‘18 वर्ष तक संघर्ष कर मैं ज़िंदा हुआ था, एक बार फिर से मृतक बना दिया गया’

18 सालों तक सरकारी कागज़ों में 'मृत' दिखाए गए आज़मगढ़ के लाल बिहारी मृतक के जीवन पर बनी फिल्म 'कागज़' की रिलीज़ से पहले लाल बिहारी ने निर्देशक सतीश कौशिक पर धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप लगाते हुए फिल्म का प्रदर्शन रोकने की मांग की है.

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18 सालों तक सरकारी कागज़ों में ‘मृत’ दिखाए गए आज़मगढ़ के लाल बिहारी मृतक के जीवन पर बनी फिल्म ‘कागज़’ की रिलीज़ से पहले लाल बिहारी ने निर्देशक सतीश कौशिक पर धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप लगाते हुए फिल्म का प्रदर्शन रोकने की मांग की है.

1 जनवरी को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में लाल बिहारी मृतक. (बीच में हाथ में कागज लिए) (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)
1 जनवरी को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में लाल बिहारी मृतक. (बीच में हाथ में कागज लिए) (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

सरकारी दस्तावेजों में 18 वर्ष तक ‘मृत’ रहे लाल बिहारी मृतक की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘ काग़ज़’ रिलीज होने के पहले विवाद में आ गई है. लाल बिहारी मृतक ने आरोप लगाया है कि फिल्म के निर्देशक सतीश कौशिक ने फिल्म बनाने के नाम पर धोखाधड़ी कर उनके जीवन संघर्ष के सभी अधिकार (प्रोप्राइटरी राइट्स) अपने नाम कर लिए हैं.

यही नहीं फिल्म में उनकी असल जिंदगी की कहानी को भी बदल दिया गया है. उन्हें फिल्म में उन्हें बैंड वाला दिखाया गया है जबकि वे असल जिंदगी में बुनकर है. लाल बिहारी मृतक फिल्म का प्रदर्शन रुकवाने के लिए अब अदालत जा रहे हैं.

प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक सतीश कौशिक ने लाल बिहारी मृतक की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘काग़ज़’ बनाई है, जो सात जनवरी को रिलीज होने वाली है.

पर्दे पर लाल बिहारी मृतक की जिंदगी को चर्चित अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने जिया है. इस फिल्म को लेकर काफी समय से खूब चर्चा हो रही है. इस फिल्म को सलमान खान की कंपनी ने प्रोड्यूस किया है और यह ओटीटी प्लेटफॉर्म ज़ी फाइव पर रिलीज होने वाली है.

रिलीज होने के एक सप्ताह पहले इस फिल्म को लेकर विवाद शुरू हुआ जब लाल बिहारी मृतक ने एक जनवरी को आजमगढ़ के श्मशान घाट पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कहा कि सतीश कौशिक ने उनके साथ विश्वासघात और फ्रॉड किया है.

लाल बिहारी का कहना है कि कौशिक ने उन्हें न तो पूरी फिल्म दिखाई, न इसकी स्क्रिप्ट दी. फिल्म में उनके चरित्र को तोड़-मरोड़कर परोसा गया है. यही नहीं सिर्फ 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर उनसे दस्तखत कराकर फिल्म बनाने के एग्रीमेंट के बहाने उनकी जिंदगी के संघर्ष पर फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, किताब लिखने सहित सभी प्रकार के काम का अधिकार अपने नाम करा लिया है. अब इस पर में जवाब मांगने पर वे उन्हें ब्लैकमेलर कह रहे हैं और मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दे रहे हैं.

लाल बिहारी मृतक ने सतीश कौशिक को इस बारे में एक लीगल नोटिस भेजा था जिसके जवाब में सतीश कौशिक की तरफ से उनके अधिवक्ता ने कानूनी जवाब दिया है. लाल बिहारी अब फिल्म का प्रदर्शन रुकवाने के लिए कोर्ट जा रहे हैं.

कागज़ फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक/पंकज त्रिपाठी)
कागज़ फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक/पंकज त्रिपाठी)

कौन हैं लाल बिहारी

65 वर्षीय लाल बिहारी मृतक आजमगढ़ के निजामाबाद तहसील के खलीलाबाद गांव के रहने वाले हैं. उनके बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के बाद उन्हें जिंदगी चलाने के लिए बाल श्रमिक बनना पड़ा. वे बनारसी साड़ी बुनने का काम किया करते थे.

जब 21-22 वर्ष के थे, तब बैंक से लोन लेने के लिए गए. तब वे अपना एक कारखाना बनाना चाहते थे. उनके पिता के नाम से एक एकड़ जमीन थी. बैंक ने उनसे जमीन के कागजात मांगे.

