क्या सीता और अकबर का नाम साथ में आना अपराध है?

वीडियो: विश्व हिंदू परिषद ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शेरों के एक जोड़े का नाम ‘अकबर’ और ‘सीता’ रखने पर आपत्ति जताई थी. कोर्ट के सवाल करने पर इन शेरों के त्रिपुरा से भेजे जाने की बात सामने आई, जिसके बाद त्रिपुरा सरकार ने मुख्य वन्यजीव वार्डन निलंबित कर दिया. इस बारे में चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और प्रोफेसर अपूर्वानंद.

त्रिपुरा सरकार ने शेरों के नाम अकबर-सीता रखने पर मुख्य वन्यजीव वार्डन को निलंबित किया: रिपोर्ट

विश्व हिंदू परिषद ने 16 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शेरों के एक जोड़े का नाम ‘अकबर’ और ‘सीता’ रखने पर आपत्ति जताई थी. हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या संभावित धार्मिक विवाद पैदा करने के लिए शेरों को यह नाम दिया गया. बीते 12 फरवरी को दोनों को त्रिपुरा के सिपाहीजाला चिड़ियाघर से पश्चिम बंगाल के उत्तरी बंगाल वन्य पशु पार्क लाया गया था.

हेट स्पीच की 75 प्रतिशत घटनाएं भाजपा शासित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हुईं: रिपोर्ट

अमेरिका स्थित संगठन ‘इंडिया हेट लैब’ द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, जहां साल 2023 की पहली छमाही में हेट स्पीच 255 घटनाएं हुईं, वहीं दूसरी छमाही में यह संख्या बढ़कर 413 हो गई यानी इनमें 62% की वृद्धि’ दर्ज की गई. 36% यानी 239 घटनाओं में ‘मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा का प्रत्यक्ष आह्वान शामिल था.

यूपी: तनाव पैदा करने के लिए गोहत्या करने के आरोप में बजरंग दल ज़िला प्रमुख समेत चार गिरफ़्तार

पुलिस ने बताया कि बजरंग दल के मुरादाबाद ज़िला प्रमुख मोनू विश्नोई और अन्य ने एक गाय चुराकर उसे वन क्षेत्र में मार डाला था. मुरादाबाद एसएसपी ने कहा कि मोनू को स्थानीय एसएचओ के साथ झगड़ा भी था. उसने इलाके में तनाव पैदा करने और पुलिस की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए घटना को अंजाम दिया था.

अयोध्या में तो राम भी मोदीमय हैं!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आगमन की तैयारियां भी रामलला के स्वागत की तैयारियों से कमतर नहीं हैं. स्ट्रीट लाइट्स पर मोदी के साथ भगवान राम के कट-आउट्स लगे हुए हैं, जिनकी ऊंचाई पीएम के कट-आउट्स से भी कम है. यह भ्रम होना स्वाभाविक है कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम आएंगे या प्रधानमंत्री मोदी को आना है?

आस्थाओं के शोर में विवेक की बेदख़ली!

जहां तक धार्मिक आस्थाओं की बात है, उन्हें यों भी समझ सकते हैं कि प्राय: सभी धार्मिक समूहों में ऐसी पवित्र पुस्तकें और बानियां हैं, जिन्हें परमेश्वरकृत ‘परम प्रामाणिक सत्य’ माना जाता है. इनमें आस्था इस सीमा तक जाती है कि उनमें जो कुछ भी कहा या लिखा गया है, वही संपूर्ण सत्य और ज्ञान है और जो उनमें नहीं है, वह न सत्य है, न ज्ञान.

संक्रमण काल या अमृतकाल!

हिंदू समाज या कहें संपूर्ण भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां सबको आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है. भले सत्ताधारी इसे अमृतकाल कहें किंतु यह संक्रमण काल है. दुर्बुद्धि और नफ़रत का संक्रमण काल, जहां मर्यादाएं विच्छिन्न हो रहीं हैं.

अभी भले एहसास न हो, पर हिंदू जनता सिर्फ़ राजनीतिक लाभ का साधन बनकर रह जाएगी

अगर हिंदू जनता को यह यक़ीन दिलाया जा सकता है कि यह मंदिर उसकी चिर संचित अभिलाषा को पूरा करता है तो इसका अर्थ है कि हिंदू मन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूरी तरह कब्ज़ा हो चुका है.

अयोध्या: राम, तुम्हारे नाम पर..!

तुलसीदास रामचरितमानस में कहते हैं कि राम के बारे में अब तक जो कुछ भी लिखा-पढ़ा या सुनाया गया है, वह लिखने-पढ़ने-सुनाने वालों की ‘स्वमति अनुसार’ ही है- आधिकारिक या प्रामाणिक नहीं. ऐसी कोई ‘स्वमति’ कुमति में बदल जाए तो उससे किसी भी सभ्य तर्क की कसौटी पर खरी उतरने की अपेक्षा नहीं की जा सकती. 

22 जनवरी, 2024 एक तरह से राजनीति के सत की परीक्षा है

चार शंकराचार्यों ने राम मंदिर के आयोजन में शामिल होने से इनकार कर दिया है. उन्होंने ठीक ही कहा है कि यह धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भाजपा का राजनीतिक आयोजन है. फिर यह सीधी-सी बात कांग्रेस या दूसरी पार्टियां क्यों नहीं कह सकतीं?

दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज में भगवद गीता पर सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया

डीयू के रामानुजन कॉलेज ने फैकल्टी सदस्यों और शोधार्थियों के लिए भगवद गीता पर आधारित सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है. कॉलेज द्वारा जारी कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है कि इससे जुड़कर, प्रतिभागी न केवल आध्यात्मिक समझ को समृद्ध करेंगे बल्कि देश की सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत से भी परिचित होंगे.

कांग्रेस की भीरुता के बिना राम मंदिर नहीं बन सकता था…

कांग्रेस के लोग यह सही कहते हैं कि उनके बिना राम मंदिर नहीं बन पाता. लेकिन यह गर्व की नहीं, लज्जा की बात होनी चाहिए. कांग्रेस को यह नहीं भूलना चाहिए कि 1949 में बाबरी मस्जिद में सेंधमारी नहीं हुई थी, सेंधमारी धर्मनिरपेक्ष भारतीय गणतंत्र में हुई थी.

अयोध्या: अनिमंत्रितों से प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में न आने की अपील का क्या अर्थ है?

राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय की अपील सुनकर बरबस 'अज्ञेय' याद आते हैं, जिनका कहना था कि 'जो निर्माता रहे/ इतिहास में वह/ बंदर कहलाएंगे'. ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के लिए संघर्षरत रहे कारसेवकों व राम सेवकों का ‘बंदर कहलाने’ की नियति से साक्षात्कार क्यों कराया जा रहा है?

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