बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए सरकार द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के सामने गवाही देने वाली पहलवानों ने कहा है कि समिति की कार्यवाही निष्पक्ष नहीं थी. उनके अनुसार, समिति के एक सदस्य ने एक शिकायतकर्ता से कहा कि ‘सिंह पिता समान हैं और उन्होंने जो किया वो निर्दोष भावना से किया होगा, जिसे महिलाओं ने ग़लत समझ लिया.’
नई दिल्ली: भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए सरकार द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के सामने गवाही देने वाले तीन पहलवानों ने कहा है कि समिति की कार्यवाही निष्पक्ष या पारदर्शी नहीं थी.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, समिति ने कथित तौर पर तीनों पहलवानों को उनके उत्पीड़न के ‘ऑडियो या वीडियो’ सबूत देने को कहा. समिति के एक सदस्य ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता पहलवान से कहा कि सिंह ‘पिता की तरह थे और उनके कृत्य निर्दोष भावना से किए गए थे, जिन्हें इन महिलाओं ने गलत समझ लिया.’ एक अन्य पहलवान ने बताया कि डब्ल्यूएफआई के कर्मचारी और सिंह के करीबी एक कोच कमरे (जहां उनकी सुनवाई हो रही थी) के बाहर जमा हो गए थे, जो ‘डराने वाला’ था.
ज्ञात हो कि समिति की अध्यक्षता मुक्केबाज मैरी कॉम कर रही हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, लेकिन इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
बताया गया है कि जब पहलवानों का समिति से भरोसा उठ गया तब उन्होंने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया. पुलिस को यौन उत्पीड़न की सात शिकायतें मिली थीं, जिनमें एक नाबालिग की है. इन खिलाड़ियों का आरोप है कि सिंह कथित तौर पर सांस लेने का पैटर्न जांचने के बहाने महिलाओं को गलत तरह से सीने और पेट को छुआ और उन्हें दबोचने का प्रयास किया था. एक खिलाड़ी ने यह भी कहा था कि सिंह ने एक बार वॉर्म-अप के दौरान उनकी सहमति के बिना उनकी टी-शर्ट ऊपर उठा दी थी.
इस अख़बार के अनुसार, पुलिस को दी गई शिकायत में पहलवानों ने समिति के कामकाज में अनियमितताओं का जिक्र किया था. उनका आरोप था कि उनकी गवाही के दौरान समिति ने कई बार वीडियो रिकॉर्डिंग को बंद किया. एक पहलवान ने अख़बार को बताया, ‘पहली ही सुनवाई में कुछ लड़कियां असहज थीं, क्योंकि उन्हें व्यक्तिगत तौर पेश होने को कहा गया है. तो अगली बार से हम ग्रुप बनाकर गए.’
एक अन्य शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें ‘सिंह द्वारा किए यौन उत्पीड़न की घटनाएं दोहरानी पड़ीं क्योंकि समिति सदस्यों को बात के बीच में एहसास हुआ कि वीडियो रिकॉर्डिंग ऑन नहीं की गई है.’
तीसरी शिकायतकर्ता ने कहा, ‘वे (निगरानी समिति) हमें जल्दी करने को कह रहे थे. जैसे मानो हम जो कह रहे थे, उसे वे एक कान से सुनकर दूसरे से निकालना चाहते थे और चाहते थे कि हमारी बात जल्दी ख़त्म हो. हमारा बयान पूरा होने से पहले ही हमें आगे बढ़ने का इशारा कर दिया जा रहा था. वे हमारी भावनात्मक स्थिति को समझने की कोशिश ही नहीं कर रहे थे और हम समिति के सामने अपनी बात रखने में बिल्कुल सहज नहीं थे.’
पहलवान विशेष रूप से उनसे सबूत मांगे जाने की बात से नाराज हैं. इनमें से एक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘उन्होंने हमसे पूछा कि क्या हमारे पास वीडियो या ऑडियो सबूत है. उन्होंने कहा कि बिना सबूत के हम क्या करेंगे. मैंने उनसे कहा कि जब यौन उत्पीड़न हो रहा होगा, तो कौन-सी महिला यह रिकॉर्ड कर पाएगी? जब ऐसा कुछ होता है, आप सही से सांस तक नहीं ले पाते.’
उल्लेखनीय है कि पदक विजेता विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक सहित भारत के कुछ शीर्ष पहलवान कुश्ती महासंघ के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का विरोध कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. छह बार के सांसद सिंह ने आरोपों से इनकार किया है.
बीते जनवरी महीने में पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया था. कई हफ्तों के विरोध के बाद बीते 23 जनवरी को मामले की जांच के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय के आश्वासन और ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन के बाद पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था.
इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था. हालांकि इसके बाद भी कोई कार्रवाई ने होने के बाद बीते 23 अप्रैल को बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत अन्य पहलवानों ने अपना प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया, जिसके बाद 28 अप्रैल को सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से एक यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत और दूसरी महिला के शील भंग का प्रयास से संबंधित है.
इस बीच, 13 मई को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने एक पत्र जारी कर भारतीय कुश्ती महासंघ के सभी निवर्तमान अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से महासंघ का कोई भी आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित करने से प्रतिबंधित कर दिया है. नए निर्देश के साथ एक नई तदर्थ समिति के पास अब राष्ट्रीय खेल महासंघ के कार्यालय को चलाने की स्वायत्त शक्ति है.