केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा द्वारा किसानों को दी गई चेतावनी का एक कथित वीडियो सामने आने के बाद बीते तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी ज़िले में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समूह पर कथित तौर पर उनके बेटे आशीष मिश्रा द्वारा वाहन चढ़ा देने से चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में बीते तीन अक्टूबर को हिंसा के दौरान जिन किसानों की मौत हुई उनके परिजनों को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं दी गई है. इसके अलावा किसानों का आरोप है कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली है, उसमें गोली लगने का जिक्र नहीं है, जबकि मौत का कारण वाहन से कुचलने के अलावा गोली लगना भी है. किसानों में इस बात को लेकर भी रोष है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय
वीडियो: उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के सामूहिक बलात्कार और मौत के बाद किसी अन्य घटना ने इतना ध्यान आकर्षित नहीं किया, जितना हाल ही में लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों को निर्ममतापूर्ण तरीके से कुचल देने की घटना ने किया है. दूसरी ओर ठोस कार्रवाई करने में उत्तर प्रदेश सरकार की ढिलाई ने किसानों के गुस्से को शांत करने के बजाय और बढ़ा दिया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस की बुनियादी गै़र क़ानूनी हरकत पर सवाल नहीं किया गया है. हम मान बैठे हैं कि पुलिस को कहीं भी, किसी भी वक़्त बेधड़क घुस जाने, किसी को, किसी भी अवस्था में उठा लेने का हक़ है. वह मारपीट कर सकती है, यह तो उसे सच उगलवाने के लिए करना ही पड़ता है: यही हमारी समझ है और इसलिए पुलिस कार्रवाई में कोई मारा जाए, इससे तब तक विचलित नहीं होते जब तक वह हमारा अपना न
पूर्व राज्यपाल अज़ीज़ क़ुरैशी ने गिरफ़्तारी पर रोक लगाने और एक भाजपा नेता द्वारा बीते पांच सितंबर को उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले के सिविल लाइंस पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया था. आरोप है कि आज़म ख़ान के घर जाने और उनकी पत्नी से मुलाकात करने के बाद क़ुरैशी ने राज्य सरकार के ख़िलाफ़ अपमानजनक बयान दिया था.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले का मामला. परिजनों ने एफ़आईआर पर हैरानी जताते हुए कहा कि उनके लड़के कक्षा 12 में पढ़ते हैं और वे अपने दोस्तों के बीच महज़ ‘बातचीत’ कर रहे थे. इसे लेकर बेवजह किसी ने शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत दर्ज कराने वाले भाजपा नेता ने कहा कि वीडियो के चलते लोगों में ग़ुस्सा है और इसके चलते धार्मिक विद्वेष फैल सकता है.
वीडियो: इलाहाबाद में महंत नरेंद्र गिरि के निधन के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत काफी गर्म हो गई है. कोई इसे आत्महत्या बता रहा है तो कोई हत्या, लेकिन इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि की मौत को आत्महत्या क्यों बताया? उन्होंने इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई? वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ी मानी जाने वाली जातियों के नेताओं को जगह देकर उनकी शुभचिंतक होने का डंका पीट रही है. हालांकि जानकारों का सवाल है कि यदि ऐसा ही है तो प्रदेश के यादवों, जाटवों और राजभरों पर उसकी यह कृपा क्यों नहीं बरसी?
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में क़रीब पांच महीने बाकी हैं, लेकिन सियासी सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं. मंत्रिमंडल परिवर्तन से लेकर राजनीतिक दलों के गठजोड़ देखने को मिल रहे हैं. पर राज्य की जनता क्या बदलाव चाहती है या वर्तमान व्यवस्था में उसका भरोसा बना हुआ है?
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार ऐसे समय में किया गया है, जब विधानसभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने रह गए हैं. बीते जून महीने में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद के अलावा पलटू राम, धर्मवीर सिंह, छत्रपाल सिंह गंगवार, संगीता बलवंत, संजीव कुमार गौड़ और दिनेश खटिक ने शपथ ली. प्रसाद को कैबिनेट मंत्री, जबकि अन्य को राज्य मंत्री का पद दिया गया है.
राज्य में साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा कर लेने के बाद दोबारा जनादेश पाने की आकांक्षा में योगी आदित्यनाथ का बात-बात पर पूर्ववर्ती सरकारों पर बरसना सर्वथा अवांछनीय है क्योंकि जनता उनके किए का फल उन्हें पहले ही दे चुकी है.
2022 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए अलग-अलग समय पर भाजपा से कोई न कोई शर्त रखने वाले निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने शुक्रवार की पत्रकार वार्ता में किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और भाजपा नेताओं के बयान पर सहमति में सिर हिलाते रहे. बीते दिनों में निषाद भाजपा से ख़ुद को उप-मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव मैदान में उतारने की मांग भी कर चुके हैं.
उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले का मामला. आरोप है कि दोनों व्यक्तियों ने बीते ट्विटर, फेसबुक और वॉट्सऐप पर बीते 23 सितंबर को एक वीडियो पोस्ट किया गया, जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध अपशब्दों का प्रयोग करते दिखाई दे रहे हैं.
कथित ‘सबसे बड़े धर्मांतरण सिंडिकेट’ चलाने के आरोप में यूपी एटीएस ने इस्लामिक विद्वान मौलाना कलीम सिद्दीक़ी को बीते 21 सितंबर को मेरठ से गिरफ़्तार किया था. सिद्दीक़ी के वकील ने कहा है कि पुलिस साक्ष्य के रूप में उनके यूट्यूब चैनल को पेश कर रही है, जो कि पहले से ही सार्वजनिक है और उसमें कुछ भी आपराधिक या देश के ख़िलाफ़ नहीं है.
वीडियो: सपा नेता, यूपी योजना आयोग के पूर्व सदस्य और लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सुधीर पंवार का कहना है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी वर्तमान में सभी समुदायों में सत्ता विरोधी वोटों को मज़बूत करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है. अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर द वायर के अजॉय आशीर्वाद से उनकी बातचीत.