द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
अदालत की ये टिप्पणियां त्रिपुरा सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गईं, जिसमें एनडीपीएस अधिनियम के एक मामले में तीन आरोपियों को दी गई ज़मानत रद्द करने की मांग की गई थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अदालतों को एनडीपीएस और यूएपीए अधिनियम की कठोरता को नहीं भूलना चाहिए.
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2018 में उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी, जिसके लिए दो पुलिसकर्मियों- अशोक सिंह भदौरिया और कामता प्रसाद को दोषी ठहराते हुए साल 2020 में दिल्ली की तीस हज़ारी अदालत ने दस साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी.
राज्य में फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर दी गई सरकारी नौकरियों के मामले में कोई कार्रवाई न होती देख 29 लोग विधानसभा के पास सड़क पर नग्न होकर विधायकों के वाहनों के सामने तख्तियां लेकर दौड़ पड़े थे. बीते 18 जुलाई से वह जेल में थे.
ज़मानत नीति में सुधार के एक मामले को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों द्वारा हर प्रयास किया जाना चाहिए कि जब वे ज़मानत दें, तो इसका कोई अर्थ होना चाहिए क्योंकि ऐसी ज़मानत शर्तें, जो क़ैदी की आर्थिक स्थिति से परे हों, लगाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता है.
प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य अतीक़-उर-रहमान को 5 अक्टूबर 2020 को पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के साथ उस समय गिरफ़्तार कर लिया गया था, जब वह उत्तर प्रदेश के हाथरस में बलात्कार पीड़िता से मिलने जा रहे थे. बीते 14 जून को उन्हें जेल से रिहा किया गया है.
मुंबई की निजी कंपनी के एक असिस्टेंट मैनेजर और सेल्स मैनेजर पर संस्थान की फ्रंट ऑफिस एक्ज़िक्यूटिव के यौन उत्पीड़न का आरोप है. एक स्थानीय अदालत ने उनकी अग्रिम ज़मानत की याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां और साथ चलने के लिए बार-बार पूछना महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के समान है.
एक वित्तीय घोटाले पर सुनवाई के दौरान आरोपी को ज़मानत देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में एक इंसान के लिए उसकी स्वतंत्रता अमूल्य है.
एक आरोपी को ज़मानत पर रिहा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेलों में अत्यधिक भीड़ है और क़ैदियों के रहने की स्थिति भयावह है. ऐसे में अगर मुक़दमे समय पर समाप्त नहीं होते हैं, तो व्यक्ति के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा.
बीती 4 फरवरी को साकेत ज़िला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शरजील इमाम, छात्र कार्यकर्ता आसिफ़ इक़बाल तन्हा और सफूरा ज़रगर एवं आठ अन्य को जामिया हिंसा मामले में बरी कर दिया था. न्यायाधीश वर्मा ने पाया था कि पुलिस ने ‘वास्तविक अपराधियों’ को नहीं पकड़ा, लेकिन आरोपियों को ‘बलि का बकरा’ बनाने में कामयाब रही.
आरटीआई के ज़रिये पूर्व भाजपा सांसद दीनू सोलंकी से जुड़ी अवैध खनन गतिविधियों को सामने लाने की कोशिश कर रहे कार्यकर्ता अमित जेठवा को जुलाई 2010 में गुजरात हाईकोर्ट के बाहर गोली मारी गई थी. सीबीआई अदालत ने सात आरोपियों, जिनमें दीनू और उनके भतीजे शिव भी शामिल थे, को दोषी ठहराया था.
2019 जामिया हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करने वाले दिल्ली की अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामले में पुलिस का तीन पूरक चार्जशीट दायर करना सबसे असामान्य था. इसने पूरक चार्जशीट दाखिल कर 'जांच' की आड़ में उन्हीं पुराने तथ्यों को पेश करने की कोशिश की.
जामिया नगर इलाके में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
नवंबर 2022 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर दिए गए भाषण में ज़मानत राशि भरने के लिए पैसे की कमी के कारण ग़रीब आदिवासियों के जेल में बंद होने का ज़िक्र किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे क़ैदियों का ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे.