क्यों मीडिया ने अमित शाह की संपत्ति और स्मृति ईरानी की डिग्री से जुड़ी ख़बर हटा दी?

कई मीडिया संस्थानों ने अमित शाह की संपत्ति में 300 फीसदी की बढ़ोत्तरी और स्मृति ईरानी की डिग्री से जुड़ी ख़बर छापी थी, जिसे बिना कोई वजह बताए हटा लिया गया.

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कई मीडिया संस्थानों द्वारा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की संपत्ति में 300 फीसदी की बढ़ोत्तरी और स्मृति ईरानी की डिग्री से जुड़ी ख़बर प्रकाशित की गई थी, जिसे बिना कोई वजह बताए हटा लिया गया.

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भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की संपत्ति में पिछले पांच साल में 300 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.

यह ख़बर टाइम्स आॅफ इंडिया के अहमदाबाद संस्करण ने शनिवार को छापी थी, लेकिन प्रकाशन के कुछ ही घंटों में अख़बार की वेबसाइट से हटा ली गई. ख़बर क्यों हटाई गई, इस बारे में अख़बार की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. अख़बार के संपादकों की तरफ से आधिकारिक रूप से इसकी कोई ज़िम्मेदारी भी नहीं ली गई है कि ख़बर क्यों हटा ली गई.

इस ख़बर में बताया गया था कि कैसे पांच साल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की संपत्ति बढ़ गई है. 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने जो हलफनामा दाखिल किया था और 2017 में राज्यसभा के लिए जो हलफनामा दाखिल किया है, उसके मुताबिक उनकी संपत्ति में 300 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है.

इस ख़बर में यह भी लिखा था कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा राज्यसभा चुनाव के लिए दिए गए हलफनामे के मुताबिक उनकी कॉमर्स की बैचलर डिग्री अभी पूरी नहीं हुई है.

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2004 में स्मृति द्वारा दिए गए हलफ़नामे का हिस्सा. पूरा हलफनामा एडीआर की वेबसाइट पर देखा जा सकता है.

स्मृति ईरानी 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ी थीं, जहां अपने हलफनामे में उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ करेस्पॉन्सडेन्स से बीकॉम पार्ट वन, 1994 बताया था.

यही जानकारी उन्होंने 2011 के राज्यसभा चुनाव में भी दी थी, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में वे दिल्ली के चांदनी चौक से चुनाव लड़ी थीं, जिसमें ईरानी ने बताया था कि वे 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ करेस्पॉन्सडेन्स से बीए हैं.

यह ख़बर टाइम्स आॅफ इंडिया के सहयोगी संस्थानों जैसे नवभारत टाइम्स, इकोनॉमिक टाइम्स में भी छपी थी, लेकिन यह ख़बर वहां से भी हटा ली गई.

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द वायर  ने टाइम्स आॅफ इंडिया के संपादकों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस ख़बर के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी अपील की कि उनका नाम नहीं लिया जाना चाहिए. इन अख़बारों को छापने वाली कंपनी बेनेट एंड कोलमैन कंपनी लिमिटेड के प्रबंधन को इस सिलसिले में मैसेज किया गया, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है.

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टाइम्स ऑफ इंडिया के अहमदाबाद संस्करण में छपी रिपोर्ट, जो शनिवार को अख़बार की वेबसाइट से अचानक गायब हो गई.

अमित शाह की संपत्ति और स्मृति ईरानी की विवादित शैक्षणिक डिग्री के बारे में ये सूचनाएं उनके हलफनामे से ली गई थीं, जो उन्होंने गुजरात से राज्यसभा चुनाव के संबंध दाखिल किए हैं.

इसके पहले अमित शाह द्वारा 2012 और 2007 में दिए हलफनामों में भी उनकी संपत्ति में उन पांच सालों के दौरान छह करोड़ रुपये से ज़्यादा की बढ़ोत्तरी दिखाई देती है.

