
त्रिपुरा के लगभग 700 स्नातक शिक्षकों ने 2017 और 2020 के उनके बर्ख़ास्तगी आदेशों को असंवैधानिक बताते हुए याचिका में कहा है कि शिक्षकों के परिवार गंभीर स्थिति है. बर्ख़ास्त किए गए 160 से अधिक शिक्षकों की मृत्यु हो गई है, उनमें से कई ने बुनियादी जीविका की सुविधाओं के अभाव के कारण आत्महत्या की.
वीडियो: विश्व हिंदू परिषद ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शेरों के एक जोड़े का नाम ‘अकबर’ और ‘सीता’ रखने पर आपत्ति जताई थी. कोर्ट के सवाल करने पर इन शेरों के त्रिपुरा से भेजे जाने की बात सामने आई, जिसके बाद त्रिपुरा सरकार ने मुख्य वन्यजीव वार्डन निलंबित कर दिया. इस बारे में चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और प्रोफेसर अपूर्वानंद.
विश्व हिंदू परिषद ने 16 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शेरों के एक जोड़े का नाम ‘अकबर’ और ‘सीता’ रखने पर आपत्ति जताई थी. हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या संभावित धार्मिक विवाद पैदा करने के लिए शेरों को यह नाम दिया गया. बीते 12 फरवरी को दोनों को त्रिपुरा के सिपाहीजाला चिड़ियाघर से पश्चिम बंगाल के उत्तरी बंगाल वन्य पशु पार्क लाया गया था.
त्रिपुरा का विपक्षी दल टिपरा मोथा राज्य की जनजातीय आबादी के संवैधानिक समाधान की मांग कर रहा है. आदिवासियों के लिए ग्रेटर टिपरालैंड राज्य और त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद को सीधे वित्तपोषण जैसी अपनी अन्य मांगों को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ कई वार्ताओं में भी शामिल रहा है.
त्रिपुरा के धलाई ज़िले में एक रेप सर्वाइवर ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. यह घटना तब हुई, जब वह अपने साथ हुए बलात्कार के संबंध में बयान दर्ज कराने मजिस्ट्रेट के चेंबर में गई हुई थी. मजिस्ट्रेट द्वारा यौन उत्पीड़न मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.
कोकबोरोक को 1979 में त्रिपुरा में आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी. हाल ही में त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के प्रमुख ने कथित तौर पर दावा किया था कि बोर्ड के छात्रों को कोकबोरोक परीक्षा देते समय केवल बंगाली लिपि का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी. टिपरा मोथा पार्टी ने कहा है कि वह क़ानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भाजपा शासन के तहत सबसे गरीब लोगों को विकास ने छुआ है और ऐसी सर्वव्यापी प्रगति केवल 'रामराज्य' में ही संभव है.