मोदी सरकार के सितंबर में संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: पीटीआई/द वायर)

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केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है. रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने गुरुवार को घोषणा की कि संसद का एक विशेष सत्र अगले महीने 18 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा. ट्विटर पर जारी एक बयान में जोशी ने कहा कि संसद का विशेष सत्र (17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र) 18 से 22 सितंबर तक बुलाया जा रहा है, जिसमें 5 बैठकें होंगी. अमृतकाल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस का इंतजार रहेगा.’ हालांकि, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि पांच दिवसीय सत्र का एजेंडा क्या होगा.

अंतरराष्ट्रीय अख़बारों में अडानी समूह संबंधी नए खुलासों को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर निशाने पर लिया है. रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की दो दिवसीय बैठक के लिए मुंबई में मौजूद गांधी ने मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर अडानी और उनकी कंपनी को बचाने का आरोप लगाया. उन्होंने अडानी समूह की संयुक्त संसदीय जांच (जेपीसी) की मांग फिर से दोहराई. नए आरोपों को प्रकाशित करने वाले दो अख़बारों की सुर्खियां पढ़ते हुए राहुल गांधी ने सवाल किया कि केंद्र सरकार और मोदी अडानी और उनके भाई विनोद अडानी के खिलाफ इन ‘गंभीर आरोपों’ की जांच करने से ‘क्यों कतरा रहे’ हैं. मालूम हो कि खोजी पत्रकारों के नेटवर्क ओसीसीआरपी के पत्रकारों द्वारा प्राप्त और अंतरराष्ट्रीय अख़बारों- द गार्जियन और फाइनेंशियल टाइम्स के साथ साझा किए गए दस्तावेज़ बताते हैं कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह में आने वाले जिन ‘मॉरीशस के निवेश फंड्स’ ज़िक्र किया गया था, उनके तार अडानी समूह से ही जुड़े हैं. रिपोर्ट कहती हैं कि अडानी परिवार के साझेदारों ने भारतीय नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने ही समूह के शेयरों में निवेश करने के लिए ‘मॉरीशस के जरिये अपारदर्शी फंड’ का इस्तेमाल किया.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का अधिकारी बनकर जम्मू कश्मीर के दौरे कर रहे गुजरात के ठग किरण पटेल को जमानत मिल गई है, साथ ही यह सामने आया है कि चार्जशीट में उनके खिलाफ लगी एक महत्वपूर्ण धारा को हटा दिया गया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, श्रीनगर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने कहा है कि ‘चार्जशीट पढ़ने से यह स्पष्ट है कि आईपीसी की धारा 467 के तहत अपराध, जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान है, को जांच एजेंसी ने हटा दिया है. इसे हटाने के बाद आरोपी द्वारा किए गए बाकी अपराध केवल 7 साल तक की सजा का प्रावधान है. और इसलिए… इस मामले में आगे की जांच के लिए आरोपी व्यक्तियों को हिरासत में लेने की जरूरत नहीं है. मालूम हो कि जालसाजी से संबंधित धारा 467 में आजीवन कारावास या 10 साल कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है. अदालत ने जोड़ा कि यह धारा, जो अदालत द्वारा मार्च में पटेल की पहली जमानत अर्जी खारिज करने के मुख्य आधारों में से एक थी, को जांच अधिकारी द्वारा ‘गैर-मौजूदा सामग्री के आधार पर’ हटाया गया है.

भारतीय रेलवे की लंबित परियोजनाों की संख्या बीते साल के मुकाबले बढ़ी है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट  अनुसार, 2022 के 56 से बढ़कर यह संख्या साल 2023 में 98 हो गई. अख़बार के अनुसार, देश में समय से पीछे चल रहीं 10 मेगा परियोजनाओं में से सात भारतीय रेलवे की हैं, जिनमें उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन भी शामिल है, जो अपने निर्धारित मूल समय से 21 साल से अधिक पीछे चल रही है. अखबार ने पीएमओ और केंद्र सरकार की अन्य शाखाओं के साथ साझा की गई जुलाई 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि जांच के दायरे में कुल 1,646 परियोजनाओं में से 809 परियोजनाएं (रेलवे की 98 सहित) अपनी मूल निर्धारित तारीखों से देरी से चल रही हैं. 809 परियोजनाओं में से, 213 परियोजनाों (रेलवे की नौ सहित) में असाधारण रूप से देरी हुई है, जिससे प्रोजेक्ट अधिकतम लागत बढ़ गई है.

गुजरात में राज्य सरकार को विश्वविद्यालयों में अधिक अधिकार देने वाले एक प्रस्तावित विधेयक के ख़िलाफ़ शिक्षकों और छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन सामने आए हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, हाल ही में गुजरात कॉमन यूनिवर्सिटीज़ बिल के मसौदे की घोषणा की है, जिसे अगले महीने विधानसभा में पेश किया जा सकता है. इसे शिक्षा का ‘सरकारीकरण’ और स्वायत्तता को ख़तरा क़रार देते हुए छात्रों और शिक्षक संघ इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. विधेयक सभी राजनीतिक रूप से निर्वाचित निकायों- सीनेट और सिंडिकेट निकायों- को खत्म करने और उनके स्थान पर एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और एक कार्यकारी परिषद को स्थापित करने की बात कहता है, जिसके सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी. इसे अलोकतांत्रिक क़रार देते हुए विभिन्न छात्रों और शिक्षक संघों के कई सदस्यों ने प्रस्तावित विधेयक वापस न लेने पर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की बात कही है.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की दलित समुदाय से आने वाली एक शिक्षक ने अपने सहकर्मियों पर मारपीट, छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, असिस्टेंट प्रोफेसर ने उनके विभाग के दो सहकर्मियों और दो छात्रों पर मारपीट, छेड़छाड़ और उन्हें अपमानित करने के आरोप लगाए हैं. शिकायतकर्ता एक वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य हैं, जिनका आरोप है कि आरोपी, जिनमें उनके विभाग के दो सहकर्मी भी शामिल हैं, नियमित तौर पर उन्हें निर्वस्त्र कर विश्वविद्यालय में घुमाने की बात किया करते थे. उन्होंने कहा कि मारपीट और छेड़छाड़ की घटना 22 मई को हुई थी, लेकिन पुलिस ने 27 अगस्त तक केस दर्ज नहीं किया.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि स्कूल राखी पहनने, तिलक या मेहंदी लगाकर आने पर छात्र-छात्राओं को सज़ा न दें. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एनसीपीसीआर ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिवों को भेजे पत्र में कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में आयोग ने पाया है कि त्योहार मनाने के कारण बच्चों को स्कूल के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों द्वारा उत्पीड़न और भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.

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