गुजरात: कच्छ ज़िले में स्कूल हिंदुत्ववादी समूहों का निशाना बन रहे हैं

गुजरात में हाल ही में बच्चों को ईद के समारोह में भाग लेने के लिए कहने के बाद कई स्कूलों को माफ़ी मांगनी पड़ी है. कच्छ ज़िले के एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि यह क्षेत्र में सांप्रदायिक अराजकता पैदा करने का प्रयास है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: अनस्प्लैश)

गुजरात में हाल ही में बच्चों को ईद के समारोह में भाग लेने के लिए कहने के बाद कई स्कूलों को माफ़ी मांगनी पड़ी है. कच्छ ज़िले के एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि यह क्षेत्र में सांप्रदायिक अराजकता पैदा करने का प्रयास है.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: अनस्प्लैश)

नई दिल्ली/कच्छ: 30 जून को कच्छ के मुंद्रा शहर में स्थित एक निजी स्कूल के छात्रों का एक वीडियो वायरल हुआ. वीडियो में छात्रों ने बकरीद के एक त्योहार पर हुए एक नाटक में गोल टोपी पहने हुई थी. इस नाटक के एक वायरल वीडियो में स्कूल के कुछ छात्रों को सिर को रूमाल से ढककर नमाज अदा करते हुए भी देखा जा सकता है. छात्राएं इबादत में खड़ी दिख रही हैं.

इसके सामने आने के बाद कुछ स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया, जिन्होंने आरोप लगाया कि हिंदू छात्रों पर इस्लाम ‘थोपा’ गया और वीडियो ने हिंदू भावनाओं को ‘आहत’ किया है. इसके बाद प्रिंसिपल प्रीति वासवानी को निलंबित कर दिया गया.

जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (डीपीआरओ) संजय परमार ने द वायर  को बताया कि वीडियो देखने के बाद उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित करने के लिए कहा और मामले की जांच शुरू कर दी. उन्होंने कहा, ‘ये चीजें अस्वीकार्य हैं और हमने स्कूलों को मौखिक रूप से सूचित किया है कि ऐसी गतिविधियों से बचा जाना चाहिए. हमने स्कूल से प्रिंसिपल को निलंबित करने के लिए भी कहा.’

घृणा और उत्पीड़न

हालांकि, एक पहलू यह है कि किसी भी हिंदू माता-पिता ने स्कूल या डीपीआरओ से संपर्क नहीं किया है, वहीं स्थानीय मुसलमानों का कहना है कि 30 जून के बाद से शहर में डर और तनाव का माहौल है.

एक मुस्लिम अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि स्कूल ऐसी जगह होते हैं जहां सभी त्योहार समान रूप से मनाए जाते हैं. वह पूछते हैं, ‘तो फिर ईद क्यों नहीं? यदि सभी त्योहार मनाए जाते हैं तो इस्लामी त्योहारों से परहेज क्यों किया जाता है?’

स्कूल के एक ट्रस्टी नाज़िम अब्बासी ने द वायर  को बताया, ‘हम यहां सभी धर्मों के सभी त्योहार मनाते हैं. यह बस छात्रों को संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जागरूक रखने का एक तरीका है. लेकिन एक बार जब हमें सूचित किया गया कि हमें प्रिंसिपल को निलंबित करना होगा, तो हमने इस पर कार्रवाई की. यहां पढ़ने वाले छात्रों के माता-पिता की ओर से विरोध में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.’

अब्बासी ने यह भी बताया किया कि कैसे नमाज अदा करने वाले छात्रों का वीडियो स्कूल प्रशासन द्वारा अपने फेसबुक पेज पर अपलोड किया गया था- जो एक नियमित गतिविधि की तरह था, जैसे कि वे अक्सर योग दिवस, पृथ्वी दिवस, होली आदि जैसे कार्यक्रमों की तस्वीरें और वीडियो अपलोड किए जाते हैं.

स्कूल के फेसबुक पेज पर अब नाटक को हटा दिया गया है और निलंबित प्रिंसिपल वासवानी के माफीनामे का वीडियो देखा जा सकता है.

हालांकि, इस मुद्दे को डीपीआरओ ने अपने हाथ में ले लिया, लेकिन भाजपा विधायक अनिरुद्ध दवे ने इस गतिविधि को ‘अवांछित’ बताया और कहा कि तैराकी, घुड़सवारी या संगीत पाठ्येतर (Extracurriculars) गतिविधियों का हिस्सा हो सकता है, लेकिन नमाज़ या यहां तक कि एक नाटक में इसका चित्रण इसका हिस्सा नहीं हो सकते.