ऐसा लगता है कि टाइम्स आॅफ इंडिया ने अमित शाह और स्मृति ईरानी से जुड़ी यह ख़बर आंतरिक समीक्षा के चलते नहीं, बल्कि बाहरी दबाव में हटाई है क्योंकि यही ख़बर डीएनए अख़बार की वेबसाइट पर भी छपी थी, लेकिन वहां से भी हटा ली गई.

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हालांकि, डीएनए के ईपेपर में अब भी यह मौजूद है.

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29 जुलाई को डीएनए अख़बार में प्रकाशित ख़बर

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब टाइम्स आॅफ इंडिया ग्रुप ने अपने पाठकों को कारण बताए बिना ख़बर हटा दी हो. मई में टाइम्स आॅफ इंडिया और इकोनॉमिक टाइम्स ने वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की निचली रैंकिंग से संबंधित ख़बर हटा ली थी. इस संबंध में जब न्यूज़लॉन्ड्री वेबसाइट ने टीओआई डॉट इन के संपादक प्रसाद सान्याल से संपर्क किया कि लेख क्यों हटा लिया गया तो उनका जवाब था, ‘यह किसी मीडिया हाउस का संपादकीय विशेषाधिकार है.’

शनिवार, 29 जुलाई की रात आम आदमी पार्टी के एक नेता ने आउटलुक हिंदी मैगज़ीन की वेबसाइट का अमित शाह की संपत्ति से संबंधित स्टोरी का लिंक ट्विटर पर साझा किया

यह स्टोरी मोबाइल फोन पर गूगल के accelerated media pages (AMP) के कारण दिखती तो है पर AMP वर्ज़न से पूरी स्टोरी देखने की कोशिश में गूगल न्यूज़ की एक हेडलाइन आती है, जिसमें आउटलुक हिंदी की वेबसाइट का लिंक है, जिस पर क्लिक करने पर एरर पेज खुलता है.

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आउटलुक हिंदी पत्रिका के संपादकीय विभाग में द वायर  ने संपर्क किया. नाम और बयान न छापने की शर्त पर उन्होंने बात तो की, लेकिन स्टोरी के बारे में कोई सूचना होने से इनकार किया. उनका यह भी कहना था कि टेक्निकल टीम से संपर्क करके जानकारी लेंगे कि स्टोरी क्यों हटाई गई.

गौरतलब है कि अमित शाह और अन्य लोगों द्वारा प्रस्तुत असली हलफ़नामे अब तक गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर नहीं डाले गए हैं, जैसा कि सामान्य प्रक्रिया के तहत होता है.

द वायर  को मिली जानकारी के अनुसार टाइम्स ऑफ इंडिया में स्मृति ईरानी पर सांसदों को मिलने वाली स्थानीय विकास निधि में गड़बड़ी का आरोप लगाने से संबंधित एक जनहित याचिका की ख़बर भी निशाने पर है. ऐसा बताया जा रहा है कि 27 जुलाई 2017 को प्रकाशित इस स्टोरी पर स्मृति ने आपत्ति जताई है.

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27 जुलाई को टाइम्स ऑफ इंडिया (अहमदाबाद संस्करण) में प्रकाशित ख़बर

हालांकि यह स्टोरी वेबसाइट पर देखी जा सकती है पर इसका सोशल मीडिया प्रमोशन बंद कर दिया गया है. इस पर भी टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादकों से कोई जवाब नहीं मिला.

पिछले हफ़्ते हिंदुस्तान टाइम्स ने प्रतिष्ठित स्तंभकार सुशील आरोन का अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया एक लेख हटा लिया था. मोदी सरकार के चीन के साथ गतिरोध से न निपट पाने की आलोचना करते हुए इस लेख को हटा दिया गया. लेख को हटाने के बाद सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई, जिसके बाद इसे दोबारा वेबसाइट पर डाला गया.

द वायर  द्वारा इस लेख को हटाये जाने के बाद हिंदुस्तान टाइम्स की मालिक-संपादक शोभना भरतिया को सवाल भेजे गए थे, जिसका जवाब अब तक प्राप्त नहीं हुआ है.

नोट: यह लेख उल्लिखित प्रकाशन के संपादकों के जवाब मिलने के साथ अपडेट किया जाता रहेगा.

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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