एनसीईआरटी ने 11वीं की किताब से जम्मू कश्मीर के विलय की शर्त और मौलाना आज़ाद के संदर्भ हटाए

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी ) ने कक्षा 11वीं की राजनीति विज्ञान की नई किताब से जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी वह शर्त हटा दी है, जिसमें इसे स्वायत्त बनाए रखने की बात कही गई थी. इससे पहले एनसीईआरटी इतिहास की किताब से मुग़ल, गुजरात दंगों और महात्मा गांधी पर कुछ संदर्भ हटा चुका है.

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(फोटो साभार: schools.olympiadsuccess.com)

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी ) ने कक्षा 11वीं की राजनीति विज्ञान की नई किताब से जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी वह शर्त हटा दी है, जिसमें इसे स्वायत्त बनाए रखने की बात कही गई थी. इससे पहले एनसीईआरटी इतिहास की किताब से मुग़ल, गुजरात दंगों और महात्मा गांधी पर कुछ संदर्भ हटा चुका है.

(फोटो साभार: schools.olympiadsuccess.com)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा 11वीं की राजनीति विज्ञान की संशोधित पाठ्यपुस्तक से वह पुराना बयान हटा दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय इस वादे पर किया गया था कि राज्य स्वायत्त रहेगा.

बुधवार (12 अप्रैल) को प्रकाशित द हिंदू की रिपोर्ट में बताया गया है कि संशोधित पाठ्यपुस्तक के लेखकों ने भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के सभी संदर्भों को भी हटा दिया है.

पाठ्यपुस्तक से सामग्री हटाने का यह वाकया उस शृंखला का हिस्सा है, जिसके तहत एनसीईआरटी ने कोविड-19 महामारी के कारण खराब हुए समय की भरपाई के लिए स्कूली पाठ्यक्रम को ‘तर्कसंगत’ बनाने की बात कही थी.

इसी कड़ी में 12वीं कक्षा की इतिहास की किताबों से मुगलों और 2002 के गुजरात दंगों पर सामग्री को हटाना और महात्मा गांधी पर कुछ अंश हटाया जाना शामिल है.

एनसीईआरटी द्वारा चोरी-छिपे कुछ सामग्री हटाने के विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसके निदेशक दिनेश सकलानी ने बीते 5 अप्रैल को कहा था कि इसके पीछे कोई बुरा इरादा नहीं है और बदलाव वापस नहीं लिए जाएंगे.

अब द हिंदू की रिपोर्ट बताती है कि कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक ‘इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ऐट वर्क’ के पहले अध्याय से आजाद के संदर्भ और उसी पाठ्यपुस्तक के अध्याय 10 में उल्लिखित जम्मू कश्मीर के स्वायत्त दर्जे से संबंधित सामग्री को हटाने का निर्णय लिया गया है.

गौरतलब है कि पिछले साल जब एनसीईआरटी ने हटाई गई सामग्री की एक सूची जारी की थी, उसमें घोषणा की गई थी कि इस पाठ्यपुस्तक में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पुरानी पाठ्यपुस्तक में जम्मू कश्मीर के बारे में पैराग्राफ में कहा गया था, ‘उदाहरण के लिए, भारतीय संघ में जम्मू-कश्मीर का विलय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत इसकी स्वायत्तता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता पर आधारित था.’

लेकिन यह संदर्भ हटा दिया गया.

गौरतलब है कि अगस्त 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर इसका विशेष दर्जा छीन लिया गया था. राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों – जम्मू कश्मीर और लद्दाख – में विभाजित कर दिया गया था.

अगर मौलाना आजाद से संबंधित हटाई गई सामग्री की बात करें तो द हिंदू के मुताबिक पुरानी पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, ‘संविधान सभा में विभिन्न विषयों पर आठ प्रमुख समितियां थीं. आमतौर पर जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल, मौलाना आजाद या आंबेडकर इन समितियों के अध्यक्ष हुआ करते थे.’

इस संदर्भ को हटा दिया गया है.

गौरतलब है कि इससे पहले भी नरेंद्र मोदी सरकार आजाद के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को दी जाने वाली मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोशिप को दिसंबर 2022 में खत्म कर चुकी है. उसके बाद अब उनसे जुड़े संदर्भ एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यपुस्तक से हटाए गए हैं.

द हिंदू से बात करते हुए इतिहासकार और लेखक एस. इरफान हबीब कहते हैं कि आजाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे और 14 साल तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा जैसे प्रमुख सुधारों की वकालत करने में उनकी अग्रणी भूमिका थी. आजाद जामिया मिलिया इस्लामिया, विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, भारतीय विज्ञान संस्थान और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रमुख संस्थापक सदस्य भी थे.

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