जब उन्होंने जमीन के कागज निकाले काग़ज़ निकाला तब पता चला कि नायब तहसीलदार आजमगढ़ के  न्यायालय द्वारा मुकदमा नंबर 298 में 31 जुलाई 1976 को उन्हें मृत घोषित किया जा चुका था और  उनकी जमीन उनके पट्टीदारों के नाम हो चुकी थी.

इसके बाद लाल बिहारी खुद को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष करने लगे. उन्होंने सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए, अफसरों से मिले लेकिन कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया.

उन्होंने धरना-प्रदर्शन, अनशन का सहारा लिया. अपने नाम के आगे मृतक टाइटल लगा लिया. उन्होंने अपने मुद्दे को जनता के सामने लाने के लिए चुनाव भी लड़े.

खुद को जिंदा साबित करने के संघर्ष के दौरान उन्हें कई ऐसे लोग मिले जो सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित किए जा चुके थे और उनकी जमीन जायदाद हड़पी जा चुकी थी. उन्हें ऐसे लोगों की मदद के लिए मृतक संघ नाम का संगठन बनाया और संघर्ष को आगे बढ़ाया.

18 वर्ष के अनवरत संघर्ष के बाद 30 जून 1994 को उन्हें सरकारी अभिलेख में जिंदा घोषित किया गया.

‘पहले भाई कहते थे, अब ब्लैकमेलर कह रहे हैं’

इसके बाद लाल बिहारी मृतक की कहानी की देश-दुनिया के मीडिया में खूब छपी और उनकी काफी चर्चा हुई. उन पर छपी एक खबर पढ़कर चर्चित निर्देशक-अभिनेता सतीश कौशिक को उनकी जिंदगी के संघर्ष पर फिल्म बनाने का ख्याल आया.

वे आजमगढ़ आकर लाल बिहारी मृतक से मिले. लाल बिहारी ने द वायर  को बताया कि वर्ष 2003 में सतीश कौशिक उनसे पहली बार मिले थे. उन्हें आजमगढ़ जिले के ही रहने वाले फिल्म लेखक इम्तियाज हुसैन लेकर आए थे.

लाल बिहारी मृतक बताते हैं कि सतीश कौशिक ने उनकी जिंदगी के संघर्ष पर फिल्म बनाने की बात की. इसके बाद से उनका कौशिक से कई बार मिलना हुआ और आत्मीय संबंध बन गया. वे उनसे मिलने मुंबई, दिल्ली गए. सतीश कौशिक जब लखनऊ ओर सीतापुर आए तो उन्हें बुलाया. वे दो बार उनके घर भी आए.

अभिनेता-निर्देशक सतीश कौशिक के साथ लाल बिहारी मृतक. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)
अभिनेता-निर्देशक सतीश कौशिक के साथ लाल बिहारी मृतक. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

लाल बिहारी मृतक के अनुसार, वर्ष 2003 में  कौशिक ने उनसे फिल्म बनाने की सहमति ली और वर्ष 2018 में उनसे एग्रीमेंट किया. एग्रीमेंट के कागज अंग्रेजी में थे और लाल बिहारी पढ़े-लिखे नहीं हैं. बमुश्किल हस्ताक्षर करना जानते हैं. उन्होंने कागज पर हस्ताक्षर कर दिए.

उन्होंने आगे बताया, ‘मेरे बेटे को उन्होंने फिल्म निर्माण में सहयोग के लिए भी लिया. फिल्म निर्माण के दौरान कई लोग मेरी जिंदगी पर किताब, डॉक्यूमेंट्री बनाने के वास्ते मिले. सतीश कौशिक कहते थे कि सबको मना कर दें. फिल्म पूरी होने के पहले किताब या डॉक्यूमेंट्री आएगी तो उन्हें बड़ा नुकसान होगा. सतीश कौशिक कहते थे कि उन्होंने इस फिल्म को बच्चे की तरफ पाला पोसा है. आप जो भी कहेंगे वह हम करेंगे. आप ने इसकी कहानी किसी और को दी और मेरी फिल्म पूरी नहीं हुई तो हमें हार्ट अटैक हो जाएगा, मैं आत्महत्या कर लूंगा.’

उन्होंने आगे बताया, ‘मैं फिल्म बनने का इंतजार करता रहा. जब फिल्म पूरी हो गई तब मैंने कहा कि अब मैं अपनी कहानी दूसरों से भी साझा कर सकता हूं, तो वे बिगड़ गए. उन्होंने कहा कि मेरी समस्त कॉपीराइट उनके नाम हैं. मैं उनकी सहमति के बिना कुछ नहीं कर सकता. यह सुनकर मैं भौंचक रह गया.’

लाल बिहारी ने बताया, ‘काफी सोच-विचार के बाद मैंने अपने अधिवक्ता कृष्ण कन्हैया पाल के जरिये उन्हें लीगल नोटिस भेजा और कॉपीराइट, स्क्रिप्ट, कहानी, सभी एग्रीमेंट की कॉपी मांगी और फिल्म का प्रदर्शन रोकने को कहा. इसके जवाब में सतीश कौशिक के अधिवक्ता ने हमें नोटिस देकर ब्लैकमेलर कहते हुए मुकदमा करने की धमकी दी है.’

