उत्तर प्रदेश के अमेठी में सेना के रिटायर कैप्टन की पीट-पीट कर ​हत्या

अमेठी ज़िले के गोडियन का पुरवा गांव का मामला. अज्ञात बदमाश सेना के रिटायर कैप्टन अमानुल्लाह ख़ान के घर के बगल में स्थित दुकान से चोरी कर रहे थे. अमानुल्लाह की पत्नी ने बताया कि उनके पति ने चोरी का विरोध किया था.

हम भी भारत: सोनभद्र से क़त्ल-ए-आम की पूरी कहानी

वीडियो: बीते 17 जुलाई को उत्तर प्रदेश में सोनभद्र ज़िले के उम्भा गांव में 90 ​बीघा जमीन पर क़ब्ज़े को लेकर हुए खूनी संघर्ष में 10 आदिवासी किसानों की मौत हो गई थी. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की उम्भा गांव के मृतक आदिवासियों के परिजनों से बातचीत.

कब तक भूख और गोली से मारे जाएंगे आदिवासी?

सोनभद्र में किसी ने उन आदिवासियों की भुखमरी के हालात की तह में जाने की कोशिश तक नहीं की, यह सवाल नहीं पूछा कि मौत का ख़तरा होते हुए भी वे इस अनउपजाऊ क्षेत्र में ज़मीन से क्यों चिपके हुए थे?

सोनभद्र में जिस ज़मीन के लिए 10 लोगों को मार दिया गया, उसका कोई राजस्व रिकॉर्ड नहीं

अपर ज़िलाधिकारी ने बताया कि उम्भा गांव की उक्त विवादित भूमि से संबंधित 1955 के रिकॉर्ड नष्ट किए जा चुके हैं. एक निर्धारित अवधि के बाद कुछ रिकॉर्ड नियमानुसार नष्ट कर दिए जाते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उनके रखने के लिए स्थान की समस्या हो जाती है.

उत्तर प्रदेश: स्कूल में गिरे हाईटेंशन तार के करंट से 51 बच्चे घायल

बलरामपुर ज़िले के एक प्राइमरी स्कूल में 51 बच्चे हाईटेंशन तार के करंट की चपेट में आ गए. लापरवाही बरतने के आरोप में बिजली विभाग के दो कर्मचारी निलंबित, जूनियर इंजीनियर के ख़िलाफ़ विभागीय जांच के आदेश.

उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास तक की सज़ा की सिफ़ारिश की

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी रिपोर्ट में विधि आयोग ने कहा है कि इस तरह की हिंसा के शिकार व्यक्ति के परिवार और गंभीर रूप से घायलों को पर्याप्त मुआवज़ा मिले. इसके अलावा संपत्ति के नुकसान के लिए भी मुआवज़ा मिले.

भाजपा जातिगत राजनीति के अंत की बात करती है, लेकिन अंदरखाने उसे साधने में लगी रहती है

लोकसभा चुनाव में मिली जीत को भाजपा जातिवादी राजनीति की हार के तौर पर भी प्रचारित करती रही है. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को जातीय समीकरणों को साधने की ज़रूरत नज़र आने लगी.

17 ओबीसी जातियों को एससी सूची में शामिल करने का योगी सरकार का आदेश असंवैधानिक: केंद्र

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में कहा कि राज्य सरकार का कदम उचित नहीं है और असंवैधानिक है. ओबीसी जातियों को एससी सूची में शामिल करना संसद के अधिकार में आता है.

मोदी सरकार ने फिर जता दिया है कि असहमतियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

बीते एक महीने में ही बहुमत से दोबारा सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार ने जता दिया है कि अपनी आलोचना के प्रति सहिष्णुता दिखाने का उसका कोई इरादा नहीं है.

उत्तर प्रदेशः 17 अति पिछड़ी जातियों को मिलेगा अनुसूचित जाति का दर्जा

आदित्यनाथ सरकार का यह फ़ैसला अदालत के अंतिम आदेश के अधीन होगा. अगर अदालत इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अनुमति नहीं देगी, तब इन्हें इस दायरे से बाहर कर दिया जाएगा.

नोएडा पुलिस महिलाओं से छेड़छाड़ करने वालों को जारी करेगी रेड कार्ड

नोएडा पुलिस इस पहल के तहत स्कूलों और कॉलेजों में फीडबैक फॉर्म का वितरण करेगी, जिसमें महिलाओं से सुझाव मांगे जाएंगे कि वह उन क्षेत्रों के बारे में बताएं, जहां एंटी रोमियो स्क्वाड की जरूरत है.

उत्तर प्रदेश में प्रेस विज्ञप्तियां कैसे करेंगी संस्कृत का उत्थान?

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संस्कृत के उत्थान के लिए सचमुच फिक्रमंद होती तो संस्कृत में प्रेस विज्ञप्तियां जारी करने के अपने फैसले पर अमल से पहले उन कारणों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन करवाती, जिनके चलते संस्कृत अपने लोक से लगातार कटती गई है.

यूपी: निजी विश्वविद्यालयों को राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल न होने का हलफ़नामा देना होगा

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है जिसके तहत निजी विश्वविद्यालयों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं होने का एक शपथपत्र देना पड़ेगा. कांग्रेस ने इसे आरएसएस की विचारधारा थोपने वाला बताया है.

योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत के ख़िलाफ़ पोस्ट लिखने पर रैपर हार्ड कौर पर राजद्रोह का केस दर्ज

हार्ड कौर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और आरएसएस प्रमुख की आलोचना करते हुए पोस्ट लिखा था, जिस पर वाराणसी में शशांक शेखर नाम के एक वकील ने मामला दर्ज कराया है. शेखर आरएसएस के सदस्य भी हैं.

साल दर साल काल के गाल में समाते बच्चे और गाल बजाते नेता

सोमवार को मुज़फ़्फ़रपुर दौरे पर पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कई योजनाओं की घोषणा की, तो उन्हें 2014 में की गई घोषणाओं के बारे में ध्यान दिलाया गया, जिस पर वह असहज हो गए. दरअसल वे पांच साल पूर्व की गई अपनी ही घोषणाएं फिर से दोहरा रहे थे जो अब तक या तो अमल में ही नहीं आ सकी हैं या आधी-अधूरी हैं.

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