वाराणसी की अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के एक हिस्से में पूजा की अनुमति देने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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वाराणसी जिला अदालत ने एक पुजारी के परिवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर ‘व्यास जी के तहखाने’ में पूजा करने का अधिकार दिया है. द हिंदू के अनुसार, बुधवार को जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश ने जिलाधिकारी को तहखाने को अपने कब्जे में लेने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अगले 7 दिनों में वहां पूजा शुरू हो जाए. हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि पूजा सात दिनों के भीतर शुरू हो जाएगी. सभी को पूजा करने का अधिकार होगा.’ मस्जिद में चार तहखाने हैं जिनमें से एक अब भी व्यास परिवार के कब्जे में है जो वहां रहते थे. याचिका के अनुसार, पुजारी सोमनाथ व्यास 1993 में अधिकारियों द्वारा तहखाना किए जाने तक वहां पूजा-अर्चना किया करते थे. उस साल तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश पर तहखाने में नमाज बंद कर दी थी. सोमनाथ व्यास की बेटी के बेटे शैलेंद्र कुमार पाठक ने वहां पूजा का अधिकार मांगा था. इस बीच, मस्जिद समिति ने कहा है कि वह फैसले को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट जाएगी.

संसद के शीतकालीन सत्र में संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोपियों ने दिल्ली की एक अदालत में कहा है कि उन्हें हिरासत में यातनाएं दी जा रही हैं. लाइव लॉ के अनुसार, यूएपीए के तहत गिरफ्तार छह में से पांच आरोपियों- सागर शर्मा, मनोरंजन डी, ललित झा, महेश कुमावत और अमोल शिंदे द्वारा पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष दायर एक आवेदन में बताया गया है कि उन्हें अपराध और राजनीतिक लोगों से संबंध कुबूल करने के लिए बिजली के झटके दिए गए. उनकी अर्जी में कहा गया है कि कि आरोपी व्यक्तियों को उनके सोशल मीडिया एकाउंट, ईमेल और फोन के पासवर्ड देने के लिए मजबूर किया गया, साथ पॉलीग्राफ (नार्को) टेस्ट करने वालों ने दो आरोपियों पर उनकी कथित संलिप्तता के बारे में एक राजनीतिक दल या नेता का नाम लेने का दबाव डाला. एक अन्य आरोपी नीलम आज़ाद सहित सभी आरोपियों को बुधवार को अदालत में पेश किया गया था, जिसके बाद उनकी न्यायिक हिरासत 01 मार्च तक बढ़ा दी गई है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईटी नियम के तहत सरकारी फैक्ट-चेक इकाई बनाने को लेकर खंडित फैसला सुनाया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, स्टैंड-अप कमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स एंड न्यूज ब्रॉडकास्ट एंड डिजिटल एसोसिएशन द्वारा सूचना के नियम 3(i)(II)(A) और (C), जिसने केंद्र सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फ़र्ज़ी या भ्रामक ख़बरें फ़िल्टर करने के लिए एक फैक्ट-चेक यूनिट बनाने का अधिकार गए दिया था, को चुनौती दी थी. उन्होंने इसे फ्री स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया था. बुधवार को खंडपीठ की अध्यक्षता करने वाले जस्टिस गौतम पटेल ने पिछले साल अप्रैल में अधिसूचित विवादास्पद प्रावधान को रद्द कर दिया, लेकिन पीठ की दूसरी न्यायाधीश- जस्टिस नीला गोखले ने संशोधन की वैधता को बरकरार रखा.

एक पड़ताल में सामने आया है कि मुंबई के नगर निकाय- बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने केवल सत्तारूढ़ विधायकों को फंड दिया और विपक्षी विधायकों के आवेदन लंबित पड़े रहे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि बीएमसी में निकाय चुनाव लंबित रहने के दौरान फरवरी 2023 में लाई गई एक नीति मुंबई के विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए बीएमसी से फंड मांगने की अनुमति देती है. इसमें मुंबई के 36 में से 21 सत्तारूढ़ विधायकों को तो फंड मिल रहा है, लेकिन 15 विपक्षी विधायकों के आवेदन महीनों से लंबित पड़े हैं. 15 विपक्षी विधायकों (शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के] में से एक को भी कोई पैसा नहीं मिला, जबकि उनमें से 11 ने फंड मांगा था.  अगर धनराशि स्वीकृत हो जाती तो इसका इस्तेमाल विभिन्न विकास कार्यों के लिए किया जाता. ये वे कार्य हैं, जो 227 निर्वाचित बीएमसी पार्षदों द्वारा आमतौर पर किए जाते, लेकिन वर्तमान में देश का सबसे अमीर नगर निकाय लगभग दो वर्षों से बिना निर्वाचित सदस्यों के काम कर रहा है.

पश्चिम बंगाल की बीरभूम जिला अदालत ने कहा कि विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा अप्रैल 2023 में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को भेजा निष्कासन आदेश अवैध था. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, सेन पर शांतिनिकेतन परिसर में 1.38 एकड़ पट्टे की भूमि में से 13 डेसीमल भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया गया था. विश्वभारती के कुलाधिपति प्रधानमंत्री हैं. सेन के वकील ने बताया है कि जिला न्यायाधीश सुदेशना डे चटर्जी ने पाया कि विश्वभारती को बेदखली आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हमने बेदखली आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी कि जिस कानून का हवाला दिया गया वह उस समय लागू नहीं था जब सेन के पिता आशुतोष सेन ने विश्वभारती से जमीन पट्टे पर ली थी. इसके अलावा, विश्वविद्यालय 1943 में निष्पादित पट्टा समझौते से संबंधित कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर सका.’

साल 2023 के भ्रष्टाचार सूचकांक में 180 देशों की सूची में भारत 93वें स्थान पर रहा है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में डेनमार्क को शीर्ष पर रखा गया है. उसके बाद फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नॉर्वे आते हैं. सूचकांक 0 से 100 के पैमाने का उपयोग करता है, जहां 0 स्कोर ‘अत्यधिक भ्रष्ट’ है और 100 ‘बहुत साफ’ है. साल 2023 में भारत का कुल स्कोर 39 था. 2022 में भारत की रैंक 85 थी. एशियाई देशों में सिंगापुर 83 अंक प्राप्त कर शीर्ष पर रहा और कुल देशों की सूची में यह पांचवें स्थान पर रहा.