लाल बिहारी कहते हैं कि 18 वर्ष तक संघर्ष कर मैं जिंदा हुआ था. सतीश कौशिक ने मुझे फिर से मृतक बना दिया है. उन्होंने मेरी जिंदगी की कहानी के कॉपीराइट अधिकार को फर्जी तरीके से अपने नाम कराकर मुझे मार दिया है.

वे कहते हैं, ‘फिल्म पूरी होने के बाद सतीश कौशिक का रुख एकदम बदल गया है. पहले वह मुझे भाई-भाई कह कर बुलाते थे. अब मुझे ब्लैकमेलर कहते हुए मुकदमा करने की धमकी दे रहे हैं.’

उन्होंने बताया कि फिल्म में उन्होंने दो गाने भी लिखे हैं. यह पूछे जाने पर कि सतीश कौशिक ने एग्रीमेंट के लिए 26 लाख रुपये देने और एग्रीमेंट पेपर उनकी सहमति से किए जाने की बात कही है, वे कहते हैं कि वे पैसे के लेन-देन की बात नहीं कर रहे हैं, बिना पूरी जानकारी दिए गलत तरीके से कॉपीराइट अधिकार अपने नाम किए जाने पर सवाल उठा रहे हैं. ‘यह मेरे सम्मान, अधिकार की लड़ाई है,’ वे कहते हैं.

क़ानूनी कार्रवाई

लाल बिहारी मृतक द्वारा अपने अधिवक्ता के जरिये सतीश कौशिक को भेजे गए लीगल नोटिस में उनके पक्ष का पूरा ब्योरा है.

इस नोटिस में कहा गया है कि सतीश कौशिक इंटरटेनर प्रोडक्शन द्वारा घोषित किया गया है कि सात जनवरी को रिलीज हो रही उनकी फिल्म रियल लाइफ स्ट्रगल स्टोरी है लेकिन फिल्म में मुख्य चरित्र की असल जिंदगी की पहचान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है. फिल्म में लाल बिहारी मृतक को बैंडबाजा वाला दिखाया गया है जबकि वह असल जिंदगी में बुनकर हैं.

आगे कहा गया है कि लाल बिहारी मृतक से कई एग्रीमेंट पर दस्तखत कराए गए जो अंग्रेजी में थे. एग्रीमेंट की विषय वस्तु से उन्हें अवगत नहीं कराया गया. वे अशिक्षित हैं और केवल दस्तखत करना जानते हैं. उन्हें एग्रीमेंट की कॉपी उपलब्ध नही कराई गई. फिल्म की स्क्रिप्ट, कहानी नहीं दिखाई गई और न ही पूरी फिल्म दिखाई गई.

फिल्म का ज़ी फाइव और सलमान खान फिल्म्स से एग्रीमेंट हुआ है और सात जनवरी को फिल्म रिलीज करने की घोषणा की गई. यह धोखा, विश्वासघात और फ्रॉड है.

लाल बिहारी मृतक के अधिवक्ता कृष्ण कन्हैया पाल ने कहा कि 23 फरवरी 2018 को लखनऊ में सतीश कौशिक ने लाल बिहारी मृतक से एग्रीमेंट साइन करवाया था और कहा था कि इसे रजिस्टर्ड कराएंगे, लेकिन मुंबई जाकर उन्होंने गवाह व पक्षकार की अनुपस्थिति में नोटरी एफिडेविट करा लिया जो फ्रॉड है.

पाल कहते हैं कि इसके बाद उन्होंने सलमान खान फिल्म्स और ज़ी फाइव से एग्रीमेंट किया. फिल्म बंधु से दो करोड़ की सब्सिडी पाने के लिए अनुबंध किया. एक अवैध एग्रीमेंट के आधार पर किए गए ये सभी अनुबंध भी अवैध हैं.

इस लीगल नोटिस में सतीश कौशिक से कागज फिल्म की स्क्रिप्ट, सभी एग्रीमेंट के पेपर, उत्तर प्रदेश सरकार से फिल्म को मिली सब्सिडी के पेपर, कॉपीराइट के सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने के साथ-साथ तीन दिन के अंदर पूरी फिल्म दिखाने और तब तक फिल्म का प्रदर्शन रोकने को कहा गया है.

अब जबकि सतीश कौशिक के अधिवक्ता की तरफ से भी जवाब आ गया है तो फिल्म के कानूनी पचड़े में फंसने की पूरी संभावना है.

अपने को जिंदा साबित करने के लिए अनथक संघर्ष करने वाले लाल बिहारी मृतक की ने एक और लड़ाई शुरू कर दी है. उनकी इस नई कहानी में भी किसी फिल्म की कहानी जितने ही उतार-चढ़ाव नजर आ रहे हैं.

(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)