मोइत्रा के अलावा इसी तरह एक याचिका संयुक्त रूप से वकील एहतेशाम हाशमी, पत्रकार जिया उस सलाम और कानून के छात्र मुनीब अहमद खान, अपूर्वा जैन और आदिल तालिब ने दाखिल किया है. इनका आरोप है कि इसका मकसद मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव है.
नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने नागरिकता (संशोधन) कानून को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. इस विधेयक को गुरुवार रात को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी, जिसके साथ ही यह कानून बन गया है.
मोइत्रा के वकील ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए शुक्रवार को यह याचिका पेश की. पीठ ने उन्हें संबद्ध अधिकारी के पास जाने को कहा.
मुख्य न्यायाधीश ने उनसे कहा, ‘आज (शुक्रवार) सुनवाई नहीं होगी, आप रजिस्ट्रार के पास जाएं.’ मोइत्रा के वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि याचिका को आज अथवा 16 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें.
दैनिक जागरण के मुताबिक कृष्णानगर से सांसद महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि इस कानून में मुस्लिमों को बाहर रखने की बात भेदभाव को प्रदर्शित करता है और इसलिए यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है. यह कानून धर्मनिरपेक्षता का भी उल्लंघन करता है जो हमारे संविधान के आधार का हिस्सा है.
इसी तरह एक याचिका संयुक्त रूप से वकील एहतेशाम हाशमी, पत्रकार जिया उस सलाम और कानून के छात्र मुनीब अहमद खान, अपूर्वा जैन और आदिल तालिब ने दाखिल किया है. इनका आरोप है कि इसका मकसद मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव है.
एनडीटीवी खबर के मुताबिक नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ अब तक सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं दाखिल की गई हैं. राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद इस कानून को चुनौती देते हुए एहतेशाम हाशमी ने भी दाखिल की है.
उन्होंने अपनी याचिका में इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की है. उन्होंने याचिका में ये भी कहा है कि यह कानून धर्म और समानता के आधार पर भेदभाव करता है और सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम समुदाय के जीवन, निजी स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करे.
इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पीस पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. पार्टी का कहना है कि यह कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है. यह संविधान की मूल संरचना/प्रस्तावना के खिलाफ है. धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के चार सांसदों ने इस कानून के खिलाफ बीते गुरुवार को ही याचिका दायर की थी लेकिन तब तक इसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली थी. जन अधिकार पार्टी के जनरल सेक्रेटरी फैज अहमद ने भी इस कानून के खिलाफ शुक्रवार को याचिका दायर की है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार रात को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरीृ दे दी जिसके साथ ही यह अब कानून बन गया है.
इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.
इस विधेयक के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें कुछ लोगों की मौत की भी खबरें सामने आ रही हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)