लॉकडाउन: नोएडा में वेतन भुगतान को लेकर मज़दूरों का प्रदर्शन

नोएडा के सेक्टर-63 स्थित ओरियंट क्राफ्ट कंपनी का मामला. मज़दूरों का आरोप है कि पुलिस और जिला प्रशासन कंपनी मैनेजमेंट का पक्ष ले रहा है. कंपनी ने उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं दिया है.

सीएए विरोधी प्रदर्शन मामले में यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष गिरफ़्तार

यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम को बीते साल 19 दिसंबर को लखनऊ में सीएए- एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के मामले में गिरफ़्तार किया गया है. कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया है.

उत्तर प्रदेश: कथित तौर पर रेत माफिया के ख़िलाफ़ ख़बर करने वाले उन्नाव के पत्रकार की हत्या

उत्तर प्रदेश के कानपुर से प्रकाशित एक अख़बार के पत्रकार 25 वर्षीय शुभम मणि त्रिपाठी ने अपनी हत्या से पहले अधिकारियों को पत्र लिखकर क्षेत्र के भू-माफिया और रेत माफिया से अपनी जान को ख़तरा होने की आशंका जताई थी.

यूपी: मोदी-शाह को लेकर आपत्तिजनक वॉट्सऐप पोस्ट के आरोप में चार के ख़िलाफ़ केस दर्ज

मामला उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद का है. स्थानीय भाजपा नेता ने पुलिस से की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि एक वॉट्सऐप ग्रुप में किए जा रहे पोस्ट लोगों की भावनाओं को भड़का सकते हैं.

कानपुर: आश्रयगृह में कोविड संक्रमण मामले में यूपी सरकार को मानवाधिकार आयोग का नोटिस

कानपुर के सरकारी आश्रयगृह में 57 नाबालिग लड़कियां कोरोना संक्रमित पाई गई हैं, जिनमें पांच गर्भवती और एक एचआईवी पॉजिटिव हैं. एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर लड़कियों की स्वास्थ्य स्थिति, उपचार और परामर्श को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.

सरकारें विरोध की आवाज़ दबाने के लिए राज्य प्रशासन का इस्तेमाल कर रही हैं: मीडिया संगठन

प्रधानमंत्री के गोद लिए गए गांव से संबंधित एक रिपोर्ट पर पत्रकार सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ वाराणसी में केस दर्ज़ किया गया है. मीडिया संगठनों का कहना है कि अधिकारियों द्वारा क़ानूनों के इस तरह से दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति भारत के लोकतंत्र के एक प्रमुख स्तंभ को नष्ट करने की तरह है.

मोदी द्वारा गोद लिए गए गांव पर रिपोर्ट के चलते पत्रकार सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ केस दर्ज

समाचार पोर्टल ‘स्क्रोल डॉट इन’ की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा और एडिटर-इन-चीफ के ख़िलाफ़ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) क़ानून 1989 और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के त​हत उत्तर प्रदेश पुलिस ने केस दर्ज़ किया है.

यूपी: शव को कूड़ा गाड़ी में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा, तीन पुलिसकर्मी और चार निगमकर्मी निलंबित

मामला पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले की उतरौला तहसील का है. घटना से संबंधित वीडियो सामने आने के बाद प्रशासन ने मामले पर संज्ञान लिया.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने तबलीगी जमात के 83 लोगों के खिलाफ दायर की चार्जशीट, इसमें 57 विदेशी हैं

इन लोगों को कथित रूप से कोरोना वायरस फैलाने के आरोप में सहारनपुर में छह अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया था.

झारखंड की तीन युवतियों को बेचने और बलात्कार की घटना का एनसीडब्ल्यू ने संज्ञान लिया

एक नाबालिग समेत झारखंड की तीन युवतियों को कथित तौर पर राजस्थान में बेचे जाने और उनके साथ बलात्कार का मामला सामने आया है. लॉकडाउन में घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों के समूह के बीच अपने अपहर्ताओं से छिपते-छिपाते कई दिनों तक पैदल चलने के बाद हाल ही में इन्हें उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में पुलिस ने बचाया.

शामली: एक को गिरफ़्तार करने गई पुलिस ने 35 मुस्लिम घरों में तोड़फोड़ व मारपीट की

वीडियो: उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले में पुलिस बर्बरता की एक घटना सामने आई है. शामली के टपरना गांव के लोगों का आरोप है कि बीती 26 मई को देर रात पुलिस ने लगभग 35 मुसलमानों के घरों में घुसकर तोड़फ़ोड़ की. मर्दों, औरतों और बच्चों के साथ मारपीट की.

‘वे जल्द से जल्द लौटना चाहते थे कि बच्चों को देख सकें, पर ऐसे आएंगे ये नहीं सोचा था’

बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के एक गांव के रहने वाले सगीर अंसारी दिल्ली में सिलाई का काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान काम न होने और जमापूंजी ख़त्म हो जाने के बाद वे अपने भाई और कुछ साथियों के साथ साइकिल से घर की ओर निकले थे, जब लखनऊ में एक गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई.

डॉक्टर कफील खान की रासुका अवधि तीन महीने के लिए बढ़ाई गई

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पिछले साल दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में 29 जनवरी को डॉक्टर कफील खान को गिरफ्तार किया गया था. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिहा करने के बजाय उन पर रासुका लगा दिया गया था.

द वायर के सिद्धार्थ वरदराजन समेत विश्व के 17 पत्रकारों को मिला डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड

साल 2015 से डॉयचे वेले द्वारा यह सालाना सम्मान मीडिया के क्षेत्र में मानवाधिकार और बोलने की आज़ादी के प्रति प्रतिबद्धता से काम करने के लिए दिया जाता रहा है. इस बार यह विश्व भर के उन पत्रकारों को दिया जा रहा है, जिन्होंने कोरोना संकट के दौरान उनके देशों में सत्ता द्वारा उत्पीड़न और कार्रवाई का सामना किया है.

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