अग्निवीरों के बीच में ही ट्रेनिंग छोड़ने की ख़बरों पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा

अग्निपथ योजना की घोषणा जून 2022 में की गई थी, जिसमें साढ़े 17 से 23 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात कही गई थी. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि युवा बीच में ही प्रशिक्षण छोड़ दे रहे हैं.

जयराम रमेश. (फोटो साभार: फेसबुक)

अग्निपथ योजना की घोषणा जून 2022 में की गई थी, जिसमें साढ़े 17 से 23 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात कही गई थी. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि युवा बीच में ही प्रशिक्षण छोड़ दे रहे हैं.

जयराम रमेश. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने 9 जुलाई को उन खबरों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की, जिसमें कहा गया है कि संविदा आधारित अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए युवा प्रशिक्षण बीच में ही छोड़ रहे हैं.

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने ट्विटर पर कहा कि इस योजना ने युवाओं के सपनों को चकनाचूर कर दिया है और उनके मन में कई तरह की आशंकाएं पैदा कर दी हैं.

उन्होंने एक समाचार रिपोर्ट को टैग करते हुए यह ट्वीट किया है, जिसमें दावा किया गया है कि भर्ती होने वाले युवा बीच में ही प्रशिक्षण छोड़ रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘पहले युवाओं का सपना होता था कि वे सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें. युवाओं के देश सेवा के संकल्प का सम्मान करते हुए उन्हें बेहतर सुविधाएं और नौकरी की सुरक्षा दी गई. अग्निवीर योजना की बुनियाद ही गलत है. इसने युवाओं के देश सेवा के सपनों को चकनाचूर कर दिया है और कई तरह की आशंकाएं पैदा कर दी हैं. नतीजा सबके सामने है.’

 

गौरतलब है कि ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा 14 जून 2022 को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात कही गई थी.

इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए थे. बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा को एक बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था.

जून 2022 में योजना लागू होने के तुरंत बाद इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए था, जिसके बाद देश के सैन्य नेतृत्व ने घोषणा की थी कि नई भर्ती योजना के लिए आवेदकों को इस प्रतिज्ञा के साथ एक शपथ-पत्र देना होगा कि उन्होंने किसी भी विरोध, आगजनी या आंदोलन में भाग नहीं लिया है.