क्यों कुपोषण से प्रभावित श्योपुर में बच्चों को पोषण केंद्रों में ले जाने से कतरा रहे हैं परिजन?

ग्राउंड रिपोर्ट: ‘भारत का इथोपिया’ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के श्योपुर में एक ओर मासूम कुपोषण से दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हें पोषण और इलाज उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए पोषण पुनर्वास केंद्र ख़ाली पड़े हैं. केंद्रों पर बच्चों को पहुंचाने की ज़िम्मेदारी निभा रहे ग्रोथ मॉनिटर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि ग्रामीण इन केंद्रों में आना ही नहीं चाहते.

क्या मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारें चुनावों का सामना करने से डर रही हैं?

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने ‘मध्य प्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश, 2019’ को मंज़ूरी दी, जिसके तहत अब नगरीय निकायों के महापौर व अध्यक्षों का चुनाव जनता नहीं करेगी. इसी कदम का अनुसरण राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों ने भी किया है.

मध्य प्रदेश: क्यों झाबुआ उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा के लिए साख से ज़्यादा सत्ता का सवाल है?

महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ ही मध्य प्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होने हैं. बहुमत के अभाव में गठबंधन की सरकार चला रही कांग्रेस और तख़्तापलट का सपना देख रही भाजपा, दोनों के लिए अपने यह सीट जीतना ज़रूरी बन गया है.

मध्य प्रदेश: क्यों कांग्रेस के नेता अपनी ही सरकार की मिट्टी पलीद करने में लगे हुए हैं

राज्य की कमलनाथ सरकार के मंत्री-विधायक एक-दूसरे पर अवैध खनन, अवैध शराब और रिश्वत लेने जैसे संगीन आरोप लगा रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर आरोप है कि वे सरकार को पर्दे के पीछे से चला रहे हैं, वहीं नये प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी खींचतान की स्थिति बनी हुई है.

मध्य प्रदेश: क्या कांग्रेस के लिए उसका ‘वचन-पत्र’ अब गले की हड्डी बन गया है?

एक ओर कमलनाथ सरकार विधानसभा चुनावों से पहले जारी किए अपने ‘वचन-पत्र’ को ही सरकार चलाने का रोडमैप और वचनों के पूरे होने के दावे कर रही है, तो दूसरी ओर उन वचनों से सरोकार रखने वाले वर्ग अब सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने लगे हैं.

कर्नाटक की सियासी उठापटक के बाद क्या अगला नंबर मध्य प्रदेश का है?

मध्य प्रदेश में जिस दिन से कांग्रेस की सरकार बनी, उस दिन से भाजपा इसे अल्पमत में बता रही है. कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने फिर कहा कि पार्टी हाईकमान का आदेश हो तो एक दिन में सरकार गिर जाएगी, लेकिन इसके बाद एक विधेयक को लेकर भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के खेमे में खड़े नज़र आने से स्थितियां बदलती दिख रही हैं.

क्या आईसीसी के अस्पष्ट नियम खेल के ख़िलाफ़ जा रहे हैं?

2019 में क्रिकेट के इतिहास में पहली बार बाउंड्री की गणना के आधार पर विश्वकप विजेता की घोषणा की गई, जिसके बाद से आईसीसी के नियमों की आलोचना हो रही है.

युवराज सिंह: टीम में अपनी जगह बनाने के संघर्ष में ही पूरा करिअर बीत गया

विशेष रिपोर्ट: युवराज भले ही बड़े खिलाड़ी रहे लेकिन करिअर के शुरुआती दौर में उनका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं था. विकल्पों के अभाव के चलते वे टीम में चुने जाते रहे. अगर कोई और दौर होता तो वे शायद करिअर के शुरुआती दौर में ही टीम से रुख़सत हो गए होते.

क्रिकेट वर्ल्डकप: जिस टूर्नामेंट में सिर्फ़ 10 देश शामिल हों, उसे विश्वकप कहना कितना सही है?

इंग्लैंड में खेले जा रहे 12वें विश्वकप में केवल दस देश खेल रहे हैं, जिनमें से पांच तो दक्षिण एशियाई देश हैं. इसलिए इस टूर्नामेंट के ‘विश्वकप’ कहलाए जाने पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं

मध्य प्रदेश: कांग्रेस ने लोकसभा के इतिहास का सबसे बुरा प्रदर्शन क्यों किया?

15 साल बाद मध्य प्रदेश की सत्ता पर क़ब्ज़ा जमाने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 29 सीटों में से सिर्फ़ एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी.

व्यापमं पर भाजपा को घेरने वाली कांग्रेस ने घोटाले के एक संदिग्ध को उम्मीदवार क्यों बनाया?

एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनावी रैली में व्यापमं घोटाले की जांच कराने की बात करते हैं, तो दूसरी ओर पार्टी ने इंदौर लोकसभा सीट से उन पंकज संघवी को प्रत्याशी बनाया है जिन पर घोटाले में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं.

मध्य प्रदेश: क्या कांग्रेस मालवांचल में विधानसभा चुनाव में मिली सफलता दोहरा पाएगी?

मध्य प्रदेश के मालवांचल की आठ सीटों- देवास, धार, खंडवा, खरगोन, इंदौर, मंदसौर, रतलाम और उज्जैन पर 19 मई को मतदान है. 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने ये सभी सीटें जीतकर इतिहास रचा था, लेकिन विधानसभा चुनावों में पार्टी को इस क्षेत्र से ज़ोरदार झटका लगा था.

मध्य प्रदेश: तीसरे चरण में जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं क्या कांग्रेस वहां अपना प्रदर्शन सुधार पाएगी

विशेष रिपोर्ट: मध्य प्रदेश में तीसरे चरण के लिए 8 सीटों पर होने वाले मतदान में चंबल क्षेत्र की चार (ग्वालियर, गुना, मुरैना, भिंड), मध्य क्षेत्र की तीन (भोपाल, विदिशा, राजगढ़) और बुंदेलखंड की एक (सागर) सीट शामिल हैं. गुना को छोड़कर बाकी की सात सीटों पर भाजपा का क़ब्ज़ा है.

मध्य प्रदेश: भोपाल में हिंदुत्व का हवन, ज़रूरी मुद्दे स्वाहा

ग्राउंड रिपोर्ट: भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा ने मालेगांव बम धमाकों की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में उतारा है.

मध्य प्रदेश: क्यों आरक्षित सीटें प्रदेश में लोकसभा चुनावों के नतीजों के लिहाज़ से अहम हैं

मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से 10 अनसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 2014 में भाजपा ने इन सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार उसकी हालत पतली है. इसलिए आरक्षित सीटों पर 75 फीसदी सांसदों के टिकट काट दिए हैं, जबकि अनारक्षित सीटों पर केवल 33 फीसदी ही टिकट काटे गए हैं.

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