पत्रकार संगठनों ने मीडिया की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की

विभिन्न पत्रकार संगठनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा है कि आज हमारे समुदाय को एक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकारों के ख़िलाफ़ कठोर क़ानूनों का उपयोग तेज़ी से बढ़ गया है. ये क़ानून ज़मानत का प्रावधान नहीं करते, इसके तहत कारावास आदर्श है, न कि अपवाद.

18 मीडिया संगठनों ने सीजेआई को पत्र लिखकर प्रेस की आज़ादी पर हमले को लेकर चिंता जताई

न्यूज़क्लिक के पत्रकारों और उससे जुड़े लोगों के यहां छापे, पूछताछ और गिरफ़्तारी के बाद देशभर के पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के अठारह संगठनों ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में पत्रकारों से पूछताछ और उनसे फोन आदि की जब्ती के लिए दिशानिर्देश तैयार करने गुज़ारिश की है. 

पत्रकारों के यहां छापों पर अरुंधति रॉय ने कहा- आपातकाल से भी ज़्यादा ख़तरनाक हालात

लेखक-कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों पर छापेमारी को लेकर विरोध जताते हुए कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी 2024 में वापस सरकार में आती है तो देश लोकतंत्र नहीं रहेगा.

न्यूज़क्लिक ने आधिकारिक बयान में कहा- अब तक नहीं मिली एफआईआर की कॉपी, अपराध का विवरण

न्यूज़क्लिक ने इसके पत्रकारों और स्टाफ के यहां हुई छापेमारी, पूछताछ और गिरफ़्तारी के बाद जारी बयान में कहा है कि वे ऐसी सरकार, जो पत्रकारिता की आज़ादी का सम्मान नहीं करती और आलोचना को राजद्रोह या 'एंटी-नेशनल' दुष्प्रचार मानती है, की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं.

स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने का प्रयास जारी है

एक पूरे मीडिया संगठन पर 'छापेमारी' करना और उचित प्रक्रिया के बिना पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को छीन लेना स्वतंत्र प्रेस के लिए एक बुरा संकेत है, लेकिन लोकतंत्र के लिए उससे भी बदतर है.

वी-20 सम्मेलन की अनुमति से इनकार के बाद आयोजक बोले, हम पुलिस स्टेट बनने के ​क़रीब पहुंच गए हैं

वी-20 शिखर सम्मेलन दिल्ली के एचकेएस सुरजीत भवन में आयोजित किया जा रहा था, जिसका स्वामित्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पास है. इससे पहले बीते 19 अगस्त पुलिस ने कार्यक्रम को बाधित करने का प्रयास किया था, लेकिन लोगों के विरोध के बाद अंतत: इसे जारी रहने दिया.

उमर ख़ालिद: एक ज़हीन इतिहासकार, जिसका क़ैद में रहना अकादमिक जगत का नुकसान है

सरकार जिस उमर ख़ालिद उनके मज़हब तक सीमित कर देना चाहती है, पर वो एक गंभीर शोधार्थी हैं, जिनकी पीएचडी का विषय सिंहभूम का आदिवासी समाज हैं. उनकी थीसिस में लिखा गया हर शब्द एक ऐसे शख़्स को हमारे सामने लाता है, जो बेहद गहराई से लोकतंत्र और इसके अभ्यासों के साथ जिरह कर रहा है.

‘हमें आज़ादी तो मिल गई है पर पता नहीं कि उसका करना क्या है’

हमारी हालत अब भी उस पक्षी जैसी है, जो लंबी क़ैद के बाद पिंजरे में से आज़ाद तो हो गया हो, पर उसे नहीं पता कि इस आज़ादी का करना क्या है. उसके पास पंख हैं पर ये सिर्फ उस सीमा में ही रहना चाहता है जो उसके लिए निर्धारित की गई है.

भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी का भ्रम

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन दावा करते हैं कि उनकी हुकूमत का केंद्रीय उसूल ‘लोकतंत्र की रक्षा’ है. यह बात सराहने लायक़ है, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के समय वॉशिंगटन में जो कुछ हुआ वह ठीक इसका उल्टा था. अमेरिकी हुक्मरान जिस शख़्स के आगे बिछे हुए थे, उसने भारतीय लोकतंत्र को बहुत व्यवस्थित तरीक़े से कमज़ोर किया है.

अदालतें लोकतंत्र में चुनाव पर रोक नहीं लगा सकतीं, ये ‘बिल्कुल शक्तिहीन’ हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की कर्नाटक डिवीज़न में चुनाव होने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस दौरान शीर्ष अदालत ने सभा के चुनाव कराने संबंधी कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरक़रार रखते हुए कहा कि हम चुनाव पर रोक नहीं लगा सकते, अगर यह अनुच्छेद 329 के तहत आने वाला मामला है तो हम बिल्कुल शक्तिहीन हैं.

जम्मू कश्मीर को अब केवल न्यायपालिका का ही सहारा है

महबूबा मुफ़्ती लिखती हैं, 'जम्मू कश्मीर के लोगों ने लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के साझा मूल्यों पर जिस देश से जुड़ने का फैसला किया, उसने हमें निराश कर दिया है. अब, केवल न्यायपालिका ही है जो हमारे साथ हुई ग़लतियों और नाइंसाफ़ी को सुधार सकती है.'

ह्वाइट हाउस में नरेंद्र मोदी का सफ़ेद झूठ

एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत में मुसलमानों को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाने को लेकर नरेंद्र मोदी का स्पष्ट इनकार उन पत्रकारों के लिए चौंकाने वाला है जो उनकी सरकार के समय में देश के मुस्लिमों के साथ रोज़ाना हो रहे अन्याय और उत्पीड़न को दर्ज कर रहे हैं.

मोदी से सवाल पूछने वालीं अमेरिकी पत्रकार पर ऑनलाइन हमलों को ह्वाइट हाउस ने ‘अस्वीकार्य’ बताया

‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ अख़बार की संवाददाता सबरीना सिद्दीक़ी ने अमेरिकी दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव को लेकर सवाल पूछा था, जिसके बाद भाजपा और हिंदुत्व समर्थकों ने उनके माता-पिता के पाकिस्तानी होने का दावा कर उन्हें ‘पाकिस्तान की बेटी’ बताया था.

पीएम मोदी से अमेरिका में सवाल पूछने वालीं पत्रकार पर हिंदुत्व और भाजपा समर्थकों ने निशाना साधा

‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ अख़बार की संवाददाता सबरीना सिद्दीक़ी ने अमेरिकी दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव को लेकर सवाल पूछा था, जिसके बाद उनके माता-पिता के पाकिस्तानी होने का दावा कर उन्हें ‘पाकिस्तान की बेटी’ बताया जा रहा है.

इंदिरा गांधी नरेंद्र मोदी जितनी ‘भाग्यशाली’ होतीं, तो उन्हें इमरजेंसी की ज़रूरत नहीं पड़ती!

इंदिरा गांधी यदि नरेंद्र मोदी की तरह बिना आपातकाल वैसे हालात पैदाकर लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं के क्षरण को अंजाम दे सकतीं, तो भला आपातकाल का ऐलान क्यों करातीं?

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