शारदा यूनिवर्सिटी: हिंदुत्व और फांसीवाद में समानता से जुड़े सवाल पर यूजीसी ने जवाब मांगा

नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी के बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा में राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) के प्रश्न-पत्र में छात्रों से पूछा गया था, ‘क्या आप फासीवाद/नाजीवाद और हिंदू दक्षिणपंथी (हिंदुत्व) के बीच कोई समानता पाते हैं? तर्कों के साथ बताएं.’ इस सवाल पर विवाद होने के बाद यूनिवर्सिटी ने प्रश्न-पत्र तैयार करने वाले सहायक प्रोफेसर वकास फ़ारुक़ को निलंबित कर दिया था.

कोई दल नहीं, बल्कि कुछ तत्व देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं: अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख

विभिन्न शहरों में दो समुदायों के बीच हालिया हिंसक झड़पों पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि कुछ लोग देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे लोगों की पहचान की जानी चाहिए और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए. हालांकि उन्होंने पंजाब के पटियाला में बीते दिनों हुई हिंसक झड़प पर कहा कि राज्य सरकार इसे रोक सकती थी.

क्या एक धर्म के त्योहार पर अपने धर्म की छाप छोड़ने की उतावली किसी हीनता के चलते है

ईद मुबारक के जवाब में अक्षय तृतीया या परशुराम जयंती की बधाई देना कैलेंडरवादी धार्मिकता का प्रतीक है. हम हर जगह अपना क़ब्ज़ा चाहते हैं. ध्वनिभूमि पर, ध्वनि तरंगों पर भी, दूसरों के उपासना स्थलों पर और समाज के मनोलोक पर.

नफ़रत के दिनों की ईद ज़्यादा खुले दिल से मनाई जानी चाहिए…

हमारी दुनिया में कितनी भी मायूसी हो, चाहे जितनी भी नफ़रत पैदा की जा रही हो, उम्मीद और प्रेम के उजालों में चलकर ही कहीं पहुंचा जा सकता है.

‘न्यू इंडिया’ में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का कोई वारिस ही नहीं बचा है…

सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आने के पंद्रह साल बाद के 'नए भारत' में अल्पसंख्यक समुदायों विशेषकर मुस्लिमों की समस्याओं या हक़ों की बात करने को बहुसंख्यकों के हितों पर 'आघात' माना जाता है. ख़ुद मुस्लिमों के लिए भी अब सबसे बड़ा मुद्दा जान-माल की हिफाज़त बन गया है.

रूड़की हिंसा: ‘अभी मुस्लिमों ने घर छोड़ा है, आगे चलकर इनको देश भी छोड़ना होगा’

वीडियो: उत्तराखंड के रूड़की ज़िले के दादा जलालपुर गांव में बीते 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन निकली एक शोभायात्रा के दौरान पथराव हुआ था, जिसके परिणास्वरूप सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. हिंसा प्रभावित लोगों से बातचीत.

भारत को बचाने की लड़ाई हम में से हरेक को लड़नी होगी

भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले हम सभी लोगों के सामने यह चुनने का रास्ता है कि या तो हम इंसाफ़ की एक साझी सोच की दिशा में काम करें, उस दर्द और नफ़रत को दूर करने के लिए, जो हमारी सारी सामूहिक स्मृतियों को निगल रहे हैं, या फिर इन हालात को और बिगड़ने दें.

रुड़की: ‘कश्मीर फाइल्स’ से प्रभावित हिंदुत्ववादियों ने दी मुसलमानों को गांव से निकालने की धमकी

उत्तराखंड के रुड़की ज़िले के दादा जलालपुर गांव में हनुमान जयंती के दिन 16 अप्रैल को निकली एक शोभायात्रा के दौरान पथराव हुआ था, जिसके परिणास्वरूप ज़्यादातर मुसलमानों को भगवानपुर क्षेत्र छोड़ना पड़ा. जो पीछे रह गए हैं, उनका कहना है कि वे लगातार डर के साये में जी रहे हैं.

लगातार चुनावी हार से पस्त पड़ी कांग्रेस को आगामी चुनौतियों के लिए व्यापक बदलाव की ज़रूरत है

जी-23 के बैनर तले असंतुष्ट खेमे के पुराने वफ़ादार नेताओं के साथ सोनिया गांधी से संवाद की कड़ियां भले ही जुड़ गई हों पर लाख टके का सवाल यह है कि बीच का रास्ता निकालने के फार्मूलों से क्या कांग्रेस के अस्तित्व को लेकर पैदा हुआ संकट टल सकेगा.

हिंदुत्व नेताओं की चारधाम में ग़ैर-हिंदुओं पर रोक की मांग, मुख्यमंत्री बोले- सत्यापन करेंगे

हरिद्वार के हिंदू नेताओं की शंकराचार्य परिषद ने 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मांग की थी कि ग़ैर-हिंदुओं को चार धाम मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाए. अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा अभियान चलाया जाएगा कि तीर्थ यात्रा के लिए बाहर से आने वालों का उचित सत्यापन हो और जिनका सत्यापन नहीं हुआ है, वे स्वयं आकर कराएं.

‘कर्बला दर कर्बला’ भागलपुर दंगों की विभीषिका की तहें खोलने का प्रयास है

पुस्तक समीक्षा: गौरीनाथ के ‘कर्बला दर कर्बला’ की दुनिया से गुज़रने के बाद भी गुज़र जाना आसान नहीं है. 1989 के भागलपुर दंगों पर आधारित इस उपन्यास के सत्य को चीख़-ओ-पुकार की तरह सुनना और सहसा उससे भर जाना ऐसा ही है मानो किसी ने अपने समय का ‘मर्सिया’ तहरीर कर दिया हो.

‘यह आज़ाद भारत के इतिहास का सबसे बुरा दौर है’

वीडियो: पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों में हुए सांप्रदायिक घटनाक्रम के बाद तनाव का माहौल है. मध्य प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के घर-दुकान ढहाए गए, तो कहीं मस्जिदों के सामने अभद्र नारे लगे. इसके मद्देनज़र द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की इतिहासकार रामचंद्र गुहा से बातचीत.

सामाजिक ताने-बाने पर चोट और बढ़ती सांप्रदायिकता पर कॉरपोरेट वर्ग चुप क्यों है

वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कॉरपोरेट अग्रणियों के बीच पसरे विराट मौन में शायद ही कोई अपवाद मिले. यह बात अब शीशे की तरफ साफ हो गई है कि मौजूदा निज़ाम में कॉरपोरेट समूहों और हिंदुत्व वर्चस्ववादी ताकतों की जुगलबंदी नए मुकाम पर पहुंची है.

कर्नाटक: हिंदुत्ववादी संगठन ने मंदिर परिसर में फल बेच रहे मुस्लिमों के ठेलों में की तोड़फोड़

कर्नाटक के धारवाड़ स्थित एक मंदिर में शनिवार को श्री राम सेना के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम फल विक्रेताओं के ठेलों में तोड़फोड़ करने के साथ-साथ उनमें लदे फलों को भी सड़क पर फेंककर नष्ट कर दिया. आरोप है कि मौके पर मौजूद पुलिस तमाशबीन बनी रही.

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