दवे ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) से मामले में उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है. उन्होंने यह भी बताया कि घटना वाले दिन स्कूल में छुट्टी थी, फिर भी छात्रों को बुलाया गया और मुसलमानों की तरह कपड़े पहनकर नमाज पढ़ने को कहा गया.

कच्छ के एक सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मदभाई लाखा कहते हैं कि यह विरोध क्षेत्र में सांप्रदायिक अराजकता पैदा करने का एक प्रयास है. उन्होंने कहा, ‘दक्षिणपंथी समूह हमारे क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं- अंजार, जारपारा, वर्षामेडी में ऐसी घटनाएं देखी जा रही हैं जिनका उद्देश्य या तो मुसलमानों को परेशान करना है या हिंदुओं को मुसलमानों से नफरत के लिए उकसाना है.’

लाखा ने द वायर  को यह भी बताया कि मुस्लिम छात्र स्कूल में हिंदू त्योहारों में समान उत्साह के साथ भाग लेते हैं. उन्होंने पूछा, ‘फिर हिंदू बच्चों को कुछ मिनट के लिए ईद के नाटक के लिए कपड़े पहनकर तैयार होने में क्या समस्या है?’

स्कूलों पर पैनी नज़र

पर्ल स्कूल की तरह ही कई अन्य स्कूल उन कट्टरपंथी हिंदुत्व समूहों के निशाने पर आ चुके हैं जो स्कूलों में ईद के शांतिपूर्ण समारोह के खिलाफ स्थानीय भावनाओं को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं.

उत्तरी गुजरात के मेहसाणा में राधनपुर रोड स्थित किड्स किंगडम स्कूल में बकरीद समारोह में हिंदू बच्चों के भाग लेने के चलते स्कूल को स्थानीय लोगों, अभिभावकों और हिंदुत्ववादी संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा.

कच्छ के अंजार शहर में अक्षरम इंटरनेशनल स्कूल को भी स्कूल परिसर में आयोजित ईद समारोह को लेकर अभिभावकों के विरोध के बाद प्रिंसिपल को निलंबित करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

कच्छ के जिला विकास अधिकारी एसके प्रजापति ने बताया कि डीईओ को कुछ अभिभावकों से शिकायत मिली थी कि स्कूल ने 20 छात्रों से ‘इस्लामिक प्रतीक’ बनाने को कहा. पर्ल स्कूल घटना की तरह शिकायत दर्ज होने के बाद जांच शुरू की गई और प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया.

कच्छ के अक्षरम इंटरनेशनल स्कूल में ईद का जश्न. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

स्थानीय लोगों के मुताबिक, अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रशासन ने अभिभावकों से अपने बच्चों को ‘मुस्लिम कपड़े’ पहनाने का आग्रह किया था. अभिभावकों ने दावा किया कि उन्हें यह भी निर्देश दिया गया था कि छात्रों को पठानी सूट और सलवार-कमीज पहनना होगा. घटना के बारे में जानने के बाद एक दक्षिणपंथी समूह ने 3 जुलाई को स्कूल में विरोध प्रदर्शन किया था.

अक्षरम इंटरनेशनल स्कूल ने हालांकि स्पष्ट किया है कि उन्होंने छात्रों के लिए हरे कपड़े पहनना अनिवार्य नहीं किया था, लेकिन कई छात्र हरे कपड़े पहनकर आ गए. फिर भी स्कूल ने प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया है और माफी मांगते हुए कसम खाई है कि आगे से ईद के लिए ऐसी कोई भी ‘गतिविधि’ आयोजित नहीं की जाएगी.

3 जुलाई को कच्छ से 600 किलोमीटर दूर तापी जिले में सोनगढ़ के कुकड़ा डूंगरी गांव के एक स्कूल मे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने विरोध प्रदर्शन किया था. विहिप का गुस्सा पादरी पंच्याभाई गामित द्वारा स्कूल के गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में बाइबिल का एक संदेश पढ़ने को लेकर था.

विहिप की तापी जिला इकाई ने छात्रों के धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए घटना की निंदा की. विहिप अध्यक्ष राकेश गामित, महंत रुद्र प्रमोदगिरि बापू और अन्य नेताओं ने प्रिंसिपल नीलेश गामित और स्टाफ के साथ घटना पर चर्चा करने के लिए 7 जुलाई को स्कूल का दौरा किया था. प्रिंसिपल ने ‘गलती’ स्वीकार की और विहिप नेताओं ने व्यारा में कलेक्टर कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपकर जांच की मांग की.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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