द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
विधि आयोग ने सरकार से यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) अधिनियम के तहत सहमति (consent) की मौजूदा उम्र को यथावत बनाए रखने की सिफारिश की है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इसने कहा कि इसे कम करने से बाल विवाह और बाल तस्करी से निपटने में गलत प्रभाव पड़ सकता है. वर्तमान में भारत में सहमति की आयु 18 वर्ष है. आयोग ने कानून मंत्रालय को 16-18 आयु वर्ग के बच्चों की मौन स्वीकृति से जुड़े मामलों में सजा देने में निर्देशित न्यायिक विवेक लागू करने की सलाह भी दी है. आयोग ने इस आयु वर्ग के बच्चों की मौन स्वीकृति (सहमति नहीं) से जुड़े मामलों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए कानून में संशोधन करने का भी सुझाव दिया है. इसने अदालतों को पॉक्सो के तहत दर्ज केस देखते समय सतर्क रहने की भी सलाह दी क्योंकि आयोग ने पाया कि किशोरावस्था में होने वाले प्रेम को काबू नहीं किया जा सकता, इसलिए कुछ मामलों में आपराधिक इरादे नहीं मिलेंगे.
बेंगलुरु की सिविल अदालत द्वारा हिमालया वेलनेस कॉरपोरशन की शिकायत पर कोर्ट के एकतरफ़ा आदेश के बाद ‘द लिवर डॉक’ का ट्विटर एकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, ट्विटर पर ‘द लिवर डॉक’ नाम से मशहूर हेपेटोलॉजिस्ट (यकृत, पित्ताशय और अग्न्याशय रोग विशेषज्ञ) डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स आयुष दवाओं से जुड़े कुछ तरीकों पर सवाल उठाने के लिए जाने जाते हैं. उनके अनुसार, इनसे कुछ मरीज़ों को लिवर संबंधी समस्याएं हुई हैं. लाइव लॉ के अनुसार, हिमालया का दावा है कि डॉ. फिलिप्स ‘कंपनी के उत्पादों के खिलाफ अपमानजनक बयान पोस्ट कर रहे हैं, जिसके कारण उन्हें काफी कारोबारी नुकसान हुआ है.’ डॉ, फिलिप्स का कहना है कि दवाओं के बारे में उनके सभी बयान विज्ञान और साक्ष्य आधारित है और उनकी सार्वजनिक समीक्षा की जा सकती है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके ट्विटर एकाउंट पर रोक के बारे में अदालत या कंपनी की तरफ से उन्हें कोई नोटिस या सूचना नहीं दी गई और अब वे इस मामले में क़ानूनी सलाह लेकर अगला कदम उठाएंगे.
मणिपुर में लगभग पांच महीनों से जारी हिंसा के बीच पहाड़ी इलाकों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफस्पा) को पहाड़ी ज़िलों तक सीमित रखने पर जनजातीय संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है. 27 सितंबर को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में आफस्पा को छह महीने का विस्तार दिया गया, जबकि इंफाल घाटी के 19 थानों और असम की सीमा से सटे एक इलाके को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. द हिंदू के मुताबिक, कुकी, ज़ोमी और नगा जनजातियों के शीर्ष निकायों ने इस क़दम को ‘दमनकारी’ और ‘पक्षपातपूर्ण’ क़रार दिया है. ज़ोमी काउंसिल (मणिपुर में ज़ोमी जनजातियों का शीर्ष निकाय) की संचालन समिति ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन देते हुए है कि कैसे अधिसूचना से मेईतेई क्षेत्रों और मेईतेई-प्रभुत्व वाले इलाकों को बाहर रखना एक बार फिर से राज्य की अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ मणिपुर सरकार के गहरे भेदभाव का उदाहरण है.’
गुजरात के राज्य विधि आयोग ने हिरासत में बढ़ती मौतों पर चिंता जताते हुए पुलिस सुधारों का सुझाव दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हिरासत में मौत की बढ़ती घटनाओं को ‘बड़ी सार्वजनिक चिंता का विषय’ बताते हुए आयोग ने हाल ही में राज्य सरकार को कई सुझाव देते हुए एक रिपोर्ट सौंपी है. इसमें यह भी बताया गया है कि 2021 में पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज एक भी मामले में सजा नहीं हुई है. रिपोर्ट में आयोग के अध्यक्ष (रिटा.) जस्टिस एमबी शाह ने पुलिस को संवैधानिक ढांचे के भीतर काम करने के लिए संवेदनशील बनाने के लिए कई तरह सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया है. फरवरी में गृह मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में बताया गया था कि साल 2017 और 2022 के बीच गुजरात में देश भर में हिरासत में मौतों के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए थे.
उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में उत्तर न दे पाने पर शिक्षक द्वारा मुस्लिम छात्र से हिंदू सहपाठी को थप्पड़ मारने की कहने की घटना सामने आई है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, घटना बीते 26 सितंबर को संभल ज़िले के असमोली थाना क्षेत्र के दुगावर गांव के एक निजी स्कूल में हुई. पुलिस ने बताया कि पीड़ित छात्र के पिता ने शिकायत दर्ज कराई है कि इस घटना से उनके बेटे की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. उन्होंने दावा किया कि क्लास टीचर ने उनके बेटे को एक मुस्लिम छात्र से थप्पड़ मरवाया, क्योंकि वह उनके द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दे सका. बीते महीने में राज्य के ही मुज़फ़्फ़रनगर के एक निजी स्कूल की अध्यापिका द्वारा ने होमवर्क न करने मुस्लिम छात्र को उसके सहपाठियों से थप्पड़ लगवाने की घटना सामने आई थी.
अभिनेता-निर्माता विशाल ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) कार्यालय में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. द न्यूज़ मिनट के अनुसार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से हस्तक्षेप और कार्रवाई करने की अपील करते हुए विशाल ने आरोप लगाया है कि उन्हें अपनी फिल्म ‘मार्क एंटनी’ के हिंदी संस्करण के लिए सेंसर प्रमाणपत्र पाने के लिए 6.5 लाख रुपये की रिश्वत देनी पड़ी. फिल्म गुरुवार (28 सितंबर) को रिलीज़ हुई है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए विशाल ने कहा कि उनके करिअर में उनके साथ ऐसा कभी नहीं हुआ और यह दुखद है. ‘अगर सरकारी दफ्तरों में ऐसा हो रहा है तो मैं उच्च अधिकारियों से इस मामले को देखने का अनुरोध करता हूं. यदि यह मेरी स्थिति है तो अन्य निर्माताओं का क्या होगा?’ उनके आरोपण के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से इन आरोपों की जांच कर उचित कार्रवाई करने की बात कही गई है.
आईआईटी-बॉम्बे के मेस ने शाकाहारी खाना खाने वाले लोगों के लिए अलग जगह को मंज़ूरी दे दी है. कुछ महीने पहले छात्रों द्वारा मेस के कुछ हिस्सों को अनधिकृत रूप से ‘केवल शाकाहारियों’ के लिए चिह्नित करने के कारण संस्थान पर जातिगत भेदभाव करने के आरोप लगे थे. द हिंदू के अनुसार, अब छात्रों को भेजे गए ईमेल में कहा गया है कि 12, 13 और 14 नंबर हॉस्टल के वार्डन और मेस काउंसलर्स के बीच एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें ‘सर्वसम्मत’ निर्णय लिया गया कि केवल शाकाहारी भोजन खाने वाले लोगों के लिए मेस में छह टेबल आरक्षित रहेंगे. कुछ छात्रों ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे जातिगत भेदभाव का ही एक रूप कहा है.