मणिपुर सरकार के भारत जोड़ो यात्रा में सीमित लोगों के शामिल होने की कहने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर/pixabay)

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मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार ने कांग्रेस को इसकी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू करने की सशर्त अनुमति दी है. न्यूज़18 के अनुसार, पार्टी नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में यह यात्रा 14 जनवरी को इंफाल से शुरू होने वाली है. बताया गया है कि मणिपुर सरकार ने हप्ता कांगजीबुंग ग्राउंड में झंडा फहराने की अनुमति दी है लेकिन रैली के लिए नहीं. यह भी कहा गया है कि कानून-व्यवस्था की स्थिति और निषेधाज्ञा के चलते सीमित संख्या में लोगों को शामिल होने की इजाज़त है. यह यात्रा 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होने से पहले मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों से होकर गुजरेगी. 14 जनवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य पार्टी नेताओं की उपस्थिति में कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाने वाले हैं.

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अयोग्यता मामलों पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मूल शिवसेना में दोफाड़ होने के समय वर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं भी खारिज कर दीं.  उन्होंने कहा कि 21 जून, 2022 को जब दोफाड़ हुई तो शिंदे गुट के पास 55 में से 37 विधायकों का भारी बहुमत था. नार्वेकर ने शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी याचिकाओं को भी खारिज कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया. विधानसभा अध्यक्ष ने दो निर्दलीय विधायकों और पीजेपी के बच्चू कडू को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाएं भी खारिज कर दीं. इस फैसले पर यूबीटी समूह के संजय राउत ने कहा कि शिवसेना इस फ़ैसले से ख़त्म नहीं होगी और वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. उनके गुट की ही राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि इस फ़ैसले पर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ. उन्होंने इसे पहले आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भावना के ख़िलाफ़ बताया है.

कांग्रेस ने ऐलान किया है कि 22 जनवरी को अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पार्टी के नेता शामिल नहीं होंगे. रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने पार्टी की ओर से एक बयान जारी करते हुए कहा कि धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय होता आया है, लेकिन भाजपा और आरएसएस ने वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है. स्पष्ट है कि एक अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए ही किया जा रहा है. बयान में आगे कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी भाजपा और आरएसएस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते हैं.’ इससे पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)  और तृणमूल कांग्रेस इसके नेताओं के मंदिर समारोह में शामिल न होने की बात कह चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश में कथित संलिप्तता को लेकर यूएपीए के तहत दर्ज मामले में पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. टेलीग्राफ के अनुसार, अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी. खालिद की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ से यह कहते हुए स्थगन की मांग की थी कि वे संविधान पीठ से जुड़े एक अन्य मामले में व्यस्त हैं. पीठ ने इस पर अनिच्छा जाहिर की थी. खालिद की जमानत याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के 18 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. बीते साल सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने 9 अगस्त को खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के नियमों को तैयार करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक और एक्सटेंशन मिला है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह केवल एक प्रक्रियात्मक औपचारिकता है क्योंकि अंतिम विस्तार मंगलवार (9 जनवरी) को समाप्त हो रहा था और सीएए नियमों को वास्तव में अधिसूचित होने तक एक और विस्तार की जरूरत थी. एक बार अधिसूचित होने के बाद, नियम संसद के दोनों सदनों में रखे जाएंगे. मालूम हो कि जनवरी के अंत में शुरू होने वाला बजट सत्र, लोकसभा चुनाव से पहले इस सरकार का आखिरी सत्र होगा. राज्यसभा में अधीनस्थ कानून पर संसदीय समिति द्वारा दिया गया नवीनतम विस्तार मार्च के अंत में समाप्त हो रहा है. इस समयसीमा का हवाला देते हुए गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने नवंबर 2023 में घोषणा की थी कि सीएए नियम 30 मार्च, 2024 तक लागू होंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की सहमति या लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ कानून पर समितियों से मांगे गए विस्तार के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए. सीएए दिसंबर 2019 में अधिनियमित किया गया था और 10 जनवरी, 2020 को लागू हुआ था.

पिछले दस सालों में वेबसाइट ब्लॉक करने के सरकारी आदेशों में सौ गुना बढ़ोतरी देखी गई है. द हिंदू के अनुसार, बिहार के एक्टिविस्ट कन्हैया कुमार को एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिली जानकारी बताती है कि 2013 में आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत केंद्र सरकार ने वेबसाइट और ऑनलाइन पोस्ट ब्लॉक करने के 62 आदेश जारी किए थे, जबकि 2023 में अक्टूबर माह तक 6,954 ऐसे आदेश जारी किए गए. अख़बार के मुताबिक, ब्लॉक किए गए अधिकांश वेबपेज व्यक्तिगत पोस्ट, वीडियो या प्रोफाइल होने की संभावना है – 2022 में केंद्र सरकार ने एक संसदीय प्रश्न के जवाब में कहा था कि 228 वेबसाइटें ब्लॉक की गईं हैं. जब अन्य आदेशों- जैसे कि सीधे सोशल मीडिया और ऑनलाइन सामग्री प्रदाताओं को भेजे गए आदेश- को शामिल किया जाता है तो उस वर्ष की संख्या 6,775 हो जाती है.

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