संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को पलटने से संबंधित निर्णय को महिलाओं के मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के लिए ‘बड़ा झटका’ क़रार दिया है. वहीं यूएन विमेन ने कहा कि जब गर्भपात के लिए सुरक्षित और क़ानूनी पहुंच प्रतिबंधित की जाती है, तब महिलाएं कम सुरक्षित तरीकों का सहारा लेने के लिए मजबूर होती हैं, जिसके नतीजे विनाशकारी होते हैं.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने अमेरिका के उच्चतम न्यायालय द्वारा गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को पलटने से संबंधित फैसले को महिलाओं के मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के लिए ‘बड़ा झटका’ करार दिया है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि गर्भपात तक पहुंच प्रतिबंधित करने से लोगों को इसकी मांग करने से नहीं रोका जा सकता, लेकिन यह इसे ‘अधिक घातक’ बनाएगा.
When legal access to abortion is restricted women are forced to resort to less safe methods, too often with disastrous results.
We remain steadfast in our determination to ensure that the rights of women & girls are fully observed.
Our statement. https://t.co/fUCB5SfaMA— UN Women (@UN_Women) June 24, 2022
अमेरिकी के उच्चतम न्यायालय ने 50 साल पहले रो बनाम वेड मामले में दिए गए फैसले को पलटते हुए गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण को समाप्त कर दिया है. शुक्रवार को हुए इस घटनाक्रम से अमेरिका के लगभग आधे राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगने की संभावना है.
फैसले के मुताबिक, गर्भपात की वैधता और इससे संबंधित सभी सवाल अब अमेरिका के अलग-अलग राज्यों पर निर्भर करेंगे, जिनमें से कुछ राज्यों ने गर्भपात पर तुरंत प्रतिबंध भी लगा दिया है.
महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी संयुक्त राष्ट्र विमेन ने एक बयान में कहा कि प्रजनन का अधिकार महिलाओं के अधिकारों का अभिन्न अंग हैं. यह एक ऐसा तथ्य है जिसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के माध्यम से बरकरार रखा गया है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कानून में ये दिखाई देता है.
यूएन विमेन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जब गर्भपात के लिए सुरक्षित और कानूनी पहुंच प्रतिबंधित की जाती है, तब महिलाएं कम सुरक्षित तरीकों का सहारा लेने के लिए मजबूर होती हैं, जो अक्सर हानिकारक या विनाशकारी नतीजे लाते है- खासकर अल्पसंख्यकों सहित उन औरतों के लिए, जो गरीब हैं या हाशिये पर हैं.
बयान में यह भी कहा गया, ‘अपने मानवाधिकारों का इस्तेमाल करने और जरूरी फैसले लेने में समर्थ होने के लिए महिलाओं को अपने बच्चों की संख्या और उनमें अंतर को लेकर स्वतंत्र और जिम्मेदारी से निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए, साथ ही सूचना, शिक्षा व सेवाओं तक उनकी पहुंच होनी चाहिए.
उधर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने शुक्रवार को कहा, ‘डॉब्स बनाम जैक्सन महिला स्वास्थ्य संगठन पर शुक्रवार को दिया गया अमेरिका के उच्चतम न्यायालय का फैसला रो बनाम वेड के माध्यम से अमेरिका में यौन-प्रजनन स्वास्थ्य के अधिकारों के संबंध में पांच दशकों के संरक्षण के बाद एक बड़े झटके के रूप में सामने आया है. यह महिलाओं के मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के लिए एक बड़ा झटका है.’
उन्होंने कहा कि सुरक्षित, कानूनी और प्रभावी गर्भपात तक पहुंच अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में मजबूती से निहित है.
Safe abortion care is essential to protect the health of women & girls everywhere.
Removing access to #abortion care will put more women & girls at risk of illegal abortions and the consequent safety issues that would bring https://t.co/tbsMFGQAn4 pic.twitter.com/CIFOY09g6d— World Health Organization (WHO) (@WHO) June 24, 2022
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ट्वीट कर कहा, ‘हर साल 2.5 करोड़ से अधिक असुरक्षित गर्भपात होते हैं और 37,000 महिलाओं की मौत हो जाती है.’
इसने चेतावनी दी कि साक्ष्यों से पता चलता है कि गर्भपात को प्रतिबंधित करने से होने वाले गर्भपात की संख्या कम नहीं होगी. हालांकि, प्रतिबंध के कारण महिलाओं और लड़कियों के असुरक्षित प्रक्रियाओं की ओर रुख करने की अधिक संभावना है.’
डब्ल्यूएचओ ने कहा, ‘हर जगह महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सुरक्षित गर्भपात की प्रक्रिया आवश्यक है. गर्भपात संरक्षण तक पहुंच प्रतिबंधित करने से अधिकांश महिलाओं और लड़कियों को अवैध गर्भपात का खतरा होगा और इसके परिणामस्वरूप सुरक्षा के मुद्दे सामने आएंगे.’
Evidence shows that restricting access to #abortion does not reduce the number of abortions that occur.
Restrictions are, however, more likely to drive women and girls towards unsafe procedures https://t.co/tbsMFGQAn4 pic.twitter.com/wxLJDv0IRy— World Health Organization (WHO) (@WHO) June 24, 2022
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने अपनी 2022 की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट की स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया भर में गर्भधारण के सभी मामलों में से लगभग आधे अनचाहे होते हैं. इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं गर्भपात का सहारा ले सकती हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)