बीते अगस्त में सहपाठी के बलात्कार के आरोपी आईआईटी गुवाहाटी के छात्र को ज़मानत देते हुए गौहाटी हाईकोर्ट ने कहा था कि दोनों ही छात्र ‘राज्य का भविष्य’ हैं. अब संस्थान ने आरोपी को बर्ख़ास्त करते हुए कहा कि छात्र ने घोर अनुशासनहीनता की और विद्यार्थियों के लिए निश्चित आचार संहिता का उल्लंघन किया था, जिससे ‘कड़ाई से निपटा जाना’ था.
नई दिल्ली: आईआईटी गुवाहाटी ने उस छात्र को संस्थान से निष्काषित कर दिया है, जिस पर उनकी एक सहपाठी ने बलात्कार का आरोप लगाया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, संस्थान ने कहा कि आरोपी द्वारा कथित कृत्य को अंजाम देते हुए ‘घोर अनुशासनहीनता’ की गई और छात्रों के लिए निश्चित आचार संहिता का उल्लंघन किया गया, जिससे ‘कड़ाई से निपटा जाना’ था.
संस्थान की सीनेट ने एकमत से यह कड़ा फैसला लेते हुए कहा कि आईआईटी इसके कैंपस में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता.
आरोप है कि उक्त छात्र ने 28 मार्च की रात को अपनी एक साथी छात्रा से बलात्कार किया था. छात्रा को अगले दिन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने आरोपी को तीन अप्रैल को गिरफ्तार किया था. इसके बाद छात्र को निलंबित कर दिया गया था.
बीते अगस्त में गौहाटी हाईकोर्ट ने आरोपी छात्र को जमानत दे दी थी और उन्हें और पीड़िता दोनों को ‘राज्य के भविष्य की संपत्ति (एसेट)’ बताया था.
इस निर्णय की काफी आलोचना हुई थी और देशभर के विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के 60 से ज्यादा छात्रों और पूर्व छात्रों ने इस पर निराशा जताते हुए फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी.
संस्थान के वर्तमान और पूर्व छात्रों ने कहा था कि इस तरह का फैसला अत्यंत बेहद परेशान करना वाला घटनाक्रम है, जो देश में लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में अब तक हुई प्रगति के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
बयान में कहा गया था कि यौन हिंसा के कथित आरोपियों को दी गईं इस तरह की रियायतें अपराध की गंभीरता को कम करती हैं और इस विचार को पुख्ता करती हैं कि कोई भी शख्स इस तरह के मामलों में आसानी से बच सकता है और अपने उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद कर सकता है.
उनका कहना था, ‘हमारा मानना है कि प्रतिभा, बौद्धिकता या प्रतिष्ठा की दुहाई देकर आरोपी को कानूनी कार्यवाही से बचाया नहीं जा सकता या ये आरोपी की सजा कम करने का कारण नहीं बन सकते. ये बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में राहत का कारण नहीं बन सकते. इस तरह के घटनाक्रम विशेष रूप से महिलाओं के संबंध में परिसरों की सुरक्षा के बारे में संदेह पैदा करते हैं. कथित अपराधियों के प्रति उनकी शैक्षणिक क्षमता के कारण सहानुभूति रखते हुए हाईकोर्ट का यह आदेश अदालतों से न्याय प्राप्त करने की उम्मीदों को तोड़ सकता है और परिसरों को असुरक्षित वातावरण जैसा बना सकता है.’
गौरतलब है कि अदालत ने यह माना था कि सभी सबूतों के आधार पर छात्र के खिलाफ प्रथमदृष्टया स्पष्ट मामला बनता है.
इस बीच 6 सितंबर को आईआईटी गुवाहाटी की सीनेट ने निदेशक टीजी सीताराम की मौजूदगी में एक विशेष बैठक बुलाई थी, जहां यह निर्णय लिया गया कि 3 सितंबर को ‘स्टूडेंट्स डिसिप्लिन कमेटी’ (एसडीसी) द्वारा आरोपी छात्र को संस्थान से बाहर करने की सिफारिश को तत्काल प्रभाव से अमल में लाया जाए.
बैठक के मिनट्स के अनुसार, ‘सीनेट ने बलात्कार के आरोपी छात्र को तत्काल प्रभाव से संस्थान से बर्खास्त करने की एसडीसी की सिफारिश को बरकरार रखा.’
रिपोर्ट के अनुसार, ‘छात्र मामलों के डीन (डीओएसए) ने सीनेट को सूचित किया है कि आरोपी छात्र को 13 अगस्त को गौहाटी हाईकोर्ट द्वारा जमानत दे दी गई है. अदालत ने आदेश में कहा कि आरोपी के खिलाफ स्पष्ट तौर पर प्रथमदृष्टया मामला बनता था और मामले की जांच पूरी हो चुकी है.’