इस साल फरवरी में इलाहाबाद में उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस संबंध में अतीक़ अहमद और उसके परिवार के कुछ सदस्यों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया गया है. उमेश बसपा विधायक रहे राजू पाल की 2005 में की गई हत्या मामले में गवाह थे. राजू पाल हत्या में भी अतीक़ नामज़द है.
सपा के पूर्व सांसद अतीक अहमद 2005 में बसपा के विधायक राजू पाल की हत्या के आरोपी हैं. इस हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की बीते 24 फरवरी को इलाहाबाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अब अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में उन्हें जान का ख़तरा होने की बात कही है.
शीर्ष अदालत ने एक याचिका का निपटारा करने में अधिकारियों द्वारा देरी किए जाने पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि समय-पूर्व रिहाई का आवेदन सितंबर 2019 से लंबित है और फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा इस साल पांच जनवरी को जारी किए गए हिरासत प्रमाण-पत्र के अनुसार, दोषी बिना किसी छूट के कुल 15 साल और 14 दिन की सज़ा काट चुका है.
वर्ष 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े एक मामले में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, साध्वी प्राची, भाजपा के पूर्व सांसद भारतेंदु सिंह, पूर्व भाजपा विधायक उमेश मलिक, कट्टर हिंदुत्वावादी नेता यति नरसिंहानंद समेत कई आरोपी निषेधाज्ञा के उल्लंघन और लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने दोषियों की समय-पूर्व रिहाई के संबंध में अदालत के पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने पिछले साल राज्य सरकार से 2018 की अपनी नीति में निर्धारित मानदंडों का पालन करने के लिए चार महीने के भीतर 512 क़ैदियों की समय से पहले रिहाई के मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा था.
आज़म ख़ान ने अपने ख़िलाफ़ लंबित आपराधिक मामलों को कथित उत्पीड़न के आधार पर उत्तर प्रदेश के बाहर ट्रांसफर करने की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया है कि यूपी पुलिस द्वारा सैकड़ों एफ़आईआर दर्ज कर उन्हें ‘परेशान’ किया जा रहा है. निचली अदालत उनके द्वारा उठाई गईं आपत्तियों पर विचार किए बिना मामले में आगे बढ़ रही है.
घटना बलरामपुर ज़िले की है. जाफ़राबाद निवासी एक महिला का आरोप है कि मुस्लिम बहुल आबादी में रहने के चलते उनके पड़ोसी उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हैं. ऐसा न करने पर मकान बेचकर जाने और जान से मारने की धमकी देते हैं.
राज्य में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासनिक अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि कुछ ज़िलों में दोबारा लाउडस्पीकर लगाए जा रहे हैं, यह स्वीकार्य नहीं है. तत्काल आदर्श स्थिति बनाई जाए.
पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने 2011 में यौन शोषण का मुक़दमा दर्ज कराया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 30 नवंबर को शाहजहांपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत में हाज़िर नहीं हुए.
मुज़फ़्फ़रनगर की एमपी/एमएलए अदालत ने 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े एक मामले में 10 अक्टूबर को खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य लोगों को दो साल की जेल की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद यूपी विधानसभा ने उन्हें अयोग्य ठहरा कर उनकी सीट रिक्त घोषित कर दी थी.
मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले की खतौली विधानसभा से भाजपा के विधायक विक्रम सिंह सैनी को मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के केस में दो वर्ष की सज़ा सुनाए जाने के बाद विधानसभा सचिवालय ने इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया है.
उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह एक वायरल वीडियो में कथित तौर पर मीडिया से बात करते हुए यह कहते हुए देखे जा सकते हैं कि बाढ़ के प्रति मैंने अपने जीवन में इतना ख़राब इंतज़ाम पहले कभी नहीं देखा है. लेकिन, बोलना बंद है. बोलोगे तो बागी कहलाओगे.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में 2013 के सांप्रदायिक दंगे में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और 40 हज़ार से ज़्यादा विस्थापित हुए थे. विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 11 अन्य को दोषी क़रार देते हुए दो-दो साल की क़ैद और जुर्माने की सज़ा सुनाई. हालांकि सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया.
मेरठ के खेड़ा गांव में विजयादशमी के अवसर पर आयोजित शस्त्र पूजन कार्यक्रम में सरधना क्षेत्र से भाजपा के विधायक रहे संगीत सोम ने कहा कि जिस तरह से एक वर्ग विशेष की आबादी बढ़ रही है, आतंकवाद बढ़ रहा है, इन सबको समाप्त करने के लिए सत्ता के साथ-साथ भविष्य में शस्त्रों की भी ज़रूरत पड़ेगी.
वीडियो: यूपी सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रहे स्वामी चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ दर्ज बलात्कार के मुक़दमे को वापस लेने की पैरवी की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को ख़ारिज करते हुए कहा कि मुक़दमा वापस नहीं लिया जा सकता है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.