स्वर पर पहरे लगाकर किस सरस्वती की आराधना की जानी चाहिए…

निराला ने वीणावादिनी से 'नव गति, नव लय, ताल-छंद नव, नवल कंठ' मांगे थे, लेकिन आज जिन पैरों में नई गति है, उन्हें बेड़ियों से बांध दिया गया है. कंठ पर ताला है और नएपन की जगह कारागार है. जब मेरा स्वर नहीं तो क्या मैं सरकारी कंठ से प्रार्थना करूं? क्या यह देवी का अपमान नहीं?

दिशा रवि की गिरफ़्तारी हम सबके मुंह पर इस सत्ता का बूट है…

दूसरे देश होंगे जहां ग्रेटा सितारा है, हम अपनी ग्रेटा- दिशा रवि को जेल में रखते हैं. वह कोई और ज़माना होगा और कोई और देश, जहां स्वार्थ से ऊपर उठकर प्रकृति की चिंता करने वाले की अभ्यर्थना होती है. यहां उसे कारागार मिलता है.

नेता जब विश्वास के साथ झूठ दोहराता है, तो जनता में उसकी प्रामाणिकता बढ़ती जाती है

2002 जनसंहार के समय गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने पूछा कि क्या राज्य में घर जलाए गए, क्या बलात्कार, हत्याएं हुईं? नेता जब ऐसा पूछे तो वो 'न' सुनना चाहता है और नेता का स्वभाव जानने वाली जनता ने यही कहा. इसी जनता की तरह अब देश की जनता को असत्य में यक़ीन करने के लिए तैयार किया जा रहा है.

भाजपा सरकार ‘जनता’ और सरकार की सहकारी हिंसा का मॉडल स्थापित कर चुकी है

हिंसा का एकाधिकार सरकार के पास होता है और उसे नियंत्रित रखने के लिए संवैधानिक सीमाएं हैं. लेकिन सरकार इनका अतिक्रमण करती रहती है. उसकी अनधिकार हिंसा पर कोई सवाल न उठे, इसलिए वह जनता के एक हिस्से को यह बताती है कि वह उसकी तरफ से हिंसा का प्रयोग कर रही है.

इस युवा दिवस पर किन युवाओं को याद करें…

यह युवा दिवस किनके नाम है? महेश राउत के, जिन्होंने महाराष्ट्र के आदिवासियों के लिए अपनी युवता समर्पित की और आज दो साल से जेल में हैं या अन्य जेलों में बंद नताशा, देवांगना, इशरत, मीरान, आसिफ़, शरजील, ख़ालिद, उमर जैसों के नाम, जिन्होंने समानता के उसूल के लिए अपनी जवानी गर्क करने से गुरेज़ नहीं किया?

न्यू इंडिया में रैडिकलाइजेशन की बढ़ती स्वीकार्यता

भारत में एक नया रैडिकलाइजेशन शक्ल ले चुका है. इसे रोज़मर्रा का आतंकवाद कह सकते हैं. इसकी ख़ासियत यह है कि इसे 'इस्लामी आतंकवाद' से ठीक उलट हिंदुओं में व्यापक समर्थन प्राप्त है.

गांधी को हिंदू देशभक्त बताना उन्हें ओछा करना है…

गांधी हिंदू थे, गीता, उपनिषद, वेद आदि के लिए भी उनके मन में ऊंचा स्थान था, पर उनका साफ कहना था कि अगर ये पवित्र ग्रंथ अस्पृश्यता का समर्थन करते हों, तो वे उन्हें भी ठुकरा देंगे. गांधी का एक जीवन दर्शन था जिसकी कसौटी पर महान से महान व्यक्ति, ग्रंथ या विचार को कसा ही जाना था.

शरजील इमाम की रिहाई भारत में मुसलमानों के यक़ीन के लिए ज़रूरी है

आरोप है कि शरजील इमाम ने उत्तर-पूर्व को भारत से काट देने का उकसावा देते हुए भाषण दिए थे. उन्होंने इतना ही किया था कि सरकार पर दबाव डालने के लिए रास्ता जाम करने की बात कही थी. किसान अभी चारों तरफ़ से दिल्ली का रास्ता बंद करने की बात कह रहे हैं, जिससे सरकार पर दबाव बढ़े और वह अपना अड़ियलपन छोड़े. क्या इसे आतंकवादी कार्रवाई कहा जाएगा?

किसान सरकार और अदालत का भरोसा कैसे करें?

कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक समिति का गठन करने का सुझाव दिया है. इसे लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद का नज़रिया.

सीएए का विरोध क्यों ज़रूरी था और है?

वीडियो: भारत सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध 11 दिसंबर 2019 से दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से शुरू हुआ था. इस क़ानून के पारित किए जाने और उसके विरोध के एक वर्ष पूरे होने पर आंदोलन की प्रासंगिकता और महत्व पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद का नज़रिया.

मंगलेश डबराल: मैं चाहता हूं कि स्पर्श बचा रहे…

स्मृति शेष: मंगलेश डबराल उस यातना को जानते थे जो मनुष्य ने मनुष्य को दी है. दुनिया की अलग-अलग भाषाओं से किए गए उनके अनुवाद इस बात के साक्षी हैं. इसीलिए वे उस संघर्ष की कठिनाई से भी परिचित थे जो इस यातना की संस्कृति को ख़त्म करने का है.

रघुवीर सहाय: अकड़ और अश्लीलता से मुक़ाबला

राज्य का रुतबा इंसान से बड़ा हो, यह रघुवीर सहाय को बर्दाश्त नहीं. वह इंसान से उसकी आज़ादी की इच्छा छीन लेता है. हर व्यक्ति को आज़ादी का एहसास हो और वैसे मौके ज़्यादा से ज़्यादा पैदा कर सके, जिनमें वह खुद को ख़ुदमुख़्तार देख सके, उसे किसी सत्ता के अधीन और निरुपाय होने का बोध न रहे, यह हर मानवीय उपक्रम और साहित्य का भी दायित्व है.

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